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भारत में बच्चों के टीकाकरण के मामले में 2024 में जीरो-डोज वाले आंकड़े 43% घटे: WHO

नई दिल्ली: भारत में बच्चों के टीकाकरण के मामले में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनिसेफ के वैश्विक टीकाकरण अनुमान के अनुसार साल 2024 में भारत में ऐसे बच्चों की संख्या में 43 प्रतिशत तक कमी आई है, जिन्होंने कभी भी किसी टीके की एक भी खुराक (जीरो-डोज) नहीं मिली है। यह आंकड़े मंगलवार को जारी किए गए।

आंकड़े बताते हैं कि साल 2023 में जीरो डोज वाले बच्चों की संख्या 16 लाख थी जो 2024 में 9 लाख के आसपास है। WHO और यूनिसेफ के अनुसार वैश्विक स्तर पर अभी भी 1.3 करोड़ जीरो डोज वाले बच्चे हैं। रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया क्षेत्र में शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या में 27 प्रतिशत की कमी आई है। इस तरह एक वर्ष में ये 25 लाख से घटकर 18 लाख हो गई है।

आंकड़ों के अनुसार 2024 में, इस क्षेत्र (दक्षिण एशिया) के 92 प्रतिशत शिशुओं को डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस (डीटीपी) टीके की तीसरी खुराक मिल चुकी होगी, जो टीकाकरण प्रगति का एक महत्वपूर्ण संकेत है। यह 2023 से 2 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

इसी अवधि के दौरान डीटीपी की पहली खुराक प्राप्त करने वाले बच्चों का अनुपात 93 प्रतिशत से बढ़कर 95% हो गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के बयान के अनुसार, ये आँकड़े कोविड-पूर्व स्तरों को पार करते हुए एक मजबूत वापसी दर्शा रहे हैं। यह आंकड़े बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के दक्षिण एशियाई सरकारों के प्रयासों को भी दर्शाते हैं।

भारत और नेपाल में बड़ी प्रगति

बयान में कहा गया है, ‘भारत और नेपाल में प्रगति उल्लेखनीय रूप से मजबूत रही है। भारत ने शून्य-खुराक वाले बच्चों की संख्या में 43 प्रतिशत की कमी की है (2023 में 16 लाख से 2024 में 9 लाख तक), और नेपाल ने 52 प्रतिशत की कमी हासिल की है। पाकिस्तान ने भी 87 प्रतिशत के साथ अपना अब तक का सर्वोच्च डीटीपी3 कवरेज हासिल किया है। हालाँकि, अफगानिस्तान अभी भी चुनौतियों का सामना कर रहा है। यहां एक प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।

वर्ष 2024 में विश्वभर में कम से कम 89% शिशुओं – लगभग 15 करोड़ को डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस (डीटीपी) युक्त टीके की कम से कम एक खुराक दी गई। वहीं, 85%, लगभग 10.9 करोड़ ने सभी तीन खुराकें पूरी कर लीं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि 2023 की तुलना में लगभग 1,71,000 ज्यादा बच्चों को कम से कम एक टीका लगाया गया, और दस लाख से ज्यादा बच्चों ने डीटीपी की तीन-खुराक वाली सीरीज पूरी की।

खसरे के कवरेज में भी सुधार हुआ है। लगभग 93 प्रतिशत शिशुओं को पहली खुराक और 88 प्रतिशत को दूसरी खुराक मिली है। 2024 में खसरे के दर्ज मामलों में 39 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है। 

सर्वाइकल के कैंसर से बचाव करने वाले एचपीवी (ह्यूमन पेपिलोमावायरस) के टीकाकरण में भी प्रगति देखी गई है। बांग्लादेश ने पिछले साल अपना कार्यक्रम शुरू करने के बाद से 71 लाख से ज्यादा लड़कियों का टीकाकरण किया है, जबकि भूटान, मालदीव और श्रीलंका ने भी इसमें वृद्धि दर्ज की है। भारत और पाकिस्तान द्वारा इस साल के अंत में अपने एचपीवी टीकाकरण अभियान शुरू करने की उम्मीद है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ की रिपोर्ट में इस उपलब्धि के लिए सरकारों के मजबूत नेतृत्व, अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मियों के अथक परिश्रम और डेटा व तकनीक के बेहतर इस्तेमाल की भी सराहना की गई है।

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