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अमेरिका के मोस्ट-वांटेड आतंकी को रिहा करेगी मोहम्मद यूनुस सरकार, सूचना देने पर 10 लाख डॉलर का इनाम था

ढाका: मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने बांग्लादेश सेना के बर्खास्त मेजर सैयद जिया-उल-हक को बरी करने की प्रक्रिया कथित तौर पर शुरू कर दी है। वह अलकायदा से जुड़ा हुआ है और अमेरिका द्वारा वांछित है।

दिसंबर 2021 में, अमेरिकी विदेश विभाग की डिप्लोमैटिक सिक्योरिटी सर्विस ने अपने रिवार्ड्स फॉर जस्टिस (आरएफजे) कार्यालय के जरिए हक (उर्फ मेजर जिया) और अकरम हुसैन की गिरफ्तारी या दोषसिद्धि के लिए सूचना देने पर 10 लाख डॉलर का इनाम देने की घोषणा की थी।

ढाका में आतंकी हमले में थे शामिल

अमेरिकी गृह मंत्रालय के अनुसार जिया उल हक और अकरम हुसैन चार अन्य व्यक्तियों के साथ ढाका में फरवरी 2015 में हुए आतंकवादी हमले में शामिल पाए गए थे। इसमें अमेरिकी नागरिक अविजित रॉय की मौत हो गई थी और उनकी पत्नी रफीदा बोन्या अहमद गंभीर रूप से घायल हो गई थीं।

बांग्लादेश में जन्मे दोनों अमेरिकी नागरिक ढाका में एक पुस्तक मेले में भाग लेने के लिए आए थे, जब उन पर हमलावरों ने छुरे से हमला किया। रॉय की मौत हो गई, जबकि अहमद गंभीर रूप से घायल हो गई।

अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, बांग्लादेश में स्थित अलकायदा से प्रेरित आतंकवादी समूह अंसारुल्लाह बांग्ला टीम ने हमले की जिम्मेदारी ली।

जिया, कथित तौर पर बाद में पाकिस्तान भाग गया था उसकी खोज बांग्लादेशी अधिकारी भी कर रहे थे। जागृति प्रकाशन के फोयसल अरेफिन दीपोन और कलाबागान के जुलहास-टोनॉय की हत्या के मामलों में 2016 में उसे खोजने के लिए 2 मिलियन टका का इनाम घोषित किया गया था। इससे पहले, 2011 में, उसने एक असफल तख्तापलट में भी प्रमुख भूमिका निभाई थी।

हाल में बांग्लादेश लौटा है सैयद जिया-उल-हक!

हाल ही में वीजा चाहने वाले पाकिस्तानी नागरिकों के लिए अनिवार्य सुरक्षा मंजूरी की नीति में व्यापक रूप से ढील दी गई थी। इसके चलते कुछ सप्ताह पहले जिया को पाकिस्तानी पासपोर्ट पर ढाका लौटने में सुविधा हुई।

रिपोर्ट में कहा गया कि, अपनी वापसी के तुरंत बाद, जिया ने औपचारिक रूप से सभी आरोपों से बरी होने और 29 दिसंबर, 2024 को ‘मोस्ट-वांटेड’ सूची से हटाए जाने के लिए आवेदन किया। उसने सभी दोषसिद्धियों को रद्द करने और इनाम वापस लेने की मांग की।

स्थानीय मीडिया ने बताया कि बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी-बीडी) की गुमशुदगी समिति के प्रमुख न्यायमूर्ति मैनुल इस्लाम चौधरी, जो पूरे मामले की जांच करेंगे, जिया के ससुर हैं।

कट्टरवादी ताकतों को छूट दे रही यूनुस

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर यह आरोप लगातार लग रहे हैं कि वह कट्टरवादी ताकतों को हवा दे रही है। पिछले साल अगस्त में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद देश में अल्पसंख्यकों और उनके धार्मिक स्थलों को भी निशाना बनाने की खबरें लगातार आ रही है।

बांग्लादेश के जाने-माने पत्रकार सलाह उद्दीन शोएब चौधरी ने बीएलआईटीजेड में लिखा, “यूनुस प्रशासन ने पहले भी अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के नेता जशीमुद्दीन रहमानी जैसे अन्य इस्लामवादी लोगों को बरी किया है। अपनी रिहाई के बाद रहमानी ने सार्वजनिक रूप से भारत में जिहाद और ‘गजवा-ए-हिंद’ को लागू करने का आह्वान किया।

इन कार्रवाइयों ने बांग्लादेश की आतंकवाद-रोधी प्रतिबद्धता के बारे में चिंताएँ बढ़ा दी हैं और देश के चरमपंथी गतिविधियों का केंद्र बनने की आशंकाएं पैदा कर दी हैं।”

बांग्लादेश बनेगा आतंकियों का लॉन्चपैड!

चौधरी के अनुसार, जिया की रिहाई के अनुरोध को स्वीकार करने के यूनुस प्रशासन के फैसले के दूरगामी परिणाम होंगे, जो बांग्लादेश को आतंकवादियों के लिए लॉन्चपैड में बदल सकते हैं और पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर सकते हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की गिरती प्रतिष्ठा को भी गंभीर नुकसान पहुँच सकता है।

विश्लेषकों का मानना ​​है कि यूनुस बांग्लादेश को गहरी अराजकता और अव्यवस्था में धकेल रहे हैं, जिससे देश पर गंभीर प्रतिबंध लग सकते हैं, खासकर इस महीने के अंत में डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में वाशिंगटन में नए अमेरिकी प्रशासन के कार्यभार संभालने के बाद।

(यह खबर आईएएनएस समाचार एजेंसी की फीड द्वारा प्रकाशित है। इसका शीर्षक बोले भारत न्यूज डेस्क द्वारा दिया गया है।)

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