Friday, October 10, 2025
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यासीन मलिक के 85 पन्नों के हलफनामे से सियासी खलबली, मनमोहन सिंह से लेकर वाजपेयी और डोभाल का जिक्र

यह हलफनामा ऐसे समय में आया है जब दिल्ली हाई कोर्ट राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की उस अपील पर सुनवाई कर रहा है जिसमें 2017 के आतंकी-वित्तपोषण मामले में यासीन मलिक की आजीवन कारावास की सजा को बढ़ाकर मौत की सजा करने की मांग की गई है।

नई दिल्ली: जेल में बंद अलगाववादी नेता और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक ने दावा किया है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2006 में पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) प्रमुख और 26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद से मुलाकात के बाद उसके प्रति ‘आभार’ व्यक्त किया था। यासीन मलिक ने 25 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट में दायर एक हलफनामे में यह दावा किया।

85 पन्नों के इस हलफनामे में मलिक ने कई और बड़े दावे किए हैं। उसने दावा किया है कि 1994 में जेल से रिहा होने के बाद कुछ केंद्रीय मंत्रियों, इंटेलिजेंस के अधिकारियों, विदेशी राजनयिको और तब विपक्ष के नेता रहे और पूर्व पीएम अटल बिहार वाजपेयी से भी मुलाकात की थी। मलिक ने 2006 में तब प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह से मुलाकात की बात कही है।

‘हाफिज सईद से मिलने के लिए दिया धन्यवाद’

यासिन मलिक के इस हलफनामे की एक प्रति भाजपा नेता अमित मालवीय ने एक्स पर साझा की है। हलफनामे के मुताबिक मलिक ने कहा, ‘जब मैं पाकिस्तान से नई दिल्ली लौटा, तो विशेष निदेशक आईबी वीके जोशी ने डीब्रीफिंग अभ्यास के तहत मुझसे होटल में मुलाकात की और मुझसे इस बारे में प्रधानमंत्री को तुरंत जानकारी देने का अनुरोध किया। मैंने उसी शाम प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की, जहां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एन के नारायण भी मौजूद थे। मैंने उन्हें अपनी बैठकों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने मेरे प्रयासों, समय, धैर्य और समर्पण के लिए मुझे अपना आभार व्यक्त किया। लेकिन जैसा कि भाग्य में था, हाफिज सईद और पाकिस्तान के अन्य आतंकवादी नेताओं के साथ मेरी यह बैठक, जो केवल विशेष निदेशक आईबी वी के जोशी के अनुरोध पर की गई थी, उसे मेरे खिलाफ एक अलग संदर्भ में चित्रित किया गया।’

मलिक के अनुसार, ‘फरवरी 2006 में, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मुझे औपचारिक बातचीत के लिए नई दिल्ली आमंत्रित किया था…मुलाकात के दौरान, भारतीय प्रधानमंत्री ने मुझसे कहा कि भारत कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए पूरी कोशिश कर रहा है। मुझसे कहा गया- ‘निश्चिंत रहिए, मलिक साहब, मैं इस मुद्दे को सुलझाना चाहता हूँ।’

मलिक ने दावा किया कि 2006 में आतंकी नेताओं के साथ बैठक उसकी व्यक्तिगत पहल नहीं थी, बल्कि पाकिस्तान के साथ गुप्त शांति प्रक्रिया के तहत भारतीय खुफिया अधिकारियों के अनुरोध पर हुई थी। मलिक के अनुसार, ‘तत्कालीन विशेष निदेशक आईबी वीके जोशी ने मुझसे नई दिल्ली में मुलाकात की थी और मुझसे अनुरोध किया था कि चूँकि मैं पाकिस्तान दौरे में वहां के राजनीतिक नेताओं से मिलूँगा, इसलिए यह बहुत मददगार होगा यदि मैं इस यात्रा के दौरान हाफिज सईद और अन्य आतंकी नेताओं के साथ बातचीत कर सकूँ ताकि कश्मीर मुद्दे पर शांति प्रक्रिया में हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मदद कर सकूँ।’

मलिक ने आगे कहा है, ‘मुझसे हाफिज सईद और पाकिस्तान के अन्य आतंकी नेताओं के साथ इस बैठक के लिए विशेष रूप से अनुरोध किया गया था, इस बहाने कि राष्ट्रीय राजधानी में हुए बम विस्फोट को देखते हुए आतंकवाद और शांति वार्ता एक साथ नहीं चल सकती।’ मलिक ने कहा कि उसका अनुरोध स्वीकार कर लिया गया और बाद में वह पाकिस्तान में एक समारोह में हाफिज सईद और यूनाइटेड जिहाद काउंसिल के अन्य नेताओं से मुलाकात कर सका।

मलिक ने आरोप लगाया है कि 2006 की बैठक को उसके खिलाफ यूएपीए लगाने के आधार के तौर पर दिखाया गया, जबकि उसने खुले तौर पर बातचीत की थी और भारत के शीर्ष नेतृत्व को इस बारे में रिपोर्ट की थी। मलिक ने कहा है, ‘यह एक तरह का विश्वासघात था, जहाँ शांति वार्ता को मजबूत करने के लिए काम करने के बाद जहां मुझे आदर्श रूप से शांति और सद्भाव के दूत के रूप में देखा जाना चाहिए था, जबकि इसके विपरीत, भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए के निरस्तीकरण से ठीक पहले और इस बैठक के 13 साल बाद, इसे असल संदर्भ से इतर प्रस्तुत किया गया, यूएपीए लगाने की जरूरतों को पूरा करने के लिए इसे तोड़ा-मरोड़ा गया और मुझे आतंकवादी के रूप में पेश करने के लिए इसे पेश किया गया।’ मलिक ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार पूरी कश्मीरी राजनीति नेतृत्व को खत्म करना चाहती है और अपना एजेंडा आगे बढ़ाना चाहती है।

अटल बिहारी वाजपेयी के जवाब ने हैरान किया

इसी हलफनामे में मलिक ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मौजूदा रक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ मीटिंग का दावा किया है। मलिक का दावा है कि 1994 में जेल से रिहा होने के करीब एक साल बाद उसकी वाजपेयी से मुलाकात हुई थी, जो तब विपक्ष के नेता थे।

मलिका के अनुसार, ‘जब मैं पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी से मिला (1994 में मेरी रिहाई के बाद), तब वे 1995 में विपक्ष के नेता थे। मैं एक युवा लड़का था, आपके देश ने हमें एक लोकतांत्रिक अधिकार देने का वादा किया था, लेकिन जब हम इसे मांग रहे हैं, तो आपकी सेना हमारे लोगों को मार रही है। बदले में उनका जवाब बहुत विनम्र था, उन्होंने कहा – यासीन जी, काँच के धागे का ही सही, हमारे साथ कोई ना कोई रिश्ता ज़रूर रखें, और इस जवाब ने मुझे हैरान कर दिया।’

अजीत डोभाल से मुलाकात…धीरूभाई अंबानी से फोन पर बात

यासीन मलिक के अनुसार, ‘वर्ष 2000-2001 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रमजान में युद्धविराम की घोषणा की थी। तत्कालीन विशेष आईबी निदेशक अजीत कुमार डोभाल ने नई दिल्ली में मुझसे मुलाकात की और आईबी निदेशक श्यामल दत्ता और तत्कालीन प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा के साथ मेरी स्वतंत्र रूप से एक बैठक की व्यवस्था की। दोनों ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए बातचीत की प्रक्रिया को लेकर गंभीर हैं, और मुझे उनके रमजान में युद्धविराम का समर्थन करना चाहिए।’

वर्तमान में तिहाड़ जेल में बंद मलिक के हलफनामे में शीर्ष सरकारी प्रतिनिधियों के साथ बंद कमरे में बैठकों और रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक धीरूभाई अंबानी सहित कुछ अन्य प्रमुख हस्तियों के साथ बातचीत का भी दावा किया गया है।

मलिक के अनुसार साल 2000 में आरके मिश्रा ने उन्हें वसंत विहार स्थित अपने आवास पर आमंत्रित किया था। मलिक के मुताबिक ‘बैठक में, आरके मिश्रा ने मुझे धीरूभाई अंबानी से फोन पर बात कराई, जहाँ बातचीत के अलावा…हमने अपनी-अपनी सामान्य पृष्ठभूमि पर भी चर्चा की।’

हलफनामे में कहा गया है, ‘पीवी नरसिम्हा राव के शासनकाल में युद्धविराम समझौते के तहत मेरे खिलाफ किसी भी मामले को आगे नहीं बढ़ाया गया। मिलिटेंसी के 32 केस में बेल दी गई। भारत सरकार के हर कार्यकाल में, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2019 तक अपने पहले चरण में भी, यह वादा निभाया गया।’

मलिक के हलफनामे के अनुसार 1990 में गिरफ्तार होने के बाद, उसे महरौली के एक गेस्ट हाउस में स्थानांतरित कर दिया गया। यहां तत्कालीन सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) प्रमुख, आईबी के विशेष निदेशक अशोक पटेल और पुलिस प्रमुख जेएन सक्सेना ने उससे मुलाकात की। मलिक ने हलफनामे में कहा, ‘उन्होंने मुझे तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के साथ रात्रिभोज के लिए मनाने की पूरी कोशिश की। मैंने कड़ा इनकार किया और मेरे बार-बार इनकार करने के बाद, मुझे आगरा की केंद्रीय जेल में स्थानांतरित कर दिया गया।’

मलिक ने यह भी कहा कि आगरा जेल में तबीयत बिगड़ने के बाद उसे महरौली के एक बंगले में स्थानांतरित कर दिया गया, जिसके बाद सरकार ने तत्कालीन गृह मंत्री राजेश पायलट, दो राज्यपालों और वरिष्ठ अधिकारियों को बातचीत के लिए भेजा। मलिक ने कहा कि तीन साल तक चली ऐसी बातचीत के बाद, उसे मई 1994 में जेल से रिहा कर दिया गया था।

यासीन मलिक क्यों देना पड़ा है हलफनामा?

यह हलफनामा ऐसे समय में आया है जब दिल्ली हाई कोर्ट राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की उस अपील पर सुनवाई कर रहा है जिसमें 2017 के आतंकी-वित्तपोषण मामले में मलिक की आजीवन कारावास की सजा को बढ़ाकर मौत की सजा करने की मांग की गई है। पीठ ने मलिक को 10 नवंबर तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।

साल 2022 में, मलिक को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। निचली अदालत ने माना था कि मलिक का मामला मौत की सजा देने के रूप में योग्य नहीं था।

एनआईए के मामले में मलिक और हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन और शब्बीर शाह सहित अन्य पर कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए पाकिस्तान स्थित समूहों के साथ साजिश रचने का आरोप लगाया गया था। इस बीच एक यूएपीए न्यायाधिकरण ने हाल ही में जेकेएलएफ पर प्रतिबंध को पांच साल के लिए बढ़ा दिया है और कहा है कि अलगाववाद की वकालत करने वाले संगठनों के प्रति कोई सहिष्णुता नहीं दिखाई जा सकती।

विनीत कुमार
विनीत कुमार
पूर्व में IANS, आज तक, न्यूज नेशन और लोकमत मीडिया जैसी मीडिया संस्थानों लिए काम कर चुके हैं। सेंट जेवियर्स कॉलेज, रांची से मास कम्यूनिकेशन एंड वीडियो प्रोडक्शन की डिग्री। मीडिया प्रबंधन का डिप्लोमा कोर्स। जिंदगी का साथ निभाते चले जाने और हर फिक्र को धुएं में उड़ाने वाली फिलॉसफी में गहरा भरोसा...
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