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पंजाब: 2 रुपये किलो गोभी बेचने को मजबूर नाराज किसान खुद ही फसल कर रहे नष्ट

जालंधरः पंजाब के जालंधर में कई किसान गोभी की फसल को बर्बाद कर रहे हैं। किसान फसल को नष्ट करने का मुख्य कारण उचित मूल्य न मिलना बता रहे हैं। फसल का सही मूल्य न मिलने से ये किसान फसल को नष्ट करने पर मजबूर हैं। किसानों का कहना है कि उन्हें एक गोभी का मूल्य सिर्फ दो रुपये ही मिल पा रहा है। जबकि बाजार में एक गोभी की कीमत लगभग 20 रुपये है। 

बीते साल किसानों को गोभी की फसल में अच्छा फायदा हुआ था। इस वजह से किसान पिछले साल की तुलना में इस साल अधिक भूमि पर गोभी की फसल उगा रहे थे। हालांकि सही दाम न मिलने की वजह से किसान परेशानी का सामना कर रहे हैं।

बीते साल मिला था अच्छा मुनाफा

द ट्रिब्यून में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, कपूरथला के स्वाल गांव के किसान गजान सिंह ने बताया कि पिछले साल उन्हें गोभी की फसल से अच्छा मुनाफा मिला था। इसलिए उन्होंने इस साल तीन एकड़ से बढ़ाकर 13 एकड़ में गोभी की फसल उगाई थी। हालांकि नतीजे आशा के विपरीत रहे। फसल का उचित दाम न मिलने से बहुत से किसान परेशानी से जूझ रहे हैं। 

एक अन्य किसान मोहन सिंह ने भी उचित दाम न मिलने के कारण दो एकड़ फसल की जुताई करा दी। मोहन सिंह ने बताया “कि करिए? हम इसी से गुजरते हैं। सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं मिलती है। बहुत से किसानों ने गोभी की फसल उगाई थी कि उन्हें इससे लाभ होगा। लेकिन सभी फसल को नष्ट कर रहे हैं जो कि झकझोर देने वाली है।”

एक एकड़ में 20-25 हजार का आता है खर्च

किसानों का कहना कि एक एकड़ फसल में करीब 20 से 25 हजार का खर्च आता है। इस खर्च में मजदूरी, डीजल और उर्वरकों की लागत शामिल है। ऐसे में इस साल उन्हें बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है। 

उन्होंने कहा कि “इसमें कोई फायदा नहीं है। यह दुख की बात है कि हम लोग इस तरह से झेल रहे हैं।”

इसी तरह सुखजिंदर सिंह ने भी दो एकड़ में गोभी की फसल लगाई थी। उन्होंने बताया कि गोभी को काटने के लिए मजदूर 1.5 रुपये प्रति किलो लेते हैं और हमें 1-2 रूपये प्रति किलो मूल्य मिला रहा है। इसलिए फसल को काटने के बजाय किसान फिर से हटाने का विचार कर रहे हैं।

गोभी के अधिक उत्पादन है कारण

बीते साल करीब 500 हेक्टेयर जमीन पर गोभी की खेती हुई थी। वहीं, इस बार यह बढ़कर करीब 600 एकड़ हो गई। बागवानी विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, इस साल गोभी का उत्पादन पिछले साल की तुलना से अधिक हुआ है। इसलिए किसानों को कम दाम मिल रहा है। इसके साथ ही जिन किसानों ने देर से होने वाली प्रजाति की फसल लगाई थी। उन्हें भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 

इससे दो साल पहले भी इसी तरह की कुछ स्थिति बनी थी। तब किसान सब्जियों को नष्ट करने पर मजबूर थे। उस समय आलू और टमाटर जैसी फसलों में ऐसी समस्या हो रही थी। किसानों को डर है कि अगर उन्हें आलू के लिए भी 4-6 रूपये प्रति किलो मिलेगा तो आलू भी सड़कों पर फेंकने के लिए मजबूर हो जाएंगे। 

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