पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली की एक अदालत ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के संस्थापक लालू प्रसाद यादव सहित उनके बेटे और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री व लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले में आरोप तय कर दिया।
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने इन तीनों पर IRCTC घोटाला मामले में आरोप तय करने का आदेश दिया। आरोप तय करने के बाद कोर्ट ने लालू यादव से पूछा कि क्या वो अपना अपराध मानते हैं? इस पर लालू ने कहा कि वे निर्दोश हैं और मामले में अब चलने वाले ट्रायल का सामना करेंगे। कोर्ट में आरोप तय किए जाने के बाद लालू सहित तेजस्वी और राबड़ी देवी भी वहां मौजूद थे। IRCTC घोटाला मामले में लालू, तेजस्वी और राबड़ी देवी सहित 14 आरोपी हैं। बता दें कि ये मामला लैंड फॉर जॉब घोटाले से अलग है।
IRCTC घोटाला: किन धाराओं में तय किए गए आरोप
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान माना कि शुरुआती जांच में ये पता चलता है कि लालू यादव की जानकारी में घोटाले की साजिश रची गई। कोर्ट ने कहा कि इसमें लालू परिवार को फायदा मिला। लालू और उनके परिवार पर जिन धाराओं के तहत आरोप तय किए है, उनमें IPC 420, IPC 120B शामिल हैं। साथ ही प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 13(2) और 13 (1)(d) भी है जो सिर्फ लालू यादव पर लगाई गई है। राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव पर 120बी और 420 के तहत केस चलेगा।
क्या है IRCTC घोटाला और मामले में कब क्या हुआ?
यह पूरा मामला आईआरसीटीसी के दो होटलों के संचालन का ठेका एक निजी कंपनी को देने में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है। इस मामले में 2017 में सीबीआई ने केस दर्ज किया था। ऐसे आरोप हैं कि 2004 से 2009 के बीच जब लालू यादव रेल मंत्री थे, तब IRCTC के दो होटलों BNR रांची और BNR पुरी के रखरखाव के ठेके अवैध तरीके से सुजाता होटल को दिए गए थे। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि इस सौदे के बदले में लालू यादव को एक बेनामी कंपनी के माध्यम से तीन एकड़ जमीन मिली।
सीबीआई ने 2017 में लालू यादव और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। सीबीआई ने दिल्ली की अदालत को बताया था कि सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। वहीं, लालू यादव के वकील ने दलील दी थी कि आरोप तय करने के लिए कोई सबूत नहीं है और टेंडर निष्पक्ष तरीके से दिए गए थे।
सीबीआई के अनुसार निविदा प्रक्रिया में धांधली और हेराफेरी की गई। इसमें सुजाता होटल्स की मदद के लिए शर्तों में बदलाव किया गया। आरोपपत्र में आईआरसीटीसी के तत्कालीन समूह महाप्रबंधकों वी. के. अस्थाना और आर. के. गोयल सहित सुजाता होटल्स के निदेशकों और चाणक्य होटल के मालिकों विजय कोचर और विनय कोचर का भी नाम है। इसमें डिलाइट मार्केटिंग कंपनी और सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को आरोपी कंपनियों के रूप में नामजद किया गया है। डिलाइट मार्केटिंग कंपनी को अभी लारा प्रोजेक्ट्स के नाम से जाना जाता है।
सीबीआई ने इस मामले में कोर्ट में अपनी बहस 1 मार्च 2025 को पूरी कर ली थी। इसके बाद राउज एवेन्यू कोर्ट ने 29 मई 2025 को आरोप तय करने के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।