Homeमनोरंजनआवार कुत्तों पर SC के फैसले को लेकर बॉलीवुड एक्टरों ने क्या...

आवार कुत्तों पर SC के फैसले को लेकर बॉलीवुड एक्टरों ने क्या कहा है?

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में भेजने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। इस फैसले के खिलाफ बॉलीवुड और टीवी जगत के कई जाने-माने सितारों ने अपनी चिंता और संवेदनाएं जाहिर की हैं। हालांकि, इस विवाद के बीच बुधवार मुख्य न्यायाधीश ने इस आदेश की समीक्षा करने पर सहमति जताई है।

किन सेलेब्रिटीज ने उठाई आवाज

भूमि पेडनेकर: अभिनेत्री ने इस फैसले को कुत्तों की समस्या का समाधान मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि आवारा कुत्ते हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं और हजारों सालों से हमारे साथ रहे हैं। उन्होंने अपने कुत्ते ब्रूनो की कहानी साझा करते हुए बताया कि कैसे वह बचपन में क्रूरता का शिकार हुआ था। भूमि ने जोर देकर कहा कि कुत्तों को जबरन हटाने की बजाय, हमें उनके लिए नसबंदी, नियमित टीकाकरण और सामुदायिक देखभाल जैसी व्यवस्थाएं बनानी चाहिए।

जॉन अब्राहम: उन्होंने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर इस आदेश पर दोबारा विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ये कुत्ते आवारा नहीं, बल्कि ‘सामुदायिक कुत्ते’ हैं, जिनकी कई लोग देखभाल करते हैं। जॉन ने बताया कि यह आदेश पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम, 2023 के खिलाफ है, जिसके अनुसार कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के बाद उन्हें उनके इलाके में ही वापस छोड़ दिया जाता है।

करिश्मा तन्ना और अदिवि शेष: इन दोनों कलाकारों ने भी इस फैसले पर गहरी निराशा व्यक्त की। करिश्मा ने एक भावनात्मक पोस्ट में कहा, “जब आप एक कुत्ते को उसकी गली से हटाते हैं, तो आप उसकी पूरी दुनिया छीन लेते हैं।” वहीं, अदिवि शेष ने मुख्य न्यायाधीश और दिल्ली सरकार को लिखे पत्र में कहा कि यह आदेश कानून ही नहीं, बल्कि भारत के मानवीय आदर्शों के भी खिलाफ है। उन्होंने दिल्लीवासियों से अपील की कि वे इन बेसहारा कुत्तों को अपनाएं और एनिमल वेलफेयर एनजीओ का समर्थन करें।

स्वास्तिका मुखर्जीः इस बीच मशहूर अभिनेत्री स्वास्तिका मुखर्जी ने सोशल मीडिया के जरिए से दिल्लीवासियों से एक भावनात्मक और सामाजिक अपील की, जिसमें उन्होंने सड़कों पर रहने वाले डॉग्स को अपनाने और पशु कल्याण संगठनों का समर्थन करने का आग्रह किया।

स्वास्तिका ने अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा, ”अगर आप दिल्ली के निवासी हैं, तो क्या मैं आपको एक या एक से ज्यादा इंडी डॉग्स को गोद लेने के लिए मना सकती हूं? एक नहीं, बल्कि एक से ज्यादा। ये जानवर बेहद स्वस्थ होते हैं, उन्हें ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती, और वे बदले में आपको इतना प्यार और स्नेह देते हैं, जितना आप सोच भी नहीं सकते।”

इसके साथ ही उन्होंने सभी लोगों से अपने नजदीकी एनिमल वेलफेयर एनजीओ का खुले दिल से समर्थन करने की भी अपील की।

उन्होंने कहा, ”कृपया अपने नजदीकी एनिमल वेलफेयर एनजीओ का दिल खोलकर और उदारता से समर्थन करें। मैं ऐसा करने जा रही हूं और उम्मीद करती हूं कि आप भी करेंगे। क्योंकि अदालतों में अपीलें दायर की जाती हैं और प्रक्रियाएं समय लेती हैं, ऐसे में जरूरी है कि हमारी इंसानियत तुरंत जागे। आप भी अपना योगदान दें। चाहे छोटा हो या बड़ा, हर प्रयास मायने रखता है और एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में कदम हो सकता है।”

एनिमल वेलफेयर संगठनों ने जताई आपत्ति

पंजाब के होशियारपुर में एनिमल केयर सोसायटी के अध्यक्ष चांद कौशल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इतनी बड़ी संख्या में कुत्तों को एक साथ शेल्टर होम में रखने से वे आपस में लड़कर मर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में भी पशु सेवा पर जोर दिया गया है और अपील की कि नसबंदी और टीकाकरण के बाद कुत्तों को उन्हीं के इलाकों में रहने दिया जाए।

एक ओर जहाँ कलाकार और पशु प्रेमी इस फैसले का विरोध कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वकील अभिषेक शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर अदालत परिसर में आवारा कुत्तों की मौजूदगी पर चिंता जाहिर की। उन्होंने मांग की है कि आदेश के बावजूद परिसर में घूम रहे सभी कुत्तों को तुरंत शेल्टर होम भेजा जाए।

क्या था सुप्रीम कोर्ट का आदेश?

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर में सभी आवारा कुत्तों को आठ हफ्तों के भीतर पकड़कर नागरिक प्राधिकरण द्वारा बनाए गए विशेष शेल्टर होम में रखने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने यह भी साफ किया था कि इस प्रक्रिया में बाधा डालने वाले किसी भी व्यक्ति या संगठन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

हालाँकि, इस आदेश पर बहस छिड़ने के बाद, अभिनेता रणदीप हुड्डा ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश ने इस फैसले पर दोबारा विचार करने की सहमति दी है। रणदीप ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि कुत्तों को एक साथ बंद करने के बजाय बड़े पैमाने पर नसबंदी और टीकाकरण जैसे दीर्घकालिक समाधान पर काम किया जाना चाहिए।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.in
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments