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रूस के साथ जंग के बीच जेलेंस्की ने कर दी यूरोपीय सेना बनाने की मांग

म्यूनिख: रूस के साथ जारी जंग के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने यूरोपीय सेना बनाने की मांग की है। जेलेंस्की ने कहा कि रूस युद्ध को खत्म करने के लिए बातचीत में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। जेलेंस्की ने उदाहरण के तौर पर रूस के खिलाफ युद्ध का हवाला देते हुए कहा कि इसने साबित कर दिया है कि यूरोपीय सेना की नींव ‘पहले से ही मौजूद है।’

जेलेंस्की ने यह टिप्पणी जर्मनी में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में की। जेलेंस्की ने यह भी संदेह जताया कि ‘अमेरिकी उन मुद्दों पर यूरोप को ना कह सकता है जो उसे खतरे में डालता हो।’ जेलेंस्की ने कहा, ‘मुझे सच में विश्वास है कि समय आ गया है। यूरोप की सशस्त्र सेनाएं बनाई जानी चाहिए ताकि यूरोप का भविष्य केवल यूरोपीय लोगों पर निर्भर हो।’ 

‘रूस शांति नहीं चाहता’

जेलेंस्की ने कहा, ‘यह (रूस) ऐसा देश नहीं है जो शांति चाहता है। यह बातचीत की तैयारी नहीं कर रहा है।’

जेलेंस्की ने दावा किया कि यूक्रेन को ऐसी खुफिया रिपोर्ट मिली है कि रूस प्रशिक्षण अभ्यास के बहाने अपने सैनिकों को अपने सहयोगी बेलारूस में भेजने की योजना बना रहा है। इससे नाटो देशों के लिए “सीधा खतरा” पैदा होने वाला है।

यूक्रेनी राष्ट्रपति ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ‘स्पष्ट रूप से बेलारूस को अब सिर्फ एक रूसी प्रांत के रूप में देखते हैं।’ इससे पहले जेलेंस्की ने सम्मेलन में कहा कि अगर यूक्रेन नाटो में शामिल होने में विफल रहता है तो इसे अपनी सेना का आकार दोगुना करना होगा।

जेलेंस्की के इस भाषण के दौरान नाटो के महासचिव मार्क रूटे भी मौजूद थे। जेलेंस्की ने कहा कि उनका विचार गठबंधन को बदलने को लेकर नहीं है। बकौल जेलेंस्की वे बस इतना कह रहे हैं कि यूरोप को भी गठबंधन में अमेरिका के बराबर आना चाहिए और सेना तैयार करनी चाहिए।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति से जेलेंस्की की मुलाकात

जेलेंस्की ने शुक्रवार को अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से मुलाकात की थी और रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए शांति समझौते पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि यूक्रेन रूस के साथ कोई भी शांति वार्ता करने से पहले ‘सुरक्षा गारंटी’ चाहता है।

जेलेंस्की ने शुक्रवार को एनबीसी न्यूज से कहा था कि उनके देश के लिए अब अमेरिका के सैन्य समर्थन के बिना और भविष्य में किसी रूसी हमले की स्थिति में जीवित रहना ‘बहुत, बहुत, बहुत मुश्किल’ होगा। गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार कहा है कि रूसी कार्रवाई के खिलाफ अमेरिकी सेना यूक्रेन में तैनात नहीं होगी।

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