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Tech Tips: AI जेनरेटेड इमेज कैसे पहचानें…Nano Banana से क्या प्राइवेसी का खतरा है?

Nano Banana जैसे टूल्स की मदद से अब शानदार तस्वीरें बनाना बेहद आसान हो गया है। यूजर कुछ ही क्लिक में ये तस्वीरें बना सकते हैं। वैसे, इन AI-जनरेटेड तस्वीरों सहित इसका जिस तरह इस्तेमाल हो रहा है, उससे डेटा सेफ्टी आदि जैसे कई सवाल भी खड़े हुए हैं।

भारत में इन दिनों गूगल के लेटेस्ट एआई इनोवेशन Nano Banana की धूम मची है। यह जेमिनी इंजन और अत्याधुनिक मशीन लर्निंग एल्गोरिदम से संचालित है, और खूब पसंद किया जा रहा है। यह प्लेटफॉर्म यूजरों को बेहद असली नजर आने वाली 3D इमेज बनाने, सेल्फी को पुराने या आपकी पसंद के अनुसार के कपड़ों में बदलने, एनिमेटेड अवतार बनाने आदि में मदद करता है।

सोशल मीडिया पर ‘Nano Banana’ की वायरल तस्वीरों ने लाखों लोगों को आकर्षित किया है। आम यूजर से लेकर मशहूर हस्तियों तक में इसे लेकर एक क्रेज देखा जा रहा है। भारत इसका इस्तेमाल करने वाले शीर्ष देशों में शामिल हो गया है।

हालाँकि, इसके लोकप्रिय होने के बाद कई और तरह की चर्ताओं ने भी जन्म लिया है। इसमें सबसे अहम है- डेटा की सुरक्षा। इसके अलावा किसी की प्राइवेसी, तस्वीरों का नैतिक तरह से इस्तेमाल जैसे मुद्दे भी हैं। कुल मिलाकर इस नई तकनीक ने यह भी जरूरी बना दिया है कि इसका किसी गलत काम के लिए नहीं बल्कि जिम्मेदारी से इस्तेमाल हो। एआई के लगातार उन्नत होने के अपने फायदे हैं लेकिन कुछ खतरे भी हैं। इसलिए इस बारे में समझना जरूरी है। ये भी जानना जरूरी है कि कैसे किसी एआई इमेज की पहचान की जाए और साथ ही ये भी अपने डेटा की सुरक्षा कैसे की जाए। आईए, इन सभी पहलुओं को समझने की कोशिश करते हैं।

एआई इमेज का बढ़ता संसार- मौके भी..और खतरे भी

सोशल मीडिया हमेशा से ही खुद को और अपने विचारों की अभिव्यक्ति का एक मंच रहा है। Nano Banana जैसे टूल्स की मदद से अब शानदार तस्वीरें बनाना बेहद आसान हो गया है। यूजर कुछ ही क्लिक में ये तस्वीरें बना सकते हैं। वैसे, इन AI-जनरेटेड तस्वीरों का गलत फायदा भी कई उठा सकते हैं, जिससे चिंता बढ़ी है। डेटा की गोपनीयता एक और महत्वपूर्ण पहलू है।

AI टूल्स पर अपनी व्यक्तिगत तस्वीरें अपलोड करने से डेटा संग्रहण, उपयोग और इसके भविष्य में संभावित दुरुपयोग को लेकर सवाल उठ रहे हैं। लाखों यूजर अपनी ही तस्वीरों का इस्तेमाल AI जनरेटेड सामग्री साझा कर रहे हैं, इसलिए व्यक्तिगत डेटा के गलत उपयोग या इसके इस तरह एक्सपोज होने का जोखिम पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है।

अभी हाल में एक सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें उसने बताया कि उसने अपनी फूल स्लिव्स वाली सूट पहनी तस्वीर को साड़ी में बदलने का कमांड दिया था। हालांकि, वो ये देखकर हैरान रह गई कि Nano Banana ने जो एआई इमेज उसकी बनाई, उसमें उसकी बांह में तिल दिखाया गया था। दिलचस्प ये था कि महिला की हाथ में सही में उस जगह पर तिल है, जहां एआई ने दिखाया था। ऐसे में सवाल उठे कि अगर शेयर की तस्वीर में तिल कपड़े के नीचे छिपा था तो एआई को कैसे पता चला?

एआई जेनरेटेड इमेज को कैसे पहचानें?

एआई इमेज को गौर से देखने पर बहुत हद तक पहचाना जा सकता है। मसलन तस्वीर में किसी दिखाए गए किसी शख्स की अतिरिक्त उंगलियां, कुछ विकृत आकृतियां, चेहरों में बदलाव, या इमेज के बैकग्राउंड को देखने पर इसके असली या नकली होने के संकेत मिलने लगते हैं। इस तरह की खामियां अक्सर तस्वीर के AI द्वारा बनाए जाने का सबूत दे देती हैं।

इसके अलावा टेक्स्ट और अगर कोई लोगो नजर आ रहा है, उसकी भी जांच करें। AI सटीक टेक्स्ट बनाने में कई बार फेल होता है। कुछ ऐसे शब्द नजर आ सकते हैं, जिसका कोई अर्थ नहीं होगा। इसके अलावा तस्वीर में उल्ट-पुल्टे अक्षरों नजर आएंगे। अजीब या बिना कोई मतलब लिए टेक्स्ट एक आम संकेत है कि तस्वीर एआई जेनरेटेड है। इसके अलावा तस्वीर में प्रकाश और छाया की भी जांच करें। असली तस्वीरों में आमतौर पर पूरी तरह से एक समान प्रकाश होता है।

इसके अलावा छवि के मेटाडेटा की जांच कर सकते हैं। इसके लिए FotoForensics या Metadata2Go जैसे टूल का उपयोग करें। AI द्वारा बनाईं छवियां असामान्य सॉफ्टवेयर, कैमरा डेटा नहीं होने या तस्वीर की तारीख को लेकर अजीबोगरीब जानकारी दे सकती हैं। यह संकेत है कि तस्वीर असली नहीं है।

बता दें कि जैसे-जैसे एआई-जनरेटेड कटेन्ट बढ़ता जा रहा है, डिजिटल प्रामाणिकता और गोपनीयता बनाए रखने के लिए भरोसेमंद मैकमिज्म विकसित करना बेहद जरूरी हो गया है। फिलहाल सोशल मीडिया यूजरों को सतर्क रहने, किसी भी तस्वीर के स्रोतों की पुष्टि करने और ऑनलाइन साझा करने या उन पर भरोसा करने से पहले अपनी ओर से बेहतर तरीके से जांच करने की जरूरत है, ताकि आप किसी मुसीबत में न फंसे।

विनीत कुमार
पूर्व में IANS, आज तक, न्यूज नेशन और लोकमत मीडिया जैसी मीडिया संस्थानों लिए काम कर चुके हैं। सेंट जेवियर्स कॉलेज, रांची से मास कम्यूनिकेशन एंड वीडियो प्रोडक्शन की डिग्री। मीडिया प्रबंधन का डिप्लोमा कोर्स। जिंदगी का साथ निभाते चले जाने और हर फिक्र को धुएं में उड़ाने वाली फिलॉसफी में गहरा भरोसा...

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