Friday, October 10, 2025
Homeभारतसुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम को पूरी तरह से निलंबित करने...

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम को पूरी तरह से निलंबित करने से किया इनकार, कुछ प्रावधानों पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने कानून के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी। इन प्रावधानों के तहत एक कलेक्टर को यह तय करने का अधिकार मिला था कि वक्फ घोषित की गई कोई संपत्ति सरकारी है या नहीं।

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को पूरी तरह स्थगित करने से इनकार कर दिया। लेकिन कानून के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है। इन प्रावधानों के तहत एक कलेक्टर को यह तय करने का अधिकार मिला था कि वक्फ घोषित की गई कोई संपत्ति सरकारी है या नहीं।

अदालत ने साफ कहा कि किसी भी कानून को असंवैधानिक ठहराने से पहले यह मानकर चला जाता है कि वह संवैधानिक है और केवल बेहद दुर्लभ मामलों में ही पूरे कानून पर रोक लगाई जा सकती है।

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता अधिनियम के पूरे प्रावधानों पर रोक लगाने का ठोस आधार पेश नहीं कर सके। हालांकि, जिन धाराओं पर गंभीर आपत्ति जताई गई थी, उन पर अदालत ने अंतरिम रोक लगाई है।

किन प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई?

पांच साल तक मुस्लिम होने की शर्त: अधिनियम में यह प्रावधान किया गया था कि कोई व्यक्ति तभी संपत्ति को वक्फ घोषित कर सकता है जब वह कम से कम पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों द्वारा स्पष्ट नियम बनाए बिना यह प्रावधान मनमानेपन की ओर ले जाएगा। इसलिए इस धारा को स्थगित कर दिया गया।

कलेक्टर की असीमित शक्ति पर रोक: नया कानून कलेक्टर को यह अधिकार देता था कि वह तय कर सके कि वक्फ घोषित संपत्ति वास्तव में सरकारी जमीन है या नहीं। अदालत ने कहा कि यह ‘विभाजन शक्ति के सिद्धांत’ (separation of powers) के खिलाफ है। जब तक किसी ट्रिब्यूनल या अदालत द्वारा जमीन के स्वामित्व का फैसला नहीं हो जाता, तब तक वक्फ संपत्ति प्रभावित नहीं होगी। साथ ही, इस अवधि में किसी तीसरे पक्ष को उस जमीन पर अधिकार भी नहीं दिया जा सकेगा।

गैर-मुस्लिम सदस्यों की सीमा: सुप्रीम कोर्ट ने तय किया कि केंद्रीय वक्फ परिषद में अधिकतम 4 और राज्य वक्फ बोर्डों में अधिकतम 3 गैर-मुस्लिम सदस्य ही हो सकते हैं।

सीईओ की नियुक्ति: अदालत ने यह प्रावधान नहीं रोका कि राज्य वक्फ बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी गैर-मुस्लिम भी हो सकता है, लेकिन यह स्पष्ट किया कि जहां तक संभव हो, मुस्लिम अधिकारी की नियुक्ति की जानी चाहिए।

अदालत ने कहा कि ‘वक्फ बाई यूजर’ (लंबे समय से धार्मिक या परोपकारी कार्यों में इस्तेमाल की जा रही संपत्ति को वक्फ मान लेना) नया प्रावधान नहीं है, बल्कि 1995 और 2013 के कानूनों में भी यह मौजूद था। इसलिए इस पर हस्तक्षेप नहीं किया गया।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने फैसले पर क्या कहा?

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य सैयद कासिम रसूल इलियास ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खुशी जाहिर की। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि हमारी कई बातें मान ली गई हैं। वक्फ बाई यूजर को बरकरार रखा गया है, संरक्षित स्मारकों पर कोई तीसरे पक्ष का दावा नहीं होगा और पांच साल वाला संशोधन भी हटा दिया गया है। इलियास ने कहा, हमारी कई बातें स्वीकार हो गई हैं और हम इससे काफी हद तक संतुष्ट हैं।

    वक्फ बोर्ड क्या है?

    वक्फ बोर्ड एक वैधानिक निकाय है जो मुसलमानों द्वारा धार्मिक, धर्मार्थ या सामुदायिक उद्देश्यों के लिए दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन करता है। इन संपत्तियों को वक्फ कहा जाता है। इनमें मस्जिदें, कब्रिस्तान, मदरसे, दरगाह, कृषि भूमि, स्कूल, दुकानें और अन्य संस्थाएं शामिल हो सकती हैं। एक बार जब कोई संपत्ति वक्फ घोषित हो जाती है, तो वह अविभाज्य हो जाती है—इसका मतलब है कि न तो इसे बेचा जा सकता है, न ही उपहार में दिया जा सकता है, और न ही यह विरासत में मिल सकती है।

    देश में 30 राज्य वक्फ बोर्ड हैं जो सामूहिक रूप से 8.7 लाख संपत्तियों में फैली लगभग 9.4 लाख एकड़ भूमि को नियंत्रित करते हैं। इन संपत्तियों का अनुमानित बाजार मूल्य ₹1.2 लाख करोड़ से अधिक है। इससे वक्फ बोर्ड भारतीय रेलवे और सशस्त्र बलों के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा भू-स्वामी बन जाता है। इन संपत्तियों का प्रबंधन ‘मुतवल्ली’ या ट्रस्टी करते हैं, जो बोर्डों की निगरानी में काम करते हैं। हालांकि, इन संस्थाओं को अक्सर संपत्ति विवादों, मुकदमों, अवैध कब्जों और जवाबदेही से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

    वक्फ अधिनियम क्या है?

    वक्फ संपत्तियों को नियंत्रित करने वाला कानूनी ढांचा वक्फ अधिनियम द्वारा प्रदान किया गया है। पहला व्यापक कानून 1954 में बनाया गया था, जिसे बाद में 1955 के वक्फ अधिनियम द्वारा बदल दिया गया। 1995 में इस कानून में फिर से बदलाव किए गए और 2013 के संशोधनों के माध्यम से इसे और मजबूत किया गया। यह अधिनियम सभी वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण, राज्य बोर्डों के साथ उनके पंजीकरण और आधिकारिक राजपत्रों में उनके प्रकाशन को अनिवार्य करता है। यह केंद्रीय वक्फ परिषद की भी स्थापना करता है, जो नीतिगत मामलों पर सरकार को सलाह देती है और राज्य बोर्डों के कामकाज की निगरानी करती है।

    1995 के वक्फ अधिनियम में वक्फ को जंगम या अचल संपत्ति के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसे मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए स्थायी रूप से समर्पित किया गया है। कानून के अनुसार, हर राज्य में एक वक्फ बोर्ड होना अनिवार्य है, जो ऐसी संपत्तियों का संरक्षक होता है। वक्फ संपत्ति से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए अधिनियम के तहत न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) भी स्थापित किए गए हैं, जिनके फैसलों के खिलाफ उच्च न्यायालयों में अपील का प्रावधान है।

    नए संशोधन में क्या है?

    गौरतलब है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को संसद ने पारित किया और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अप्रैल में अपनी मंजूरी दी, जिसके बाद यह कानून बन गया।

    इस संशोधन में कई बड़े बदलाव किए गए हैं। इसमें जिला कलेक्टरों के पास संपत्तियों का पंजीकरण, बोर्ड के सदस्यों के लिए सरकारी नामांकन, और वक्फ प्रशासन में महिलाओं और गैर-मुसलमानों को शामिल करना अनिवार्य किया गया था। सरकार ने तर्क दिया कि ये उपाय पारदर्शिता और जवाबदेही लाएंगे, जबकि विपक्ष ने इस कदम की आलोचना करते हुए इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित और मुस्लिम विरोधी बताया था।

    अनिल शर्मा
    अनिल शर्माhttp://bolebharat.in
    दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
    RELATED ARTICLES

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here

    Most Popular

    Recent Comments

    मनोज मोहन on कहानीः याद 
    प्रकाश on कहानीः याद 
    योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
    प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
    डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा