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श्रीलंका में आम चुनाव का रास्ता साफ, राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने भंग की संसद

श्रीलंका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने देश की 225 सदस्यीय संसद को भंग कर दिया है, जिससे श्रीलंका में आम चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। मार्क्सवादी नेता दिसानायके ने शनिवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज करने के तुरंत बाद यह फैसला लिया, जिससे देश में एक नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत हो गई है।

दिसानायके की वामपंथी पार्टी, नेशनल पीपल्स पावर (एनपीपी), संसद में केवल तीन सीटों के साथ बेहद सीमित प्रतिनिधित्व रखती है। लेकिन अब इस नए चुनाव के जरिए उनकी पार्टी का लक्ष्य संसद में अधिक सीटें हासिल कर अपने एजेंडे को आगे बढ़ाना है। चुनाव 14 नवंबर 2024 को होंगे, जो निर्धारित समय से एक साल पहले हो रहे हैं। यह जानकारी सरकार द्वारा जारी आधिकारिक गजट में दी गई है।

संसद भंग करना दिसानायके के वादों में शामिल था

संसद को भंग करना दिसानायके के चुनावी वादों में शामिल था। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान यह संकेत दिया था कि राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद वे संसद को भंग कर देंगे, ताकि वे अपनी नीतियों को लागू कर सकें। दिसानायके के अनुसार, “ऐसी संसद का कोई मतलब नहीं है, जो लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप न हो।”

कब हुआ था श्रीलंका में पिछला आमचुनाव?

गौरतलब है कि पिछले आम चुनाव 2020 में हुए थे, लेकिन उसके दो साल बाद श्रीलंका गंभीर राजनीतिक संकट में घिर गया। आम तौर पर एक सांसद का कार्यकाल पांच वर्षों का होता है, लेकिन देश के मौजूदा हालात को देखते हुए राष्ट्रपति दिसानायके ने समय से पहले चुनाव कराने का फैसला किया है।

अनुरा कुमारा दिसानायके ने 21 सितंबर को हुए राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की। वे श्रीलंका के पहले वामपंथी, मार्क्सवादी नेता हैं जो इस पद पर पहुंचे हैं। राष्ट्रपति पद संभालने के बाद, उन्होंने ने हरिनी अमरसूर्या को प्रधानमंत्री नियुक्त किया, जो दो दशकों बाद श्रीलंका की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी हैं।

दिसानायके ने अपने अलावा चार मंत्रियों की एक कैबिनेट नियुक्त की जिसमें अमरसूर्या को न्याय, शिक्षा, श्रम, उद्योग, विज्ञान और तकनीक, स्वास्थ्य और निवेश के मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई है। एनपीपी के सांसद विजिथा हीरथ और लक्ष्मण निपुणाराची को भी कैबिनेट मंत्रियों के रूप में शपथ दिलाई गई।

कब होंगे चुनाव

हालांकि, राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के पास बहुमत न होने के कारण पूरी तरह से कैबिनेट नियुक्त करना उनके लिए चुनौतीपूर्ण है। इसी वजह से उन्होंने चुनावी अभियान के दौरान संसद भंग करने और जल्द चुनाव कराने का वादा किया था, जिसे उन्होंने पूरा किया। मौजूदा संसद का कार्यकाल अगले अगस्त में समाप्त होना था, लेकिन अब 14 नवंबर को चुनाव कराए जाएंगे।

राष्ट्रपति दिसानायके के सामने सबसे बड़ी चुनौती अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा उनके पूर्ववर्ती विक्रमसिंघे के तहत लगाए गए सख्त आर्थिक सुधारों को हल्का करने की होगी। श्रीलंका ने हाल ही में कर्ज पर चूक की थी, जिसके बाद आईएमएफ के साथ एक राहत पैकेज पर सहमति बनी थी। विक्रमसिंघे ने चेतावनी दी है कि यदि इस पैकेज के मूलभूत ढांचे में बदलाव किया गया, तो लगभग 3 बिलियन डॉलर की चौथी किश्त की रिहाई में देरी हो सकती है।

श्रीलंका की मौजूदा आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं का मुख्य कारण खराब आर्थिक प्रबंधन और कोविड-19 महामारी के साथ-साथ 2019 के आतंकवादी हमलों से पर्यटन उद्योग पर पड़े गहरे प्रभाव को माना जा रहा है।

श्रीलंका में राजनीति पर अब तक मुख्य रूप से पुरुषों का वर्चस्व रहा है, हालांकि 1931 में सार्वभौमिक मताधिकार के लागू होने के बाद महिलाओं को राजनीति में भागीदारी का मौका मिला। 2023 में प्यू रिसर्च सेंटर के विश्लेषण के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से केवल 13 देशों में महिलाएं सरकार प्रमुख हैं। सिरिमावो भंडारनायके की छोटी बेटी, चंद्रिका कुमारतुंग, श्रीलंका की पहली और एकमात्र महिला राष्ट्रपति बनीं और 1994 से 2005 तक पद पर रहीं।

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