Thursday, October 9, 2025
Homeमनोरंजनआँखों में आँसू, होंठों पर ‘मायाबिनी’… असम ने अपने सितारे जुबीन गर्ग...

आँखों में आँसू, होंठों पर ‘मायाबिनी’… असम ने अपने सितारे जुबीन गर्ग को यूं दी अंतिम विदाई

जुबीन की चिता को मुखाग्नि उनकी छोटी बहन पाल्मी बोरठाकुर ने दी। अंतिम संस्कार के वक्त पत्नी गरिमा सैकिया गर्ग, 80 वर्षीय पिता, उनके भतीजे अरुण गर्ग और करीबी दोस्त राहुल गौतम शर्मा समेत परिवार के अन्य सदस्य भी मौजूद रहे।

गुवाहाटी: असम की गलियों और पहाड़ियों में मंगलवार को ऐसा दृश्य दिखा, जो शायद ही कोई भूल पाए। हजारों आँखों में आँसू, हजारों दिलों में दर्द और हजारों गले में केवल एक ही आवाज- ‘जोय जुबीन दा!’। उनके गीत ‘मायाबिनी रातिर बुकुट’ की धुन हर तरफ गूँज रही थी। वही गीत, जिसके बारे में जुबीन गर्ग (Zubeen Garg) ने कई बार कहा था कि उनकी मृत्यु के बाद यह गाना बजाया जाना चाहिए।

असम के इस महान गायक को मंगलवार को गुवाहाटी के कमरकुची गाँव में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई। अंतिम संस्कार में हजारों प्रशंसकों की भीड़ लगातार ‘जोय जुबीन दा’ के नारे लगा रही थी और ‘मायाबिनी’ गा रही थी।

उनका पार्थिव शरीर असमिया ‘गमोचा’ (एक पारंपरिक हाथ से बुना हुआ सूती गमछा) में लिपटा हुआ था, एक फूलों से सजी एम्बुलेंस में गुवाहाटी के अर्जुन भोगेश्वर बरुआ स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स से अंतिम संस्कार स्थल तक ले जाया गया। रास्ते भर हजारों प्रशंसकों की भीड़ एम्बुलेंस के पीछे-पीछे चल रही थी।

Guwahati: Fans pay tribute to the mortal remains of singer Zubeen Garg at Sarusajai Stadium in Guwahati on Sunday, September 21, 2025. (Photo: IANS)

जुबीन की चिता को मुखाग्नि उनकी छोटी बहन पाल्मी बोरठाकुर ने दी। क्योंकि जुबीन के जैविक बच्चे नहीं हैं। हालांकि उन्होंने 15 बच्चों को गोद ले रखा था। अंतिम संस्कार के वक्त जुबीन के 80 वर्षीय पिता, उनके भतीजे अरुण गर्ग और करीबी दोस्त राहुल गौतम शर्मा समेत परिवार के अन्य सदस्य भी मौजूद रहे। जुबीन के परिवार ने उनके प्रिय पालतू कुत्तों – इको, दिया, रैम्बो और माया – को भी अंतिम विदाई के लिए लाया था।

पत्नी गरिमा सैकिया गर्ग, जो पारंपरिक असमिया ‘मेखेला चादोर’ पहने थीं, जुबीन की चिता के सामने हाथ जोड़कर खड़ी थीं और आँखों से झर-झर आंसू बह रहे थे।

जुबीन के अंतिम संस्कार में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, किरेन रिजिजू और पबित्र मार्गेरिटा सहित असम के कई मंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

Guwahati: Assam Chief Minister Himanta Biswa Sarma pays tribute to the mortal remains of late singer Zubeen Garg in Guwahati on Tuesday, September 23, 2025. (Photo: IANS/X/@himantabiswa)

पूरे असम में शोक की लहर

जुबीन की 9 सितंबर को सिंगापुर में डूबने से हुई मौत हो गई थी जहां वे चौथे उत्तर पूर्व भारत महोत्सव में परफॉर्म करने गए थे। उनकी दुखद मृत्यु के बाद यह महोत्सव रद्द कर दिया गया था। सिंगापुर में हुई पहली पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनकी मौत का कारण ‘डूबना’ बताया गया था। हालांकि किसी साजिश की आशंका को लेकर प्रशंसकों की मांग पर राज्य सरकार ने दूसरा पोस्टमार्टम कराने का फैसला किया।

गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एम्स के डॉक्टरों की मौजूदगी में जुबीन का दूसरा पोस्टमार्टम किया गया। असम पुलिस की सीआईडी इस मामले की जांच करेगी, क्योंकि महोत्सव के मुख्य आयोजक और जुबीन के मैनेजर के खिलाफ 54 एफआईआर दर्ज की गई हैं।

रविवार को जब उनका पार्थिव शरीर दिल्ली से विशेष विमान द्वारा गुवाहाटी लाया गया, तो गुवाहाटी हवाई अड्डे और सड़कों पर लाखों की संख्या में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। राज्य सरकार ने उनके सम्मान में तीन दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की है।

असम के ‘सांस्कृतिक प्रतीक’ थे जुबीन गर्ग

52 वर्ष की उम्र में जुबीन गर्ग ने संगीत, गीत लेखन, संगीत निर्देशन, अभिनय, फिल्म निर्देशन और समाज सेवा जैसे कई क्षेत्रों में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने लगभग 38,000 गीत गाए, जिससे वे असम के ‘रॉकस्टार’ बन गए। उनकी 2006 की फिल्म ‘गैंगस्टर’ का गीत ‘या अली’ उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उन्होंने हिंदी के अलावा असमिया, बंगाली और नेपाली सहित 40 से अधिक भाषाओं में गाने गाए।

जुबीन को असम में सिर्फ एक कलाकार नहीं, बल्कि एक ‘सांस्कृतिक प्रतीक’ माना जाता था। वे समाज में अन्याय के खिलाफ मुखर थे और सरकार या राजनेताओं के सामने कभी नहीं झुके। 2019 में, उन्होंने नागरिकता कानून के खिलाफ लोगों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कोविड महामारी के दौरान उन्होंने अपना अपार्टमेंट आइसोलेशन सेंटर के रूप में इस्तेमाल करने की पेशकश की थी। वे कई दशकों तक जरूरतमंदों को आर्थिक मदद भी देते रहे, चाहे वह इलाज के लिए हो या बच्चों की पढ़ाई के लिए।

जुबीन की चिता को मुखाग्नि देतीं उनकी बहन-

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.in
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा