Saturday, October 11, 2025
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सरबजोत सिंह कौन हैं? किसान पिता के बेटे का कभी फुटबॉलर बनने का था सपना…अब ओलंपिक में निशानेबाजी में किया कमाल

पेरिस: भारतीय निशानेबाज सरबजोत सिंह और मनु भाकर ने मंगलवार को पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया। इस जोड़ी ने रोमांचक मैच में धीमी शुरुआत से उबरते हुए दक्षिण कोरिया को 16-10 से हराकर मेडल पर कब्जा जमाया। मेडल जीतना एक ओर जहां मनु भाकर और भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण रहा तो वहीं कभी फुटबॉलर बनने का सपना देखने वाले सरबजोत सिंह के लिए भी यह एक बड़ी उपलब्धि रही।

दक्षिण कोरिया के खिलाफ 16-10 से जीत

मिक्स्ड टीम इवेंट में मुकाबले की शुरुआत भारतीय जोड़ी के बैकफुट पर होने के साथ हुई और वह पहली सीरीज हार गई। हालांकि, भाकर और सिंह ने असाधारण कौशल और टीम वर्क का प्रदर्शन करते हुए जल्दी ही अपनी स्थिति वापस पा ली। उन्होंने तीसरी सीरीज में 4-2 से बढ़त बनाते हुए नियंत्रण हासिल कर लिया और पांच सीरीज़ के बाद अपनी बढ़त को 8-2 तक बढ़ा दिया।

दक्षिण कोरिया ने वापसी की कोशिश की और आठवीं सीरीज़ तक अंतर को 6-10 तक कम कर दिया, लेकिन भाकर और सिंह डटे रहे। भारतीय निशानेबाजों ने 16-10 के निर्णायक अंतर से जीत दर्ज की और भारत के लिए पेरिस ओलंपिक खेलों का दूसरा पदक हासिल किया।

जीत पर क्या बोले सरबजोत सिंह

सरबजोत सिंह ने अपने पहले ओलंपिक पदक का जश्न मनाते हुए कहा, ‘यह बहुत अच्छा लगता है। खेल कठिन था, लेकिन हमें खुशी है कि हम ऐसा कर सके। बहुत दबाव था, लेकिन भीड़ बहुत अच्छी थी।’ यह जोड़ी क्वालीफाइंग राउंड में 580 के संयुक्त स्कोर के साथ तीसरे स्थान पर रहने के बाद कांस्य पदक मैच में उतरी थी।

यह ब्रॉन्ज मनु भाकर के लिए एक विशेष ऐतिहासिक व्यक्तिगत उपलब्धि है, जो आजाद भारत के इतिहास में एक ही ओलंपिक खेलों में दो पदक जीतने वाली पहली एथलीट बन गई। उन्होंने इससे पहले पेरिस में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल व्यक्तिगत स्पर्धा में कांस्य पदक के साथ भारत का पदक खाता खोला था।

सरबजोत का कभी फुटबॉलर बनने का था सपना

सरबजोत की उम्र तब 13 साल की रही होगी और वे एक फुटबॉलर बनना चाहते थे। हालांकि, अंबाला के भागीरथ पब्लिक स्कूल में पढ़ते समय उन्होंने एक समर कैम्प के दौरान कुछ बच्चों को अस्थायी बनाए शूटिंग रेंज में एयर गन चलाते हुए देखा। इसके बाद वे अपने पिता के पास गए और उनसे कहा कि वह ऐसा करना चाहते हैं।

इस बीच साल 2014 का आया। पेशे से किसान सरबजोत के पिता जीतेंद्र सिंह ने अपने बेटे से कहा कि यह खेल काफी महंगा है। हालांकि, आखिरकार, सरबजोत के महीनों तक मिन्नतें करने के बाद वे सहमत हो गए। जाहिर है सरबजोत ने अब जो कर दिखाया है, उसे याद कर उनका परिवार इस महंगे खेल को अपनाने पर कभी नहीं पछताएगा।

सरबजोत ISSF वर्ल्ड कप में जीत चुके हैं गोल्ड मेडल

सरबजोत पहले ही 10 मीटर एयर पिस्टल में सीनियर आईएसएसएफ विश्व कप स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। घरेलू सर्किट में भी उनकी सटीकता उन्हें दो बार राष्ट्रीय चैंपियन बना चुकी है। अब तक सरबजोत ने 2 विश्व चैंपियनशिप स्वर्ण पदक, 3 विश्व कप स्वर्ण पदक, 1 आईएसएसएफ जूनियर विश्व कप स्वर्ण पदक, आईएसएसएफ जूनियर कप में 1 स्वर्ण और 2 रजत पदक सहित एशियाई चैंपियनशिप में 2 स्वर्ण पदक, एक रजत और एक कांस्य पदक जीता है। सरबजोत ने हमेशा से अपने कोच अभिषेक राणा को अपनी उपलब्धियों का श्रेय दिया है।

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