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पशुपति पारस ने NDA से तोड़ा नाता, कहा- दलित पहचान की वजह से हुआ अन्याय

पटनाः राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आएलजेपी) अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा नहीं रही। यह घोषणा पार्टी अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने सोमवार को की।

पारस ने आरोप लगाया कि उनकी पार्टी के साथ अन्याय हुआ क्योंकि यह एक दलित पार्टी है। उन्होंने कहा, “मैं 2014 से एनडीए के साथ रहा हूं। लेकिन आज मैं ऐलान करता हूं कि अब से मेरी पार्टी का एनडीए से कोई लेना-देना नहीं रहेगा।”

क्या महागठबंधन का थामेंगे हाथ?

पारस ने यह भी बताया कि बिहार में भाजपा और जदयू के राज्य अध्यक्षों की बैठकों में उनकी पार्टी का जिक्र तक नहीं होता था। इसी उपेक्षा के कारण उन्होंने गठबंधन से अलग होने का फैसला किया।

अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर उन्होंने कहा, “अगर महागठबंधन समय पर हमें उचित सम्मान देता है, तो हम भविष्य की राजनीति पर विचार कर सकते हैं।” उल्लेखनीय है कि पशुपति पारस इस वर्ष कई बार राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से मुलाकात कर चुके हैं।

उन्होंने यह महत्वपूर्ण घोषणा डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में की।

लोजपा के विभाजन के बाद हुआ था पार्टी का गठन

राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का गठन 2021 में लोक जनशक्ति पार्टी के विभाजन के बाद हुआ था। यह पार्टी उनके दिवंगत भाई रामविलास पासवान द्वारा स्थापित मूल पार्टी से अलग होकर बनी थी।

पिछले वर्ष, पशुपति पारस ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था, जब एनडीए ने उनके भतीजे चिराग पासवान की पार्टी को लोकसभा चुनाव में पांच सीटें दी थीं, जबकि पारस की पार्टी को कोई सीट नहीं दी गई।

इसके अलावा, पिछले साल पारस को बिहार सरकार द्वारा आवंटित वह बंगला भी खाली करने के लिए कहा गया था, जहां से वह अपनी पार्टी का संचालन करते थे। यह बंगला बाद में चिराग पासवान को आवंटित कर दिया गया।

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