Friday, October 10, 2025
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‘वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन’ योजना को कैबिनेट की मंजूरी, सिंगल लॉगइन से मिलेगा 13,000 रिसर्च जर्नल का एक्सेस

नई दिल्ली: नरेन्द्र मोदी मंत्रिमंडल ने सोमवार को ‘वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन’ (ONOS) योजना को मंजूरी दे दी है। इस योजना के तहत भारत के सभी सरकारी संस्थानों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले रिसर्च जर्नल को एक पटल पर लाया जाएगा जिससे देशभर के शोध छात्र और प्राध्यापक सिंगल लॉगइन से करीब 13 हजार शोध पत्रों को प्राप्त कर सकेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि यह योजना अनुसंधान, सीखने और ज्ञान का केंद्र बनने के प्रयासों को मजबूत करेगी। पीएम मोदी ने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘भारतीय शिक्षा जगत और युवा सशक्तिकरण के लिए गेम-चेंजर! कैबिनेट ने ‘वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन’ को मंजूरी दे दी है, जो अनुसंधान, सीखने और ज्ञान का केंद्र बनने के हमारे प्रयासों को मजबूत करेगा। यह कई विषयों के अध्ययन को भी प्रोत्साहित करेगा।’

वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन पर 6000 करोड़ का खर्च

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार (25 नवंबर) को ‘वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन’ योजना को मंजूरी दी। इस योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा प्रबंधित सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के छात्र, शिक्षक और शोधकर्ता सहित केंद्र सरकार के अनुसंधान और विकास संस्थान एक मंच पर 13,000 शोध पत्रिकाओं तक पहुंच बना सकेंगे।

इस योजना के लिए सरकार द्वारा तीन कैलेंडर वर्षों 2025, 2026 और 2027 के लिए 6,000 करोड़ रुपये के खर्च को मंजूरी दी गई है। सरकार की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि यह पहल विकसित भारत@2047, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 और अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एएनआरएफ) के अनुरूप है।

वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन क्या है?

सरकार की ओर से जारी प्रेस रिलीज में बताया गया है कि एक राष्ट्र, एक सदस्यता में कुल 30 प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पत्रिका प्रकाशकों को शामिल किया गया है। इन प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित लगभग 13,000 ई-पत्रिकाएं अब 6300 से अधिक सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों और केंद्र सरकार के अनुसंधान एवं विकास संस्थानों में उपलब्ध होंगी।

तीस प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय जर्नल प्रकाशकों में से कुछ अहम नाम हैं- कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, इंडियनजर्नल्स.कॉम, बीएमजे जर्नल्स, स्प्रिंगर नेचर, अमेरिकन सोसाइटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी, टेलर एंड फ्रांसिस, सेज पब्लिशिंग आदि।

सरकार के अनुसार इस पहल से देश में लगभग 1.8 करोड़ छात्रों, शिक्षकों, शोधकर्ताओं और सभी विषयों के वैज्ञानिकों के लिए शीर्ष गुणवत्ता सहित अंतरराष्ट्रीय विद्वानों के उच्च प्रभाव वाले शोध लेखों और जर्नल प्रकाशनों तक पहुंच आसान हो जाएगी। टियर 2 और टियर 3 शहरों के छात्र भी इस सुविधा का लाभ उठाने में सक्षम होंगे, जिससे देश में मुख्य और अंतःविषय अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।

कैसे मिलेगी पत्रिकाओं, शोध कार्य तक पहुंच?

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के स्वायत्त अंतर-विश्वविद्यालय केंद्र, सूचना और पुस्तकालय नेटवर्क (इन्फ्लिबनेट) द्वारा समन्वित एक राष्ट्रीय सदस्यता के माध्यम से पत्रिकाओं तक पहुँच प्रदान की जाएगी और यह प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल होगी

दरअसल, उच्च शिक्षा विभाग के पास ‘एक राष्ट्र, एक सदस्यता’ के नाम से एक एकीकृत पोर्टल होगा, जिसके माध्यम से संस्थान पत्रिकाओं तक पहुँच प्राप्त कर सकेंगे। एएनआरएफ समय-समय पर एक राष्ट्र, एक सदस्यता योजना के उपयोग तथा इन संस्थानों के भारतीय लेखकों के प्रकाशनों की समीक्षा करेगा।

डायरेक्टरेट ऑफ हाइयर एजुकेशन (डीएचई) और अन्य मंत्रालय, जिनके प्रबंधन में उच्च शिक्षा संस्थान और अनुसंधान एवं विकास संस्थान हैं, संस्थानों के छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं के बीच एक राष्ट्र, एक सदस्यता की उपलब्धता और पहुँच के तरीके के बारे में सूचना, शिक्षा और संचार के लिए अभियान चलाएंगे, ताकि पूरे देश में इस सुविधा का बेहतर उपयोग हो सके।

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