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‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल लोक सभा में पेश, लागू हुआ तो क्या बदलेगा?

नई दिल्ली: लोकसभा में मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ यानी एक राष्ट्र- एक चुनाव बिल पेश किया। इस बिल के पेश होने के बाद संसद में जोरदार हंगामा भी हुआ। विपक्ष के कई सांसदों ने इस बिल को लोकतंत्र के खिलाफ बताया। इन सब के बीच इस बिल को स्वीकार कराने के लिए लोक सभा में वोटिंग कराई गई।

बिल के समर्थन में 269 वोट

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल के समर्थन में कुल 269 सांसदों ने वोटिंग की तो वहीं, इस बिल के खिलाफ 198 सांसदों ने मत दिया। इस बिल को स्वीकार कराने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से वोटिंग कराई गई। कांग्रेस, सपा और एनसीपी ने इस बिल को जेपीसी के पास भेजे जाने की मांग की। बिल को अब विचार-विमर्श के लिए संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा जाएगा।

लोकसभा में इस बिल को पेश किए जाने का कांग्रेस, टीएमसी, समाजवादी पार्टी, शिवसेना उद्धव गुट समेत कई विपक्षी दलों ने विरोध किया। सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि जो एक साथ 8 राज्यों में विधानसभा चुनाव नहीं करा पाए वह पूरे देश में एक साथ चुनाव की बात करते हैं। वहीं, टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि यह बिल संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।

वन नेशन वन इलेक्शन: बिल में क्या कहा गया है?

13 दिसंबर को बांटी विधेयक की प्रति के अनुसार यदि लोकसभा या किसी राज्य विधानसभा को उसके पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति से पहले भंग किया जाता है, तो मध्यावधि चुनाव पांच साल में बचे हुए उस बचे हुए शेष समय के लिए ही होंगे। इसके बाद फिर पहले से चले आ रहे तय समय पर ही पूरे देश में दोबारा चुनाव कराए जाएंगे। मध्यावधि चुनाव और एक साथ कराए जाने वाले निर्धारित चुनाव के बीच की अवधि को ‘अनएक्सपायर्ड टर्म’ कहा जाएगा।

विधेयक में अनुच्छेद 82(ए) (लोकसभा और सभी विधान सभाओं के लिए एक साथ चुनाव) जोड़ने और अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि), 172, और 327 (विधान सभाओं के लिए चुनावों के संबंध में प्रावधान करने की संसद की शक्ति) में संशोधन करने का सुझाव दिया गया है।

इसमें कहा गया है कि कानून के प्रावधान एक ‘नियत तिथि’ पर लागू होंगे, जिसे राष्ट्रपति आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक में अधिसूचित करेंगे। यह नियुक्त की गई तिथि 2029 में होने वाले अगले लोकसभा चुनाव के बाद की होगी।

विधेयक यह भी कहता है कि लोक सभा (लोकसभा) का कार्यकाल नियत तिथि से पांच वर्ष का होगा, और उस नियत तिथि के बाद हुए जितने भी विधान सभाओं के चुनाव हुए होंगे, उनका भी कार्यकाल लोकसभा के कार्यकाल के साथ समाप्त हो जाएगा।

एक साथ चुनाव कराने की योजना कैसे बना रही है सरकार?

वन नेशन वन इलेक्शन को दो चरणों में लागू किया जाएगा। पहला लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए, और दूसरा चरण आम चुनाव के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनावों के लिए होगा।

सभी चुनावों के लिए एक समान मतदाता सूची होगी। मतदाता पहचान पत्र भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) द्वारा राज्य चुनाव अधिकारियों की मदद और सलाह से तैयार किए जाएंगे।

(समाचार एजेंसी IANS इनपुट के साथ)

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