Saturday, October 11, 2025
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ओलंपिक 2024 के उद्घाटन समारोह में यीशु के ‘लास्ट सपर’ के नकल वाली परफॉर्मेंस पर छिड़ा विवाद

पेरिस: फ्रांस की राजधानी पेरिस में शुक्रवार देर रात (भारतीय समयानुसार) रंगारंग कार्यक्रम, संगीत, नृत्य के साथ ओलंपिक 2024 का आगाज हो गया। ओलंपिक के इतिहास में यह पहला मौका रहा जब उद्घाटन समारोह किसी स्टेडियम से बाहर आयोजित हुआ। खिलाड़ी सीन नदी में नाव पर सवार होकर परेड करते नजर आए। हालांकि, इन सबके बीच ओपनिंग सेरेमनी के एक एक्ट पर विवाद खड़ा हो गया है। एक एक्ट यीशु के अपने 12 अनुयायियों के साथ किए गए ‘अंतिम भोज’ (लास्ट सपर) पर लियोनार्डो डा विंची की बनाई पेंटिंग से प्रेरित था। इसे एक्ट को लेकर सोशल मीडिया पर कई लोगों ने आलोचना की। खासकर ईसाई समाज की ओर से इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं।

ओलंपिक: ओपनिंग सेरेमनी पर क्यों हुआ विवाद?

ओलंपिक के ओपनिंग सेरेमनी में जिस एक्ट पर विवाद हुआ है, उसमें 18 कलाकार शामिल थे। इस एक्ट में सभी कलाकारों को एक लंबी मेज के पीछे पोज देते हुए दिखाया गया। यह कुछ वैसा था जैसा मशहूर चित्रकार लियोनार्डो दा विंची की ‘लास्ट सपर’ पेंटिंग में दिखाया गया है। इस पेंटिंग में यीशु और उनके 12 अनुयायियों को दर्शाया गया है।

हालांकि, एक्ट में जिस चीज ने लोगों का ध्यान खींचा वो एक बड़ा मुकुट पहने महिला थी जो पेंटिंग में दर्शाए गए यीशु की तरह बीच में बैठी थी। इसके आसपास कुछ लोग थे जो ट्रांसजेंडर जैसी भूमिका बनाए हुए थे। कई इस बात की आलोचना कर रहे हैं कि यीशू को महिला और उसके आसपास ट्रांसवेस्टाइट्स (transvestites) को ऐसे दिखाकर मजाक बनाया गया है।

इस एक्ट के दौरान एक और प्रदर्शन जिसे आलोचना का सामना करना पड़ा है, उसमें नीले रंग में रंगे हुए और केवल फूलों और फलों की एक माला से ढंके हुए एक व्यक्ति को दखाया गया था। मेज पर खड़े इस शख्स से ऐसा प्रतीत होता है कि उसे ही ‘अंतिम भोज’ के लिए व्यंजन के रूप में परोसा जा रहा है।

इस परफॉर्मेंस का वीडियो सोशल मीडिया पर जल्द ही वायरल हो गया और लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देने लगे। कई लोगों ने इसे यीशु और कैथोलिक का अपमान बताया। हालांकि, न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार विवाद पर आयोजकों ने कहा कि यह प्रदर्शन विनोदपूर्ण तरीके से मनुष्यों के बीच हिंसा जैसी बेतुकी बातों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए था।

सोशल मीडिया पर आ रहे कैसे रिएक्शन?

लिबर्टी लॉकडाउन पॉडकास्ट के होस्ट क्लिंट रसेल ने एक्स पर लिखा, ‘यह अपमानजनक है। यीशु और उनके शिष्यों के स्थान पर मेन इन ड्रैग का प्रदर्शन कर अपने कार्यक्रम की शुरुआत करना किसी भी तरह स्वीकर नहीं किया जा सकता है।’ इन्होंने आगे लिखा, ‘दुनिया भर में 2.4 अरब ईसाइयों को ओलंपिक ने एक स्पष्ट संदेश भेज दिया है कि उनकी जरूरत नहीं है।’

दरअसल, बोलचाल में ड्रैग उन पुरुषों के लए इस्तेमाल होता है जो मनोरंजन के उद्येश्य से फीमेल जेंडर की नकल करते हैं या फिर अपने कपड़ों, मेकअप और हावभाव से बढ़ा-चढ़ाकर चीजों को पेश करते हैं।

एक उद्यमी और शोधकर्ता डॉ. एली डेविड ने टिप्पणी की, ‘एक यहूदी के रूप में भी मैं यीशु और ईसाई धर्म को लेकर इस अपमानजनक प्रदर्शन से नाराज हूं… ईसाई होने के नाते आप इसके बारे में कैसा महसूस करते हैं?’

वहीं, अवॉर्ड विनिंग ब्रॉडकास्टर नियाल बॉयलान ने कहा कि ‘लास्ट सपर’ का चित्रण घोर अनादर और उकसावे वाला था। उन्होंने कहा, ‘यीशु को एक महिला के रूप में और उनके शिष्यों को ट्रांसवेस्टाइट्स के रूप में चित्रित किया गया है। मुझे आश्चर्य है कि उन्होंने इसी तरह से इस्लाम का मजाक क्यों नहीं उड़ाया।’

हालांकि, उद्घाटन समारोह के दौरान केवल यही एक्ट नहीं था, जिसपर विवाद हुआ। एक अन्य एक्ट में फ्रांस के राष्ट्रीय पुस्तकालय में तीन लोगों को प्यार करते हुए दिखाया गया। इस कार्यक्रम में फ्रांसीसी क्रांति से पहले फ्रांस की अंतिम रानी और किंग लुई 16वें की पत्नी मैरी एंटोनेट (Marie Antoinette) से जुड़ा एक्ट भी शामिल किया गया। दरअसल, फ्रांस की क्रांति के बाद राजा और रानी को मौत की सजा सुनाई गई थी और गिलोटिन से दोनों का सिर काट दिया गया था।

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