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ओडिशा में नेपाली छात्रा के सुसाइड मामले का पीएम केपी ओली शर्मा ने लिया संज्ञान, भारतीय दूतावास ने दी प्रतिक्रिया

भुवनेश्वरः नेपाली छात्रा के सुसाइड करने और नेपाल के छात्रों को बेदखली का निर्देश जारी करने से जुड़े विवाद के बीच ओडिशा सरकार ने हस्तक्षेप किया है। ओडिशा के उच्च शिक्षा मंत्री सूर्यवंशी सूरज ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बाद निजी विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने आदेश को रद्द कर दिया है। नेपाली छात्रों से परिसर में लौटने और अपनी पढ़ाई फिर से शुरू करने की अपील की गई है। 

सूर्यवंशी सूरज ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ओडिशा सरकार ने नेपाल मूल के छात्रों को भुवनेश्वर स्थित विश्वविद्यालय में वापस लाने के लिए राज्य के स्वामित्व वाली ओडिशा राज्य सड़क परिवहन निगम (ओएसआरटीसी) की विशेष बसें कटक और अन्य स्थानों पर रेलवे स्टेशन पर भेजी हैं। भारत का नेपाल के साथ गहरा रिश्ता है। ओडिशा का भी भगवान जगन्नाथ के माध्यम से नेपाल के साथ लंबे समय से रिश्ता है। कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी) में जो कुछ भी हुआ, वह बहुत दुखद है और हम मृतक छात्रा के शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं।

नेपाल सरकार और भारतीय दूतावास की प्रतिक्रिया

वहीं, इस मामले में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा कि ओडिशा में प्रभावित नेपाली छात्रों की काउंसलिंग के लिए दो अधिकारियों को भेजा गया है।

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “नई दिल्ली स्थित हमारे दूतावास ने ओडिशा में प्रभावित नेपाली छात्रों की काउंसलिंग के लिए दो अधिकारियों को भेजा है। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्था की गई है कि उनको छात्रावास में रहने या घर लौटने का विकल्प मिलेगा।”

इस बीच, नेपाल में स्थित भारतीय दूतावास ने छात्रा की मौत पर दुख जताया। भारतीय दूतावास ने एक बयान में कहा, “काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास, ओडिशा के भुवनेश्वर स्थित कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी) में एक नेपाली छात्रा की दुखद मौत से बहुत दुखी है। दूतावास इस कठिन समय में मृतक के परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता है।”

उन्होंने कहा, “दूतावास, केआईआईटी के अधिकारियों के साथ-साथ ओडिशा सरकार के संपर्क में है। दूतावास को सूचित किया गया है कि स्थानीय अधिकारियों ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है। केआईआईटी ने नेपाली छात्रों से कैंपस में लौटने, अपनी क्लासेस फिर से शुरू करने और छात्रावासों में रहने की अपील भी की है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया है कि छात्रों के शैक्षणिक नुकसान की भरपाई संस्थान द्वारा की जाएगी।”

भारतीय दूतावास ने कहा कि भारत में पढ़ने वाले नेपाली छात्र दोनों देशों के बीच स्थायी लोगों के बीच संबंधों का एक महत्वपूर्ण पहलू हैं। भारत सरकार भारत में नेपाली छात्रों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाना जारी रखेगी।

कैसे शुरू हुआ विवाद?

रिपोर्टों के अनुसार, केआईआईटी विश्वविद्यालय की बी.टेक (कंप्यूटर साइंस) की छात्रा प्रकृति ने रविवार को अपने प्रेमी और बी.टेक (मैकेनिकल) के आरोपी अदविक श्रीवास्तव के साथ हुए झगड़े के बाद जान दे दी थी। इस घटना के बाद में नेपाली मूल के छात्रों ने रविवार रात को प्रदर्शन किया।

पुलिस ने प्रदर्शनकारी छात्रों को शांत करने की कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हुए। छात्रों ने सोमवार सुबह भी निजी विश्वविद्यालय में सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन जारी रखा। इससे विश्वविद्यालय के अधिकारी नाराज हो गए, जिन्होंने नेपाली छात्रों के लिए आदेश जारी कर दिया।

कुछ छात्रों को जबरन विश्वविद्यालय की बसों में कटक के रेलवे स्टेशन ले जाया गया। इससे जुड़े कुछ वीडियो भी वायरल हुए, जिनमें विश्वविद्यालय के अधिकारी कथित तौर पर नेपाली छात्रों के साथ बहस करते और उन्हें तुरंत परिसर छोड़ने के लिए कहते हुए दिखाई दिए।

(यह खबर समाचार एजेंसी आईएएनएस फीड द्वारा प्रकाशित है। शीर्षक बोले भारत डेस्क द्वारा दिया गया है)

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