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‘अब आतंकी जहां मरते हैं, वहीं होते हैं दफन’, राज्यसभा में आतंकवाद पर बोले अमित शाह

नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि बीते 10 सालों में देश की सुरक्षा और मजबूत हुई। उन्होंने कहा, ‘समय के हिसाब से बदलाव जरूरी होता है। हम हर एक चुनौती से निपट रहे हैं। हमने पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की। कई अपराध सीमा के बाहर हो रहे हैं। चार दशक से देश में 3 नासूर थे। जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पहला नासूर था। दूसरा नक्सलवाद और उत्तर पूर्व उग्रवाद तीसरा नासूर था। हमने पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की। हमने जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म किया। पहले की सरकार आतंकी हमलों को भूल जाती थी।”

उन्होंने कहा, ‘मोदी सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है। हमने आतंकवाद के करारा जवाब दिया है।पहले आतंकवादियों के जुलूस निकलते थे। अब आतंकी जहां मरते हैं, वहीं दफन होते हैं। दस साल पहले आतंकियों का महिमामंडन होता था।’

भारत की इजरायल-अमेरिका से की तुलना

गृह मंत्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में आने के बाद उरी और पुलवामा में हमले हुए। हालांकि, 10 दिनों के भीतर ही भारत ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक करके मुंहतोड़ जवाब दिया। केवल दो देश, अमेरिका और इजरायल, अपनी सुरक्षा और सीमाओं के लिए खड़े होते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को भी इस सूची में शामिल कर लिया।

राज्यसभा को संबोधित करते हुए गृह मंत्री ने कहा, “मैं अपने संविधान निर्माताओं को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने अनुच्छेद 370 को अस्थायी बनाया और उसी अनुच्छेद के भीतर इसे हटाने का समाधान प्रदान किया। हालांकि, वोट बैंक की राजनीति ने इसे सुरक्षित रखा, लेकिन 5 अगस्त 2019 को, पीएम मोदी ने इसे हटाने का ऐतिहासिक कदम उठाया, जिससे कश्मीर के शेष भारत के साथ एकीकरण के एक नए युग की शुरुआत हुई।”

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि कश्मीर में आए दिन, पड़ोसी देश से आतंकवादी घुसकर बम धमाके करते थे। एक भी त्योहार ऐसा नहीं होता था, जो चिंता के बगैर मनाया जाता था, लेकिन केंद्र सरकार का रवैया लचीला होता था, बोलने में डर लगता था, चुप्पी साध जाते थे, वोट बैंक का डर था। पीएम मोदी के आने के बाद आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई।

आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद और उत्तर पूर्व का उग्रवाद  को बताया नासूर 

अमित शाह ने कहा कि ये तीन नासूर थे- जम्मू कश्मीर में आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद और उत्तर पूर्व का उग्रवाद। इन समस्याओं के कारण चार दशक में देश के करीब 92 हजार नागरिक मारे गए। इसके बावजूद इन समस्याओं के संपूर्ण उन्मूलन के लिए एक सुनियोजित प्रयास कभी नहीं हुआ था, जो नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद हुआ।

सदन को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने सबसे पहले देश की आजादी के बाद, देश की आंतरिक सुरक्षा को और देश की सरहदों को सुरक्षित करने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले राज्य पुलिस और सेंट्रल पैरामिलिट्री फोर्स के हजारों शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि इनके बलिदान से ही देश आजादी के 76 साल पार कर विश्व में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। मैं बलिदानियों के परिवारजनों को भी मनपूर्वक धन्यवाद करता हूं। उनके सर्वोच्च बलिदान को ये देश, ये सदन कभी भूला नहीं पाएगा।

(आईएएनएस इनपुट के साथ)

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