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गाड़ियों से आएगी बांसुरी, तबला की आवाज! गडकरी ‘हॉर्न’ को लेकर नया कानून लाने की कर रहे तैयारी

नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को कहा कि वह वाहनों के हॉर्न के रूप में भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों की आवाज का उपयोग अनिवार्य करने के लिए एक कानून लाने पर विचार कर रहे हैं।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार एक कार्यक्रम में बोलते हुए गडकरी ने कहा कि इसका उद्देश्य बांसुरी, तबला, वायलिन और हारमोनियम जैसी आवाज़ों का उपयोग करके वाहनों के हॉर्न को कुछ हद तक सुनने में सुखद बनाने की कोशिश है।

गडकरी ने यह भी बताया कि परिवहन क्षेत्र देश के 40% वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। इससे निपटने के लिए, नरेंद्र मोदी सरकार वाहनों के लिए मेथनॉल और इथेनॉल जैसे हरित और जैव ईंधन को अपनाने को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है।

ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में भारत तीसरा सबसे बड़ा बाजार

गडकरी ने भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग की बढ़ती ताकत का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि देश दोपहिया और कारों के निर्यात से महत्वपूर्ण राजस्व अर्जित करता है। उन्होंने बताया कि 2014 में यह उद्योग 14 लाख करोड़ रुपये का था जो अब बढ़कर 22 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

इसके अलावा उन्होंने घोषणा कहा कि भारत अब जापान को पीछे छोड़कर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार बन गया है इस तरह भारत अब इस क्षेत्र में केवल संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन से पीछे है।

सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के आंकड़ों के अनुसार, पैसेंडर वेहिकल (पीवी) ने वित्त वर्ष 2025 में 43,01,848 इकाइयों के साथ अपनी अब तक की सबसे अधिक वार्षिक घरेलू बिक्री दर्ज की, जो वित्त वर्ष 2024 में 42,18,750 इकाइयों की तुलना में 1.97% की साल-दर-साल (वाई-ओ-वाई) वृद्धि को दर्शाता है।

इसके अलावा, पीवी निर्यात 7,70,364 इकाइयों के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष में 6,72,105 इकाइयों से 14.62% की वार्षिक वृद्धि दर्शाता है।

सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने निर्यात में इस वृद्धि का श्रेय भारत में उत्पादित वैश्विक मॉडलों की मजबूत मांग को दिया है। विशेष रूप से लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के बाजारों में इसकी मांग बढ़ी है। उद्योग निकाय ने यह भी उल्लेख किया कि कुछ निर्माताओं ने विकसित देशों को भी वाहन भेजना शुरू कर दिया है।

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