पूर्व दिल्ली कप्तान मिथुन मन्हास को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का नया अध्यक्ष चुना गया है। रविवार बीसीसीआई की 94वीं वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में नए पदाधिकारियों का चुनाव हुआ। इस पद पर वह रॉजर बिन्नी के स्थान पर आए हैं, जिन्होंने अगस्त 2025 में इस्तीफा दिया था। मन्हास से पहले केवल सौरव गांगुली और रॉजर बिन्नी ही ऐसे पूर्व क्रिकेटर रहे हैं जिन्होंने बीसीसीआई अध्यक्ष पद संभाला।
उपाध्यक्ष पद पर राजीव शुक्ला और सचिव पद पर देवजीत सैकिया को दोबारा निर्वाचित किया गया। रघुराम भट्ट नए कोषाध्यक्ष बने हैं, जबकि प्रभतेज सिंह भाटिया को संयुक्त सचिव चुना गया। बीसीसीआई सचिव सैकिया ने बताया कि सभी पदाधिकारी निर्विरोध चुने गए, क्योंकि किसी पद पर विरोधी उम्मीदवार ने नामांकन दाखिल नहीं किया था।
अन्य नियुक्तियों और बदलावों में सौराष्ट्र क्रिकेट संघ के अध्यक्ष जयदेव शाह को एपेक्स काउंसिल का सदस्य चुना गया, जबकि अरुण सिंह धूमल ने आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के चेयरमैन पद पर दोबारा जगह बनाई। पूर्व भारतीय क्रिकेटर आरपी सिंह और प्रज्ञान ओझा को अजित आगरकर की अध्यक्षता वाली सीनियर चयन समिति में शामिल किया गया है।
इसके अलावा पूर्व तमिलनाडु बल्लेबाज एस. शरथ को जूनियर क्रिकेट समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जिनके साथ हरविंदर सोढ़ी, पाठिक पटेल, कृष्ण मोहन और रणादेब बोस सदस्य होंगे। महिला चयन समिति में भी बदलाव किए गए हैं, जहां पूर्व क्रिकेटर अनीता शर्मा को नई अध्यक्ष बनाया गया है। वे नीतू डेविड की जगह लेंगी और उनके साथ श्यामा डे, जया शर्मा, सुलक्षणा नाइक और श्रावंती नायडू को सदस्य नियुक्त किया गया है।
कौन हैं मिथुन मन्हास, बीसीसीआई अध्यक्ष बनने पर क्या कहा?

बीसीसीआई अध्यक्ष चुने जाने पर मिथुन मन्हास ने खुशी जाहिर की। चुनाव के बाद उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “बीसीसीआई का अध्यक्ष चुना जाना मेरे लिए बेहद सम्मान और बड़ी जिम्मेदारी है। मैं पूरे समर्पण और जुनून के साथ अपनी भूमिका निभाऊंगा। बीसीसीआई दुनिया का सबसे बेहतरीन क्रिकेट बोर्ड है।”
मिथुन मन्हास का क्रिकेट करियर भारतीय घरेलू क्रिकेट के सबसे रोचक अध्यायों में गिना जा सकता है। 90 के दशक के मध्य में जम्मू से दिल्ली आकर उन्होंने पेशेवर क्रिकेट की शुरुआत की और जल्द ही दिल्ली टीम के स्तंभ बन गए। उनकी कप्तानी में दिल्ली ने 2007-08 रणजी ट्रॉफी का खिताब जीता। मन्हास भारत की अंडर-19 और ए टीम का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और 250 से अधिक प्रथम श्रेणी मैचों में हिस्सा लिया है। 60 से ज्यादा मुकाबलों में कप्तान रहते हुए उन्होंने खुद को एक भरोसेमंद और जुझारू खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया, हालांकि प्रभावशाली प्रदर्शन के बावजूद उन्हें कभी सीनियर भारतीय टीम में जगह नहीं मिल सकी।
दिल्ली क्रिकेट से आगे बढ़कर मन्हास ने जम्मू-कश्मीर क्रिकेट को नई दिशा दी। जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (JKCA) के प्रशासक के रूप में उन्होंने इस उपेक्षित राज्य को मजबूती दी। हाल के वर्षों में जम्मू-कश्मीर की टीम ने उल्लेखनीय प्रगति की और मुंबई जैसी 43 बार की रणजी चैंपियन को हराकर सनसनी फैलाई। दलीप ट्रॉफी में पांच खिलाड़ियों का उत्तरी क्षेत्र की टीम में चयन होना भी इसी बदलाव का प्रमाण है। खुद मन्हास मानते हैं कि जेकेसीए में उनके कार्यकाल ने क्रिकेट को वहां एक नई पहचान दिलाई। उनकी कहानी भारतीय क्रिकेट में उस पीढ़ी की गवाही देती है, जिसने घरेलू स्तर पर असाधारण योगदान दिया, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंच से वंचित रह गई।
नए नेतृत्व में BCCI और मजबूत बनेगाः राजीव शुक्ला
उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने कहा, “चुनाव प्रक्रिया पूरी हो गई है और नए पदाधिकारियों की घोषणा कर दी गई है। उम्मीद है कि नए नेतृत्व में बीसीसीआई और मजबूत बनेगा।”
आईपीएल चेयरमैन अरुण धूमल ने कहा, “नए सदस्यों को बधाई। हम महिला टीम और भारतीय टीम को हालिया सफलताओं के लिए शुभकामनाएँ देते हैं। हमारा लक्ष्य बोर्ड को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाना है।”
पहली बार बीसीसीआई की एजीएम में शामिल हुए हरभजन सिंह, जो पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के प्रतिनिधि के तौर पर उपस्थित थे, ने इसे यादगार अनुभव बताया। उन्होंने कहा कि यह क्रिकेटरों के योगदान को मान्यता देने का शानदार कदम है। मैंने मिथुन मन्हास के साथ अंडर-19 से बहुत क्रिकेट खेला है और उनके अध्यक्ष बनने से मैं बेहद खुश हूँ।