Friday, October 10, 2025
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बंगाल में ममता सरकार ने 629 साल पुराने ‘रथ मेला’ की नहीं दी इजाजत! भाजपा ने उठाए सवाल

कोलकाताः पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में 629 साल पुराने रथ मेले के लिए पुलिस द्वारा अनुमति न मिलने से राजनीति तेज हो गई है। यह मेला मालदा के कालियाचक में जलालपुर मान महाप्रभु मंदिर के बगल में आयोजित होता है। कालियाचक पुलिस ने इसके लिए अनुमति देने से इंकार कर दिया है। इसको लेकर राज्य की भाजपा सरकार ने ममता सरकार पर सवाल उठाए हैं। 

यह मेला सात दिनों तक चलता है और यहां पर दुकानें, झूले और अन्य आकर्षण का केंद्र होते हैं। मेले को आयोजित करने के लिए हर साल आयोजक पुलिस से अनुमति लेते हैं। हिंदुस्तान बांग्ला की खबर के मुताबिक, इस बार भी अनुमति लेने के लिए आयोजकों ने पुलिस को पत्र लिखा था। पुलिस पर आरोप है कि इस पत्र के जवाब में रथ यात्रा की इजाजत तो दे दी, लेकिन सदियों पुराने लगने वाले मेले के लिए अनुमति नहीं दी। 

पुलिस ने क्या कहा?

पुलिस ने आयोजकों को बताया है कि मेले के दौरान असामाजिक गतिविधियां बढ़ जाती हैं। मेले में हत्याएं भी हो चुकी हैं। इसलिए कानून व्यवस्था को देखते हुए पुलिस इस बार मेले के लिए अनुमति नहीं दे पाएगी। हालांकि आयोजकों ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि वह मेले को बदनाम करने के लिए बेबुनियाद आरोप लगा रही है। आयोजकों ने कहा कि पुलिस का काम कानून व्यवस्था बनाए रखना है। अगर वे इस काम में विफल हो जाते हैं तो मेले को जिम्मेदार कैसे ठहराया जा सकता है? आयोजकों ने कहा अस्पतालों में भी धोखाधड़ी होती है तो क्या अस्पताल बंद हो जाएंगे? 

आयोजकों ने कहा है कि क्योंकि ये मेला क्षेत्र के लोगों के लिए आमदनी का एक जरिया होता है इसलिए इसकी अनुमति के लिए मजिस्ट्रेट के पास जाएंगे। अगर वहां भी बात नहीं बनी तो आगे अदालत का रुख करेंगे। 

भाजपा का आरोप

बंगाल भाजपा ने कहा है कि एक तरफ तो सीएम ममता बनर्जी भक्ति का दिखावा करती हैं और दूसरी तरफ उनकी पुलिस 639 साल पुराने रथ मेले की अनुमति देने से इंकार कर रही है। ऐसे में सदियों पुराना यह त्योहार अब रद्द होने की कगार पर है। 

आयोजकों का कहना है कि सरकार मेला लगने वाली जमीन पर कब्जा करने की नीयत रखती है। “क्या अब यह साफ नहीं हो गया है? ममता बनर्जी चुन-चुनकर हिंदू त्योहारों को निशाना बना रही हैं। और उन्हें चुप करा रही हैं। “

हालांकि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि पुलिस ने इलाके में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए ये कदम उठाया है। 

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