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किरेन रिजिजू ने राज्यसभा के अंदर CISF की तैनाती का किया बचाव, कहा- ‘सांसदों को बोलने से नहीं रोका जाएगा’

नई दिल्लीः संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा के अंदर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) कर्मियों की तैनाती का बचाव करते हुए कहा है विपक्ष को आश्वासन दिया है कि किसी भी सांसद को बोलने से नहीं रोका जाएगा। 

सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती को जायज ठहराते हुए किरेन रिजिजू ने उन घटनाओं का जिक्र किया जहां सांसद सत्ता पक्ष की बेंच पर चढ़ गए थे। 

CISF कर्मियों की तैनाती पर उठाए सवाल

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था “हमें उम्मीद है कि जब सदस्य जनहित के मुद्दे उठाएंगे तो सीआईएसएफ कर्मी सदन के बीच नहीं आएंगे।”

वहीं, खड़गे के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए रिजिजू ने कहा कि संसद के सदस्यों की मांग के आधार पर सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती की गई। उन्होंने कहा कि सदन के अंदर कई बार सदस्य सत्ता पक्ष की मेज पर और आसन के पास खड़े हो गए। रिजिजू ने कहा कि उन्हें रोकने के लिए सुरक्षा तैनात की गई और आश्वासन दिया कि किसी भी सांसद को बोलने से नहीं रोका जाएगा। 

किरन रिजिजू ने क्या कहा?

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक सांसद व्यवधानकारी व्यवहार नहीं करेंगे, तब तक सीआईएसएफ कर्मी निष्क्रिय रहेंगे। 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सत्र के दौरान कुछ सदस्य आक्रमक हो गए, इसलिए उन्हें रोकने के लिए ऐसी व्यवस्था की गई। 

कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने उपसभापति हरिवंश को एक पत्र लिखकर सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती पर विरोध दर्ज कराया। उन्होंने चिट्ठी में लिखा कि हम इस बात से स्तब्ध हैं कि किस प्रकार से सदन के वेल में सीआईएसएफ कर्मियों को दौड़ाया जा रहा, जब सदस्य लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग कर रहे हैं।  

वहीं, जयराम रमेश ने एक्स पर इस चिट्ठी को पोस्ट करते हुए लिखा कि राज्यसभा के सभापति के अचानक इस्तीफे के बाद हम देख रहे हैं कि राज्यसभा में सीआईएसएफ कर्मियों का कब्जा हो गया है।

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