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केरल में हिंदू-मुस्लिम वाले व्हाट्सऐप ग्रुप बनाने के मामले में IAS अधिकारी निलंबित

तिरुवनंतपुरम: केरल सरकार ने सोमवार को दो आईएएस अधिकारियों- केरल उद्योग और वाणिज्य निदेशक के गोपालकृष्णन और कृषि विभाग के विशेष सचिव एन प्रशांत को निलंबित कर दिया। दोनों अधिकारी हाल के दो विवादों के केंद्र में रहे हैं।

साल 2013 बैच के अधिकारी गोपालकृष्णन इस महीने कथित तौर पर ‘मल्लू हिंदू ऑफिसर्स’ नाम से एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाने के आरोप के बाद विवादों में फंस गए थे। वहीं, 2017 बैच के अधिकारी प्रशांत ने सोशल मीडिया पर एक दूसरे आईएएस अधिकारी- अतिरिक्त मुख्य सचिव ए जयतिलक के खिलाफ कई पोस्ट करने के बाद पिछले तीन दिनों में चर्चा में हैं।

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मुख्य सचिव सारदा मुरलीधरन की रिपोर्ट के आधार पर दोनों को निलंबित करने का निर्णय लिया। इससे पहले दिन सोमवार को दिन राजस्व मंत्री के राजन ने कहा था कि सरकार ‘अधिकारियों को अपने मनमाने तरीके से काम करने की अनुमति नहीं दे सकती है…अधिकारियों को मानदंडों और प्रक्रिया के अनुसार काम करना होगा।’

सांप्रदायिक व्हाट्सऐप ग्रुप बनाने का आरोप

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार ‘मल्लू हिंदू ऑफिसर्स’ ग्रुप को 30 अक्टूबर को बनाया गया था और इसमें वरिष्ठ हिंदू आईएएस अधिकारियों को सदस्यों के रूप में जोड़ा गया था। इसके बनने के कुछ ही घंटों के भीतर इसे हटा दिया गया क्योंकि कई अधिकारियों ने ऐसे ग्रुप को अनुचित बताया था। कुछ दिनों बाद गोपालकृष्णन ने एक पुलिस शिकायत दर्ज की जिसमें दावा किया गया कि यह ग्रुप उनका फोन हैक होने के बाद बनाया गया था, और ‘मल्लू मुस्लिम ऑफिसर्स’ नाम से एक ग्रुप सहित कई अन्य ग्रुप भी बनाए गए थे।

हालांकि, गोपालकृष्णन को निलंबित करने के आदेश में कहा गया है कि पुलिस जांच से पता चला है कि ‘इस बात का कोई सबूत नहीं है कि डिवाइस हैक किया गया था’ जैसा कि अधिकारी की ओर से दावा किया गया था। आदेश में कहा गया है, ‘यह भी पता चला है कि अधिकारी (गोपालकृष्णन) ने अपने फोन को फोरेंसिक जांच के लिए जमा करने से पहले खुद ही मोबाइल फोन का बार-बार फैक्ट्री रीसेट किया था।’

आदेश के अनुसार सरकार का मानना ​​​​है कि ऐसे व्हाट्सएप ग्रुप का उद्देश्य ‘राज्य में अखिल भारतीय सेवाओं के कैडरों के भीतर विभाजन को बढ़ावा देना, फूट डालना और एकजुटता को तोड़ना था।’ यह भी कहा गया है कि प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि यह राज्य में अखिल भारतीय सेवाओं के कैडरों के भीतर सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने की कोशिश थी।

IAS अधिकारी प्रशांत से जुड़ा मामला क्या है?

दूसरी ओर, प्रशांत का निलंबन सोशल मीडिया पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ए जयतिलक के खिलाफ कई पोस्ट करने के बाद हुआ। प्रशांत ने अपने पोस्ट में ए जयतिलक को एक मलयालम दैनिक का ‘रिपोर्टर’ कहा था। दरअसल, इस अखबार ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिस पर प्रशांत ने आपत्ति जताई थी।

बताया जा रहा है कि प्रशांत शुक्रवार को मलयालम दैनिक ‘मातृभूमि’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट से नाराज थे जिसमें दावा किया गया है कि 1991-बैच के आईएएस अधिकारी जयतिलक ने राज्य सरकार की एक एजेंसी- ‘उन्नति (UNNATHI)’ में ‘गायब फाइलों’ के संबंध में मुख्यमंत्री को एक रिपोर्ट सौंपी है। यह एजेंसी एससी/एसटी कल्याण योजनाओं को व्यवस्थित करने और लागू कराने का काम करती है। निलंबित हुए अधिकारी प्रशांत एससी/एसटी विभाग में विशेष सचिव के रूप में कार्य कर चुके हैं।

अखबार में छपे इस रिपोर्ट के बाद 2007 बैच के अधिकारी प्रशांत ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘मातृभूमि जो क्षेत्र में जाने वाले अधिकारियों से परिचित नहीं है, उसने मेरे खिलाफ खबरें चलाई हैं। हमेशा की तरह अखबार ने मेरा पक्ष नहीं जानना चाहा। मुझे जनता को मातृभूमि के विशेष संवाददाता डॉ. जयतिलक आईएएस के बारे में कुछ तथ्य बताने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जो मेरे खिलाफ रिपोर्ट तैयार करते हैं और उसे अखबार के साथ साझा करते हैं।’

इसके बाद रविवार को प्रशांत ने फिर से जयतिलक के खिलाफ पोस्ट लिखा और ‘स्पाइसेस बोर्ड’ के अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान कथित अनियमितताओं के संबंध में जयतिलक के खिलाफ प्रारंभिक जांच पर छपी एक पुरानी न्यूज रिपोर्ट साझा की।

प्रशांत के निलंबन आदेश में कहा गया है कि उनकी टिप्पणियां गंभीर अनुशासनहीनता को दिखाती हैं। ऐसी टिप्पणियां राज्य में प्रशासनिक मशीनरी की सार्वजनिक छवि को कमजोर करती हैं। टिप्पणियों से प्रथम दृष्टया राज्य में भारतीय प्रशासनिक सेवा में विभाजन और असंतोष पैदा होने की भी संभावना है जो जनता की सेवा को भी प्रभावित कर सकती है। इसमें आगे कहा गया कि ये टिप्पणियां एक आईएएस अधिकारी के लिए ‘अशोभनीय’ थीं।

अपने निलंबन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रशांत ने कहा कि उनसे स्पष्टीकरण मांगे बिना यह कार्रवाई की गई। उन्होंने कहा, ‘मैंने सरकार की आलोचना नहीं की है। केवल ध्यान भटकाने के लिए मातृभूमि में मेरे खिलाफ फर्जी रिपोर्ट प्रकाशित की गई। इसके पीछे एक साजिश थी।’

वहीं, गोपालकृष्णन ने अपने निलंबन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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