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वक्फ को बताया अल्लाह का दान, जानिए सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल की दलीलें

नई दिल्ली: वक्फ संशोधन अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई कर रहा है। इसमें कांग्रेस सांसद और वक्फ कानून का विरोध करने वालों के वकील कपिल सिब्बल ने अजीब तर्क देते हुए कहा कि वक्फ अल्लाह को दिया गया दान है, जिसे बदला नहीं जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, सिब्बल ने वक्फ कानून को अपनी सुविधा के हिसाब से सियासत में ढालते हुए कहा कि वैसे तो वक्फ संशोधन अधिनियम-2025 को वक्फ की सुरक्षा के लिए बनाया गया है, लेकिन हकीकत में गैर न्यायिक प्रक्रिया, कार्यकारी प्रक्रिया के जरिए वक्फ पर कब्जा करने के लिए सरकार ने बनाया है।

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने विरोध करते हुए कहा कि हम तो सभी मुद्दों पर दलील रखेंगे।  मदिंरों की तरह मस्जिदों में 2000-3000 करोड़ चंदे में नहीं आते।  सिब्बल ने कहा कि पिछले अधिनियम में पंजीकरण की आवश्यकता थी और क्योंकि आपने पंजीकरण नहीं कराया- इसे वक्फ नहीं माना जाएगा।  ⁠कई 100, 200 और 500 साल पहले बनाए गए थे। सीजेआई ने कहा कि हम इसे रिकॉर्ड पर ले रहे हैं।  2013 के दौरान वक्फ बाय यूजर के लिए पंजीकरण आवश्यक नहीं था? क्या यह स्वीकार्य था? सिब्बल ने कहा कि हां, यह स्थापित प्रथा है।  वक्फ बाय यूजर  को पंजीकृत करने की आवश्यकता नहीं है। कपिल सिब्बल ने कहा कि 1954 के बाद वक्फ कानून में जितने भी संशोधन हुए, उनमें वक्फ प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य था।  अदालत ने पूछा-  क्या वक्फ बाय यूजर में भी पंजीकरण अनिवार्य था।  सिब्बल ने हां में जवाब दिया।  अदालत ने कहा- तो आप कह रहे 1954 से पहले उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ का पंजीकरण आवश्यक नहीं था और 1954 के बाद यह आवश्यक हो गया।  

केंद्र और याचिकाकर्ताओं के बीच तगड़ी बहस

वक्फ संशोधन एक्ट पर मंगलवार को सुनवाई शुरू होते ही केंद्र और याचिकाकर्ताओं के बीच तगड़ी बहस छिड़ गई।  केंद्र को आपत्ति है कि जब पिछली सुनवाई में तीन मुद्दों पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया था तो याचिकाकर्ता ने अन्य मुद्दे क्यों उठाए हैं।  वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि ऐसी कोई लिमिट नहीं थी कि अन्य मुद्दे नहीं उठाए जा सकते हैं। 

केंद्र की तरफ से सॉलिसिट जनरल तुषार मेहता और वक्फ कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल पक्ष रख रहे थे।  सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट ने तीन सवाल अंतरिम राहत के लिए तय किए थे।  हमने उनपर जवाब दाखिल किया, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने नए लिखित में नए सवाल दिए हैं।  इसे तीन सवालों तक सीमित रखिए।  उन्होंने कहा कि कोर्ट ने वक्फ बोर्ड नियुक्ति, वक्फ बाय यूजर और सरकारी संपत्ति की पहचान जैसे तीन मुद्दों की चर्चा की थी। 

कपिल सिब्बल ने तुषार मेहता की मांग का किया विरोध 

कपिल सिब्बल ने तुषार मेहता की मांग का विरोध किया और कहा कि ऐसा कोई आदेश नहीं कि तीन मुद्दों पर ही अंतरिम राहत की सुनवाई होगी।  कोर्ट ने इन मुद्दों की चर्चा की थी लेकिन यह नहीं कहा था कि सिर्फ इनकी बात होगी।  मुख्य न्यायाधीश भूषण रामाकृष्ण गवई की बेंच मामला सुन रही थी और बेंच ने कपिल सिब्बल की बात पर सहमति जताते हुए कहा कि आदेश में मुद्दों को सीमित करने की बात नहीं लिखी है।  एसजी तुषार मेहता ने फिर से कहा कि लेकिन कोर्ट में तीन की ही चर्चा हुई थी।  यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दूसरा पक्ष इसका विस्तार कर रहा है। 

वक्फ कानून पर पिछली सुनवाई 15 मई को हुई थी, तब सीजेआई गवई की बेंच ने केंद्र को 19 मई तक हलफनामा पेश करने के लिए कहा था।  इससे पहले पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की बेंच मामले को सुन रही थी, लेकिन 13 मई को जस्टिस संजीव खन्ना रिटायर हो गए।  रिटायरमेंट से पहले ही जस्टिस संजीव खन्ना ने सभी की सहमति से मामला नए सीजेआई बी आर गवई को ट्रांसफर कर दिया था।  जस्टिस गवई ने 14 मई को सीजेआई का पद ग्रहण किया है। 

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