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छात्र संगठन का दावा, जामिया के 17 छात्र निलंबित, प्रशासन ने अफवाह बताया

नई दिल्ली: वामपंथी छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) ने आरोप लगाया है कि जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने दो पीएचडी शोधार्थियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के विरोध में 17 छात्रों को निलंबित कर दिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले में सफाई देते हुए छात्रों से “अफवाहों और फर्जी संदेशों” से बचने की अपील की और नियमित रूप से कक्षाओं में उपस्थित रहने की सलाह दी है।

निलंबन के विरोध में प्रदर्शन और पुलिस कार्रवाई

13 फरवरी, 2025 को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा दो पीएचडी शोधार्थियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने के विरोध में छात्रों ने प्रदर्शन किया था। इस दौरान दिल्ली पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया, जिन्हें करीब 12 घंटे बाद रिहा किया गया। छात्रों ने आरोप लगाया कि हिरासत में उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया और उन्हें अपने परिजनों से संपर्क करने की अनुमति नहीं दी गई।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रदर्शनकारी छात्रों पर संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया, जिसे छात्रों ने खारिज किया। उनका दावा है कि 20 से अधिक छात्रों को हिरासत में लिया गया था। विश्वविद्यालय ने एक पैनल गठित कर उन 17 छात्रों की निजी जानकारी लीक होने की जांच की घोषणा की, जिनका नाम विरोध प्रदर्शन से जुड़ा था।

प्रशासन की सख्ती और छात्रों की मांगें

15 दिसंबर 2023 को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) विरोधी आंदोलन की वर्षगांठ पर “जामिया प्रतिरोध दिवस” के तहत एक प्रदर्शन आयोजित किया गया था, जिसे लेकर प्रशासन ने दो पीएचडी शोधार्थियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इस मामले पर विश्वविद्यालय की अनुशासन समिति 25 फरवरी को समीक्षा बैठक करेगी।

प्रदर्शनकारी छात्रों ने प्रशासन से अनुशासनात्मक कार्रवाइयों को रद्द करने, विरोध प्रदर्शन पर लगाए गए 2020 के प्रतिबंध को हटाने, भित्तिचित्रों और पोस्टरों पर लगाए गए 50,000 रुपये के जुर्माने को समाप्त करने और भविष्य में विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने वाले छात्रों पर कार्रवाई न करने की गारंटी देने की मांग की है।

कुछ छात्रों का कहना है कि अक्टूबर 2024 में कुलपति मजहर आसिफ के पदभार ग्रहण करने के बाद से विरोध प्रदर्शनों पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। आइसा सदस्य अर्पण के अनुसार, “2023 में बिना किसी कार्रवाई के प्रतिरोध दिवस मनाया गया था, लेकिन 2024 में प्रशासन ने नोटिस और पूछताछ शुरू कर दी।”

विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि वह छात्रों की चिंताओं को गंभीरता से ले रहा है और अनुशासन समिति की बैठक के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

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