Saturday, October 11, 2025
Homeसाइंस-टेकइसरो की बड़ी छलांग, भारत बना अंतरिक्ष में सफल डॉकिंग करने वाला...

इसरो की बड़ी छलांग, भारत बना अंतरिक्ष में सफल डॉकिंग करने वाला चौथा देश

नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को बताया कि स्पैडेक्स मिशन के उपग्रहों की सफल डॉकिंग के साथ ही भारत अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बन गया है।

इसरो ने दो छोटे अंतरिक्ष यान एसडीएक्स01, चेजर, और एसडीएक्स02, टारगेट के अंतरिक्ष में एक साथ जुड़ने जानकारी दी। इन दोनों का वजन लगभग 220 किलोग्राम है। ये उपग्रह स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पेडेक्स) मिशन का हिस्सा थे, जिसे 30 दिसंबर को श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी60 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया गया था।

स्पेस डॉकिंग करने वाला भारत चौथा देश

भारत अब डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करने वाला अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा देश बन गया है। इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “डॉकिंग सक्सेस स्पेसक्राफ्ट डॉकिंग सफलतापूर्वक पूरी हुई! एक ऐतिहासिक क्षण।”

पोस्ट में आगे कहा गया है, “डॉकिंग सफलतापूर्वक पूरी हो गई। भारत सफल अंतरिक्ष डॉकिंग हासिल करने वाला चौथा देश बन गया। पूरी टीम को बधाई! भारत को बधाई।” अंतरिक्ष विभाग के सचिव, अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने इसरो टीम को बधाई दी।

स्पेस डॉकिंग में सफलता के क्या मायने हैं?

डॉकिंग तकनीक स्वदेशी तौर पर विकसित की गई है और इसे ‘भारतीय डॉकिंग सिस्टम’ नाम दिया गया है। इसरो का मानना ​​है कि स्पैडेक्स मिशन, कक्षीय डॉकिंग में भारत की क्षमता स्थापित करने में मदद करेगा, जो भविष्य के मानव अंतरिक्ष उड़ान और उपग्रह सेवा मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीक है।

अंतरिक्ष यात्रा करने वाले देशों के विशिष्ट क्लब में शामिल होने के अलावा, डॉकिंग प्रौद्योगिकी भारत के आगामी अंतरिक्ष मिशनों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिसमें चंद्र मिशन, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना, तथा पृथ्वी से जीएनएसएस के समर्थन के बिना चंद्रयान-4 जैसे चंद्र मिशन शामिल हैं।

इसरो के अनुसार डॉक किए गए अंतरिक्ष यान के बीच विद्युत शक्ति के हस्तांतरण का भी प्रदर्शन करेगा, जो भविष्य के अनुप्रयोगों जैसे कि अंतरिक्ष में रोबोटिक्स, समग्र अंतरिक्ष यान नियंत्रण और अनडॉकिंग के बाद पेलोड संचालन के लिए आवश्यक है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी इसरो को बधाई

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उपग्रहों की अंतरिक्ष डॉकिंग के सफल प्रदर्शन के लिए इसरो को बधाई दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘उपग्रहों की अंतरिक्ष डॉकिंग की सफलता के लिए इसरो के हमारे वैज्ञानिकों और पूरे अंतरिक्ष समुदाय को बधाई। यह आने वाले वर्षों में भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशनों की ओर बढ़ाया गया महत्वपूर्ण कदम है।’

वहीं केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक्स पोस्ट पर लिखा, ‘इसरो ने आखिरकार यह कर दिखाया। स्पैडेक्स ने अविश्वसनीय उपलब्धि हासिल की है। डॉकिंग पूरी हो गई है और यह पूरी तरह स्वदेशी “भारतीय डॉकिंग सिस्टम” है। इससे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रयान 4 और गगनयान समेत भविष्य के महत्वाकांक्षी मिशनों के सुचारू संचालन का मार्ग प्रशस्त होगा। पीएम मोदी का निरंतर संरक्षण बेंगलुरु में उत्साह को बढ़ाता रहता है।’

वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिखा, ‘इसरो को इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर बधाई। भारत सफलतापूर्वक अंतरिक्ष डॉकिंग हासिल करने वाला चौथा देश बन गया है, जो हमारी अंतरिक्ष क्षमताओं में एक बड़ी छलांग है। यह असाधारण मील का पत्थर मिशन के पीछे प्रतिभाशाली दिमागों के समर्पण और विशेषज्ञता को उजागर करता है। भारत के लिए यह गौरव का क्षण है।’

स्पेस डॉकिंग किसे कहते हैं?

सरल भाषा में समझें तो स्पेस डॉकिंग अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को जोड़ने की प्रक्रिया है। इससे दोनों उपग्रहों के बीच क्रू मेंबर्स सहित सामान और अन्य उपकरणों की सप्लाई आसानी से की जा सकती है। इस लिहाज से डॉकिंग बेहद अहम तकनीक है।

डॉकिंग चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया मानी जाती है। इसमें अंतरिक्ष में तेजी से घूम रहे स्पेसक्राफ्ट की गति को पहले नियंत्रित किया जाता है और फिर इन्हें एक-दूसरे से सटीक तरीके से जोड़ा जाता है। इसमें गड़बड़ी बड़े हादसे की वजह बन सकते हैं।

इसरो ने 30 दिसंबर को स्पैडेक्स मिशन (SpaDeX) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) मिशन के तहत दो उपग्रहों को 30 दिसंबर की रात को श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी60 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया गया था। इसके बाद रॉकेट ने दोनों उपग्रहों को कुछ दूरी पर एक ही कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया था।

इसरो ने तब बताया था कि अभी अंतरिक्ष में डिप्लॉयमेंट के बाद दोनों स्पेसक्राफ्ट्स की रफ्तार करीब 28,800 किलोमीटर प्रति घंटे की थी। इसके बाद पिछले कुछ दिनों में इनकी गति को कम करते हुए डॉकिंग की प्रक्रिया पूरी की गई है।

(समाचार एजेंसी IANS के इनपुट के साथ)

यह भी पढ़ें- स्पेस डॉकिंग क्या है? इसरो ने सफलतापूर्वक लॉन्च किया मिशन

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा