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सीएम चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ जांच और गिरफ्तारी का नेतृत्व करने वाले IPS अधिकारी निलंबित

हैदराबादः आंध्र प्रदेश सरकार ने पूर्व सीआईडी अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP) और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एन संजय को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई सतर्कता और प्रवर्तन (V&E) विभाग की जांच के बाद हुई, जिसमें कथित तौर पर पाया गया कि उन्होंने आंध्र प्रदेश राज्य आपदा प्रतिक्रिया और अग्निशमन सेवा के महानिदेशक के रूप में 1 करोड़ रुपये का गबन किया था।

1996 बैच के अधिकारी एन संजय ने बतौर सीआईडी प्रमुख कई हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच की थी, जिनमें आंध्र प्रदेश स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन में कथित घोटाला भी शामिल है। इस मामले में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू को आरोपी बनाया गया था। पिछले साल 23 सितंबर को, संजय ने उस ऑपरेशन की निगरानी की थी, जिसमें सीआईडी अधिकारियों ने नांदयाल में सुबह-सुबह चंद्रबाबू नायडू को गिरफ्तार किया था।

सतर्कता जांच में क्या बात आई सामने?

सतर्कता और प्रवर्तन रिपोर्ट के अनुसार, जब संजय एपी राज्य आपदा प्रतिक्रिया और अग्निशमन सेवाओं के महानिदेशक थे, तब उन्होंने वेब पोर्टल के निर्माण और हार्डवेयर की आपूर्ति के लिए निविदाएं जारी कीं। रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने विजयवाड़ा की साउत्रिका टेक्नोलॉजीज एंड इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर भुगतान किया, जबकि कंपनी ने केवल 14% काम पूरा किया था।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि संजय ने हैदराबाद की कृतव्य टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आयोजित एक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति जागरूकता कार्यशाला के लिए क्रमशः 59,52,500 रुपये और 59,51,500 रुपये का भुगतान किया। जांच में कथित तौर पर पाया गया कि हैदराबाद में ऐसी कोई कंपनी नहीं है और सूचीबद्ध पते पर साउत्रिका टेक्नोलॉजीज एंड इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड का कार्यालय है।

सतर्कता रिपोर्ट ने सरकार को कंपनी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने और केंद्रीय सेवा आचरण नियमों के तहत संजय पर उचित कानूनी उपाय लागू करने की सिफारिश की।

सरकार का आदेश

मुख्य सचिव नीरभ कुमार प्रसाद द्वारा जारी किए गए दो पृष्ठों के आदेश में कहा गया कि रिपोर्टों की सावधानीपूर्वक जांच के बाद, राज्य सरकार निष्कर्ष निकाला है कि संजय ने सरकारी धन का दुरुपयोग किया। इसके चलते उन्हें जांच लंबित रहने तक निलंबित करना आवश्यक है। आदेश के अनुसार, संजय को पुलिस मुख्यालय में रखा गया है और उन्हें सरकार की अनुमति के बिना मुख्यालय छोड़ने की अनुमति नहीं होगी।

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