
नई दिल्ली: भारत की पहली हाइड्रोजन चालित ट्रेन शुरू होने के लिए तैयार है। दरअसल, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (जिसे पहले ट्विटर कहा जाता था) पर एक वीडियो पोस्ट किया। इसमें भारत में पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन की झलक दिखाई गई है। भारत इस ओर अगर तेजी से बढ़ रहा है तो देश में पर्यावरण के अनुकूल परिवहन की दिशा में ये एक महत्वपूर्ण कदम है।
साथ ही भारत अब जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन के बाद हाइड्रोजन तकनीक से चलने वाली ट्रेनें चलाने वाला दुनिया का पाँचवाँ देश बन जाएगा है। पहली हाइड्रोजन चालित ट्रेन सेवा हरियाणा के जींद और सोनीपत को जोड़ने वाले मार्ग पर चलेगी। भारत में इस पहले हाइड्रोजन ट्रेन की और क्या खासियत है और इससे जुड़े क्या दिलचस्प तथ्य हैं, आईए जानते हैं।
भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन और इससे जुड़े तथ्य
- भारतीय रेलवे के अनुसार ये नई ट्रेन दुनिया की सबसे शक्तिशाली और सबसे लंबी हाइड्रोजन-संचालित ट्रेन होगी, जिसमें 2,600 यात्रियों को ले जाने की क्षमता होगी।
- भारतीय रेलवे ने हाल ही में चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) में अपने पहले हाइड्रोजन-संचालित ट्रेन कोच का परीक्षण पूरा किया है।
- जुलाई में अश्विनी वैष्णव ने एक्स पर एक ट्रायल का वीडियो साझा करते हुए इसे ‘भविष्य के लिए तैयार और मजबूत भारत’ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
- उन्होंने कहा था, ‘भारत 1200 एचपी हाइड्रोजन ट्रेन विकसित कर रहा है। इससे भारत हाइड्रोजन चालित ट्रेन प्रौद्योगिकी में अग्रणी देशों में शामिल हो जाएगा।’
- राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में वैष्णव ने ‘विरासत के लिए हाइड्रोजन’ के तहत 35 हाइड्रोजन ट्रेनों की योजना की रूपरेखा प्रस्तुत की, जिसमें प्रत्येक ट्रेन की अनुमानित लागत 80 करोड़ रुपये और हेरिटेज एवं पहाड़ी मार्गों के लिए मार्ग अवसंरचना व्यय 70 करोड़ रुपये है।
- भारतीय रेलवे ने एक पायलट कार्यक्रम के माध्यम से भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन बनाने के लिए परियोजना शुरू की है, जिसमें हाइड्रोजन ईंधन सेल्स के साथ डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (डीईएमयू) रेक का संशोधन शामिल है।
जिंद से हाइड्रोजन की सप्लाई
रेल मंत्री ने ट्रेन संचालन में सहायता के लिए हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण और वितरण हेतु एक एकीकृत सुविधा सहित सहायक बुनियादी ढाँचे की योजनाओं का भी विस्तृत विवरण दिया है। इस परियोजना में रखरखाव के उद्देश्य से पाँच हाइड्रोजन ईंधन सेल आधारित टावर कारों का विकास भी शामिल है, जिनमें से प्रत्येक की कीमत 10 करोड़ रुपये है।
हरियाणा में चलने वाली ट्रेन के लिए हाइड्रोजन की आपूर्ति जींद स्थित 1 मेगावाट (MW) पॉलीमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन (PEM) इलेक्ट्रोलाइजर के माध्यम से की जाएगी। ग्रीनएच इलेक्ट्रोलिसिस के अनुसार, यह इलेक्ट्रोलाइजर लगातार काम करेगा और प्रतिदिन लगभग 430 किलोग्राम हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा।
कंपनी ने आगे बताया कि जिंद में जहां से इंधन आपूर्ति होनी है, वहां 3000 किलो हाइड्रोजन स्टोरेज में भी बना रहेगा। कंपनी ने बताया, ‘जींद में ईंधन भरने के बुनियादी ढांचे में 3,000 किलोग्राम हाइड्रोजन भंडारण, हाइड्रोजन कंप्रेसर और प्री-कूलर एकीकरण के साथ दो हाइड्रोजन डिस्पेंसर भी होंगे, जिससे ट्रेनों में त्वरित ईंधन भरने की सुविधा होगी।’