Homeविश्व11 उम्मीदवारों को पछाड़ भारतीय-अमेरिकी सुहास सुब्रमण्यम ने वर्जीनिया प्राइमरी चुनाव में...

11 उम्मीदवारों को पछाड़ भारतीय-अमेरिकी सुहास सुब्रमण्यम ने वर्जीनिया प्राइमरी चुनाव में जीत हासिल की

न्यूयॉर्कः  भारतीय-अमेरिकी सुहास सुब्रमण्यम ने वर्जीनिया प्राइमरी चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से जीत हासिल की है। उन्होंने 11 अन्य उम्मीदवारों को हराया, जिनमें भारतीय-अमेरिकी क्रिस्टल कौल भी शामिल थीं। सुहास सुब्रमण्यम 2019 में वर्जीनिया जनरल असेंबली और 2023 में वर्जीनिया राज्य सीनेट के लिए चुने जाने वाले पहले भारतीय-अमेरिकी, दक्षिण एशियाई और हिंदू व्यक्ति हैं।

वह वर्जीनिया के 10वें कांग्रेसनल जिले से यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के लिए चुनाव लड़ रहे थे, जहां बड़ी संख्या में भारतीय-अमेरिकी लोग रहते हैं। वर्तमान में इस सीट पर डेमोक्रेट कांग्रेसवुमन जेनिफर वेक्सटन हैं, जिन्होंने पिछले साल घोषणा की थी कि वह इस सीट के लिए फिर से चुनाव नहीं लड़ेंगी।

37 वर्षीय सुहास सुब्रमण्यम का जन्म ह्यूस्टन में भारतीय-अमेरिकी माता-पिता के घर हुआ था। वे बेंगलुरु से अमेरिका आए थे। 2015 में, तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सुहास को व्हाइट हाउस में टेक्नोलॉजी पॉलिसी सलाहकार नियुक्त किया था। जेनिफर वेक्सटन ने सुब्रमण्यम का समर्थन किया था। अब सुब्रमण्यम का मुकाबला रिपब्लिकन पार्टी के माइक क्लैंसी से होगा।

इस साल की शुरुआत में समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में, सुहास ने कहा था कि वह अमेरिका के बेहतर भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस का चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा था, “कांग्रेस यहां समस्याओं का समाधान करने और भविष्य के प्रति सक्रिय रहने के लिए है। हमें सिर्फ अगले दो साल के लिए नहीं, बल्कि अगले 20 या 30 साल के लिए कानून बनाना चाहिए। मैं चाहता हूं कि मेरे बच्चे – मेरी दो बेटियां जो दो और तीन साल की हैं – एक बेहतर देश और दुनिया में रहें, जैसा हमने पाया।”

सुहास ने कहा कि वह चाहते हैं कि हर किसी को अमेरिकी सपने को जीने का मौका मिले। बकौल सुहास- “मेरे माता-पिता बेंगलुरु और चेन्नई से हैं और कुछ समय के लिए सिकंदराबाद में भी रहे। वे यहां आए क्योंकि वे यहां एक नई जिंदगी शुरू करना चाहते थे। वे चिकित्सक बनना चाहते थे और अमेरिका में चिकित्सक बनकर आप एक शानदार जिंदगी बना सकते हैं।”

सुहास ने बताया कि जब उनके माता-पिता यहां आए थे, तो उनके पास ज्यादा कुछ नहीं था, लेकिन उन्होंने शिक्षा और मेहनत के जरिए सफलता पाई। उन्होंने कहा, “मैं सुनिश्चित करना चाहता हूं कि हर किसी को अमेरिकी सपने को जीने का मौका मिले। हर किसी को एक शानदार व्यवसाय बनाने का मौका मिले, अगर वे ऐसा करना चाहते हैं, या किसी बड़े व्यवसाय का हिस्सा बनने का अवसर मिले, जिससे वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें।”

सुहास ने आगे कहा कि  “लेकिन यह वास्तव में इस तथ्य से शुरू हुआ कि हमारे समुदाय में शिक्षा सबसे बड़ा समानता का साधन है, और आप किसी भी स्थिति से उठ सकते हैं। यदि आप अच्छी तरह से पढ़ाई करते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं। मैं सुनिश्चित करना चाहता हूं कि यह स्थिति बनी रहे।”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा
Exit mobile version