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‘यह पुरानी आदत बन चुकी है’, भारत ने ओआईसी में आंतरिक मामलों को उठाने पर पाकिस्तान पर साधा निशाना

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी सऊदी अरब यात्रा से पहले भारत ने एक बार फिर इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) में अपने आंतरिक मामलों को बार-बार उठाने की पाकिस्तान की कोशिशों की तीखी आलोचना की है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने शनिवार को आयोजित एक मीडिया ब्रीफिंग में पाकिस्तान के दावों को झूठा और भ्रामक करार देते हुए कहा कि ओआईसी जैसे मंच का इस तरह दुरुपयोग अस्वीकार्य है।

मिसरी ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “यह पाकिस्तान की पुरानी आदत बन चुकी है। हम न सिर्फ इसका विरोध करते रहे हैं, बल्कि OIC में अपने मित्र देशों के सामने भी इस पर आपत्ति जताते रहे हैं।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस्लामिक सहयोग संगठन के सदस्य पाकिस्तान के रवैये से परिचित हैं, फिर भी भारत अपनी स्थिति स्पष्ट करता रहेगा ताकि यह साफ हो कि पाकिस्तान किन नीयतों से बार-बार ऐसे प्रयास करता है।

‘ओआईसी को हमारे आंतरिक मामलों में बोलने का अधिकार नहीं’

विदेश मंत्रालय पहले भी कई बार स्पष्ट कर चुका है कि भारत अपने आंतरिक मामलों में बाहरी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेगा। विदेश मंत्रालय के अनुसार,
“यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस्लामिक सहयोग संगठन जैसे मंच को पाकिस्तान जैसा देश, जिसका खुद का मानवाधिकार रिकॉर्ड दागदार है, भारत विरोधी प्रोपेगेंडा के लिए इस्तेमाल कर रहा है। हम इस्लामिक सहयोग संगठन को सलाह देते हैं कि भविष्य में इस तरह के संदर्भों से बचें।”

भारत के इस्लामी देशों के साथ ऐतिहासिक, आर्थिक और रणनीतिक रिश्ते रहे हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बीते एक दशक में काफी बल मिला है। कई विश्लेषकों के अनुसार, भारत ने दक्षिण एशिया से लेकर मध्य एशिया और खाड़ी क्षेत्र तक मुस्लिम बहुल देशों के साथ रिश्तों को न सिर्फ कूटनीतिक स्तर पर बढ़ाया है बल्कि रक्षा और ऊर्जा सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में भी साझेदारी को नया आयाम दिया है।

खाड़ी देश भारत को 60% से अधिक कच्चे तेल की आपूर्ति करते हैं। ओआईसी देशों के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 200 अरब डॉलर से अधिक का है।

ओआईसी: उद्देश्य और सियासत के बीच फंसा संगठन

1969 में स्थापित इस्लामिक सहयोग संगठन में कुल 57 देश सदस्य हैं, जिनमें से 48 मुस्लिम बहुल हैं। संगठन का दावा है कि वह “मुस्लिम दुनिया की सामूहिक आवाज़” है और इसका उद्देश्य मुस्लिम देशों के हितों की रक्षा करते हुए अंतरराष्ट्रीय शांति और सहयोग को बढ़ावा देना है। हालांकि, पाकिस्तान की भूमिका ने कई बार संगठन की साख पर सवाल खड़े किए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22-23 अप्रैल को सऊदी अरब की दो दिवसीय यात्रा पर रहेंगे। उन्हें यह निमंत्रण सऊदी क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान ने दिया है। यह यात्रा भारत-सऊदी संबंधों को और गहरा करने और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने के लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

समाचार एजेंसी आईएएनएस इनपुट के साथ

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