Friday, October 10, 2025
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चीनी पर्यटकों के लिए भारत ने खोले दरवाजे, 5 साल बाद फिर से वीजा जारी करने का फैसला

नई दिल्ली: बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास ने बुधवार को बताया कि भारत 24 जुलाई से चीनी नागरिकों को पर्यटक वीजा (टूरिस्ट वीजा) जारी करना फिर से शुरू करेगा। पाँच वर्षों में पहली बार होगा जब भारत चीनी नागरिकों के लिए टूरिस्ट वीजा जारी करना शुरू कर रहा है। साल 2020 में भारत ने कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए सभी पर्यटक वीजा निलंबित कर दिए थे।

चीन स्थित भारतीय दूतावास ने एक बयान में कहा कि चीनी नागरिक ऑनलाइन आवेदन पूरा करके, अपॉइंटमेंट लेकर और दक्षिण चीन के ग्वांगडोंग प्रांत के बीजिंग, शंघाई और ग्वांगझू स्थित भारतीय वीजा आवेदन केंद्रों में व्यक्तिगत रूप से अपना पासपोर्ट और अन्य आवश्यक दस्तावेज जमा करके भारत के लिए पर्यटक वीजा का आवेदन कर सकते हैं।

हाल के वर्षों में कोविड-19 महामारी और उसके बाद 2020 के गलवान संघर्षों को लेकर राजनयिक तनाव के बीच भारत और चीन के बीच यात्रा काफी बाधित रही। हालाँकि बीजिंग ने धीरे-धीरे भारतीय छात्रों और व्यापारियों को वीजा जारी करना फिर से शुरू कर दिया, लेकिन सामान्य यात्रा प्रतिबंधित रही थी।

गलवान घाटी झड़प के बाद बढ़ गया था तनाव

गलवान घाटी में हुई झड़पों के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध 1962 के युद्ध के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर पहुँच गए थे। कई कूटनीतिक और सैन्य वार्ताओं के बाद, दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर कई टकराव वाली जगहों से अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है।

पिछले अक्टूबर में दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख के अंतिम दो टकराव वाले बिंदुओं, देपसांग और डेमचोक से सैनिकों की वापसी के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके कुछ दिनों बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कजान में मुलाकात की और संबंधों को बेहतर बनाने के लिए कई निर्णय लिए।

इस वर्ष की शुरुआत में, भारत और चीन ने संबंधों को फिर से बेहतर बनाने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया है। दोनों देशों ने लोगों के बीच आपसी आदान-प्रदान, मुलाकात को बढ़ावा देने के प्रयास शुरू करने पर सहमति व्यक्त की। इसी के तहत इस वर्ष सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने और कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने की पहल शामिल है। कोविड-19 के प्रकोप के बाद से यह यात्रा स्थगित कर दी गई थी।

अप्रैल में, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत और चीन अपने संबंधों में ‘सकारात्मक दिशा’ की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा था कि संबंधों को सामान्य बनाने के लिए और काम करने की आवश्यकता है।

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