नई दिल्ली: भारत इस साल वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में बड़े सुधार करने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) की सुबह लाल किले से वादा किया कि ये ‘अगली पीढ़ी’ के सुधार इस साल दिवाली से पहले लागू हो जाएँगे। उन्होंने इन सुधारों के साथ आम इस्तेमाल की वस्तुओं पर करों में भारी कमी का आश्वासन दिया।
स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी के भाषणा के बाद अब इन जीएसटी सुधारों के लिए वित्त मंत्रालय ने खाका पेश किया है, जिसे आगे की चर्चा के लिए मंत्रिसमूह को भेज दिया गया है। जीएसटी परिषद अपनी आगामी बैठक में इस पर विचार करेगी। आइये समझने की कोशिश करते हैं कि कि इन सुधारों के पीछे क्या कारण हैं और इससे आम जनता को क्या लाभ होगा।
पीएम मोदी का दिवाली गिफ्ट का वादा
जीएसटी सुधार प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लाल किले से स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए गए अपने भाषण में की गई प्रमुख घोषणाओं में से एक रह। उन्होंने इसे जनता के लिए ‘दिवाली का तोहफा’ बताया, जिससे देश भर में लोगों पर कर का बोझ कम होगा।
उन्होंने कहा कि जीएसटी 1 जुलाई, 2017 को लागू हुआ था। इसके आठ साल पूरे हो गए हैं और अब इन बदलावों की समीक्षा का समय आ गया है। पीएम मोदी ने बताया कि समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया था और राज्यों से भी परामर्श किया गया था। इसके बाद सरकार जीएसटी सुधारों का एक नया सेट लेकर आई है।
प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया, ‘इससे आम आदमी के लिए वस्तुओं पर लगने वाले करों में काफी कमी आएगी। हमारे एमएसएमई को इसका बहुत फायदा होगा। दैनिक उपयोग की वस्तुएँ सस्ती हो जाएँगी, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।’
जीएसटी सुधार को लेकर वित्त मंत्रालय ने क्या बताया है?
वित्त मंत्रालय की ओर से एक्स पर किए गए पोस्ट के अनुसार ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण के लिए केंद्र सरकार जीएसटी में महत्वपूर्ण सुधारों का प्रस्ताव कर रही है। यह तीन स्तंभों पर केंद्रित होगा-
- संरचनात्मक सुधार (Structural reforms)
2️. दरों का युक्तिसंगत रखना (Rate rationalization)
3️. जीवनयापन को आसान बनाना (ease of living)
वित्त मंत्रालय के अनुसार पहले स्तंभ यानी संरतनात्मक सुधार के लक्ष्य के तहत कई कदम उठाए जाएंगे। इसके तरहत इनपुट और आउटपुट कर दरों को एक समान करने के लिए इनवर्टेड शुल्क ढांचे में सुधार किया जाएगा। इससे इनपुट टैक्स क्रेडिट में कमी आएगी। साथ ही इससे घरेलू मूल्य संवर्धन को बढ़ावा मिलेगा।
इसके अलावा टैक्स ढांचे से जुड़े परिभाषाओं और नियमों को सरल बनाया जाएगा ताकि कर विवादों को कम किया जा सके। दर संरचनाओं को सुव्यवस्थित करने, विवादों को कम करने, अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाने और विभिन्न क्षेत्रों में अधिक समानता एवं एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। इसके अलावा उद्योग में विश्वास बढ़ाने और बेहतर व्यावसायिक योजना बनाने में सहायता के लिए दरों और नीतिगत दिशा पर दीर्घकालिक स्पष्टता रखी जाएगी। इसके लिए टैक्स स्लैब को लंबे समय तक ऐसा रखा जा सकता है ताकि उद्योगों का भरोसा बढ़े और कारोबार में आसानी हो।
स्लैब की संख्या घटाने की पहल
दूसरे स्तंभ यानी दरों का युक्तिसंगत रखना/दरों के सरलीकरण की ओर भी कदम उठाए जाएंगे। इसके तहत मानव वस्तुओं और जरूरी वस्तुओं पर कर कम किया जा सकता है, ताकि इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों के लिए अधिक सुलभ बनाया जा सकेगा। इसके अलावा स्लैब की संख्या घटाई जाएगी। इसे- स्टैंडर्ड और मेरिट- दो स्लैब में लाते हुए इसका सरलीकरण किया जाएगा। केवल कुछ चुनिंदा वस्तुओं के लिए विशेष दरें होंगी। अभी अलग-अलग वस्तुओं के लिए 5, 12, 18 और 24 प्रतिशत की चार टैक्स स्लैब हैं।
वहीं, तीसरे स्तंभ यानी जीवन को आसान बनाने के लक्ष्य के तहत जीएसटी दरों को आसान बनाकर लघु उद्योगों और स्टार्टअप को प्रोत्साहन करने पर फोकस होगा। इसके अलावा पहले से भरे हुए रिटर्न को लागू करना भी एक कदम होगा, जिससे मैन्युअल हस्तक्षेप कम होगा और विसंगतियाँ दूर होगी। निर्यातकों और इंवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर वाले लोगों के लिए रिफंड की तेज और ऑटोमेटिक प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जाएगा।