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फ्रांस के नए प्रधानमंत्री होंगे माइकल बार्नियर, राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने किया नियुक्त

पेरिस: फ्रांस में समय से पूर्व कराए गए आकस्मिक चुनाव के करीब दो महीने बाद आखिरकार राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने नए प्रधानमंत्री के नाम की घोषणा कर दी है। राष्ट्रपति मैक्रों ने पिछले दो महीने से चले आ रहे राजनीति गतिरोध के बीच मिशेल बार्नियर को देश के नए प्रधानमंत्री के रूप में नामित किया है।

बार्नियर 73 के हैं। वे यूरोपीय संघ के पूर्व मुख्य ब्रेक्जिट  वार्ताकार रह चुके हैं। उन्होंने 2016 और 2019 के बीच यूनाइडेट किंगडम की सरकार के साथ वार्ता का नेतृत्व किया था। दक्षिणपंथी रिपब्लिकन (एलआर) पार्टी के बेहद अनुभवी नेता माने जाने वाले बार्नियर का एक लंबा राजनीतिक करियर रहा है। उन्होंने फ्रांस और यूरोपीय संघ दोनों जगहों पर वरिष्ठ पदों पर काम किया है।

बार्नियर के लिए सरकार चलाना आसान नहीं

बार्नियर के लिए सरकार चलाना आसान नहीं होगा। चुनाव के नतीजे बंटे हुए थे और किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था। ऐसे में बार्नियर को ऐसी सरकार बनानी होगी जो अभी तीन बड़े राजनीतिक गुटों में विभाजित नेशनल असेंबली में कायम रहे।

गौरतलब है कि करीब तीन साल पहले बार्नियर ने कहा था कि वह फ्रांस के राष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रपति मैक्रों को टक्कर देना चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि वह आप्रवासन को सीमित करना और उस पर नियंत्रण रखना चाहते हैं। हालांकि, तब वे अपनी पार्टी द्वारा उम्मीदवार के रूप में चुने जाने में असफल रहे थे।

फ्रांस को मिलेगा सबसे उम्रदराज प्रधानमंत्री

फ्रांस में 1958 में पांचवें गणतंत्र के अस्तित्व में आने के बाद से बार्नियर फ्रांस के सबसे उम्रदराज प्रधानमंत्री होंगे। वह फ्रांस के अब तक के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री गेब्रियल अटल का स्थान लेंगे जिन्हें राष्ट्रपति मैक्रों ने पहली बार 2024 की शुरुआत में प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। वे जुलाई से कार्यवाहक के रूप में पद पर बने हुए हैं। प्रधानमंत्री के रूप में मैक्रां की पसंद ने वामपंथी-मध्यमार्गी न्यू पॉपुलर फ्रंट (एनएफपी) के भीतर असंतोष पैदा कर दिया है, जिसने जुलाई में हुए चुनाव में सबसे अधिक सीटें जीती थीं।

फ्रांस के चुनाव में क्या हुआ था?

फ्रांस के संसदीय चुनाव में किसी भी पार्टी या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। एनएफपी गठबंधन ने सबसे ज्यादा सीटें जीती थी। इस गठबंधन को 182 सीटें मिली। पहले दौर में हुए मतदान के बाद दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली सबसे आगे रही थी। ऐसे में उसके चुनाव जीतने की उम्मीद जताई जा रही थी। हालांकि, दूसरे दौर में उसे 143 सीटें मिली और वह तीसरे नंबर पर थी। रिपब्लिकन (एलआर) पार्टी ने इसी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था।

वहीं, दूसरे स्थान पर राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों की पार्टी रेनसां के नेतृत्व वाला गठबंधन इनसेंबल (Ensemble) रहा। इस गठबंधन को 168 सीटें प्राप्त हुई। फ्रांस में 577 सीटों वाली नेशनल एसेंबली में स्पष्ट बहुमत के लिए किसी भी गठबंधन के पास 289 सीटें होनी चाहिए।

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