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पूर्व IPS अधिकारी, भोजपुरी गायक…प्रशांत किशोर की पार्टी का किन दो और लोगों ने थामा हाथ

पटना: हिमाचल प्रदेश कैडर के एक पूर्व आईपीएस अधिकारी जेपी सिंह शुक्रवार को प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाली जन सुराज पार्टी में शामिल हो गए। बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले जेपी सिंह के पार्टी में शामिल होने को अहम माना जा रहा है। इसके अलावा सासाराम के रहने वाले और लोकप्रिय भोजपुरी गायक रितेश पांडे ने भी प्रशांत किशोर की पार्टी का दामन थामा है। रितेश पांडे 2019 में अपने गीत ‘हैलो कौन’ से खासे लोकप्रिय हुए थे।

बिहार के सारण जिले के रहने वाले जेपी सिंह 2000 बैच के अधिकारी हैं, जिन्होंने हाल ही में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली है। उस समय वह अपराध जाँच विभाग में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के पद पर कार्यरत थे और जुलाई 2027 में सेवानिवृत्त होने वाले थे। सूत्रों के अनुसार, जेपी सिंह छपरा सीट से टिकट की उम्मीद कर रहे हैं।

प्रशांत किशोर ने दोनों के पार्टी में शामिल होने पर क्या कहा?

प्रशांत किशोर ने दोनों का पार्टी में स्वागत किया है। उन्होंने कहा, ‘जेपी सिंह इस बात का एक बेहतरीन उदाहरण हैं कि कैसे बिहार का एक व्यक्ति खराब व्यवस्था से जूझकर आगे बढ़ा। उन्होंने सारण के एकमा के सरकारी स्कूल में पढ़ाई की, रक्षा बलों में काम किया और बाद में आईपीएस अधिकारी बनने से पहले भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण में भी काम किया। वह पार्टी के लिए बहुत बड़ा योगदान देंगे।’

रितेश पांडे के बारे में प्रशांत किशोर ने कहा कि वे एक स्कूल शिक्षक के बेटे हैं। उन्होंने कहा, ‘उनके पिता लालू प्रसाद के शासनकाल में अपनी नौकरी गंवा बैठे और बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए परिवार को बनारस ले गए।’

वहीं, जेपी सिंह ने कहा कि उन्होंने प्रशांत किशोर के आंदोलन में शामिल होने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। उन्होंने कहा, ‘मेरे माता-पिता ने मेरा नाम जय प्रकाश रखा, जो भारतीय इतिहास में एक महान नाम है। जब मैंने देखा कि प्रशांत किशोर जैसे व्यक्ति, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र में काम किया था, बिहार के लिए काम करने के लिए अपनी सुविधाओं को छोड़ बाहर आ सकते हैं, तो मुझे भी वैसा ही दर्द महसूस हुआ और अपने राज्य के लिए कुछ करने की इच्छा हुई।’

रितेश पांडे ने कहा कि वह किशोर के काम से ‘प्रेरित’ हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं जानता हूँ कि बिहार के लोगों को राज्य के बाहर किस तरह के दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता था… मैं उनके हाथ मजबूत करने का फैसला करके अपना योगदान देना चाहता था।’

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