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मानसिक रोगी पत्नी ने की पूर्व DGP ओम प्रकाश की हत्या; बेटे ने लगाया आरोप

बेंगलुरु: बेंगलुरु के एचएसआर लेआउट स्थित आवास में कर्नाटक के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओम प्रकाश की हत्या कर दी गई। वह 1981 बैच के सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी थे। फिलहाल, पुलिस मामले की जांच का रही है। इसी बीच खबर है कि प्रकाश के बेटे ने इस हत्या का जिम्मेदार मानसिक रूप से अस्वस्थ मां को बताया है। कहा जा रहा है कि वह लंबे समय से स्कीजोफ्रीनिया नाम की बीमारी से जूझ रही हैं। हालांकि, इसे लेकर पुलिस की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।
 
कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि ओम प्रकाश ने कुछ समय पहले अपनी जान को खतरा होने की बात कही थी। इसी को ध्यान में रखते हुए पुलिस को शक है कि इस हत्या में किसी करीबी परिजन का हाथ हो सकता है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, बताया जा रहा है कि पूर्व डीजीपी के बेटे कार्तिक ने दावा किया है कि हत्या के पीछे उनकी मां पल्लवी का हाथ है। रिपोर्ट के मुताबिक, परिवार के सदस्यों ने बताया है कि पल्लवी कई बार बता चुकी हैं कि वह डर के साए में रहती हैं। साथ ही दावा कर चुकी हैं कि उनके पति उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं और कई बार बंदूक दिखा चुके हैं।

स्कीजोफ्रीनिया से ग्रसित हैं पूर्व डीजीपी की पत्नी

इतना ही नहीं रिपोर्ट में यह भी दावा किया जा रहा है कि पल्लवी अधिकांश भ्रम में रहती हैं। वह चीजों की कल्पना करती रहती हैं और विचारों को लेकर परेशान रहती हैं। कार्तिक की शिकायत पर पुलिस ने पल्लवी के साथ उनकी बेटी कृति के खिलाफ भी केस दर्ज कर लिया है। शिकायत में पल्लवी को मामले में मुख्य आरोपी बनाया गया है। उनका स्कीजोफ्रीनिया का इलाज चल रहा है।

हालांकि, पुलिस के मुताबिक घटना की जानकारी भी पत्नी पल्लवी ने ही पुलिस कंट्रोल रूम में फोन पर दी थी। पुलिस ने फिलहाल पल्लवी को हिरासत में लेकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। अब पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।

पूर्व डीजीपी ओम प्रकाश ने कई पदों पर दी अपनी सेवाएं

उल्लेखनीय है कि पूर्व डीजीपी ओम प्रकाश बिहार के चंपारण जिले के रहने वाले थे। उन्होंने भू विज्ञान में स्नातकोत्तर किया था। अपने कार्यकाल में उन्होंने कर्नाटक होमगार्ड्स और फायर ब्रिगेड के महानिदेशक और 2015 से 2017 तक राज्य के पुलिस महानिदेशक के रूप में सेवाएं दी थीं।

इसके अलावा उन्होंने कई पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं। उन्होंने कर्नाटक सतर्कता प्रकोष्ठ के एसपी, लोकायुक्त में सेवा, अग्निशमन सेवाओं के डीआईजी और सीआईडी के आईजीपी के रूप में कार्य किया। उन्होंने 1993 के भटकल सांप्रदायिक दंगों के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और डीआईजी (प्रशासन), डीआईजी (उत्तरी रेंज), डीआईजी (प्रशिक्षण), एडीजीपी (अपराध और तकनीकी सेवाएं) और एडीजीपी (शिकायत और मानवाधिकार) जैसे वरिष्ठ पदों पर कार्य किया।उन्होंने 28 फरवरी, 2015 को डीजीपी के रूप में पदभार संभाला और 2017 में सेवानिवृत्त हुए।

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