ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जाएर बोलसोनारो को 27 साल और तीन महीने जेल की सजा सुनाई गई है। देश के सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उन्हें राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला डा सिल्वा से 2022 की चुनावी हार के बाद सत्ता में बने रहने के लिए तख्तापलट की कोशिश करने का दोषी ठहराया। पांच जजों के एक पैनल द्वारा दिए गए इस फैसले में चार ने दोषी ठहराने के लिए मत किया। वहीं, एक जज ने बरी करने के पक्ष में वोट दिया। पांच में से दो जजों ने मंगलवार को ही बोलसोनारो को दोषी ठहराने के पक्ष में मतदान करते हुए अपने फैसले की घोषणा कर दी थी।
बहरहाल, इस फैसले के साथ बोलसोनारो पहले पूर्व ब्राजीलियाई राष्ट्रपति बन गए हैं, जिन्हें लोकतांत्रिक चुनाव को पलटने की कोशिश करने का दोषी पाया गया है। उन्हें पांच मामलों में दोषी ठहराया गया, जिसमें कानून के शासन को खत्म करने की साजिश, एक सशस्त्र आपराधिक संगठन से संबंधित होना और हिंसा भड़काना शामिल है। बोलसोनारो ने लगातार इन आरोपों से इनकार किया है और राजधानी ब्रासीलिया में नजरबंद हैं। वह अभी भी फैसले के खिलाफ अपील कर सकते हैं। हालांकि, स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ऐसी अपील में फैसला बदले जाने की संभावना बेहद कम होती है।
बोलसोनारो को दोषी ठहराए जाने पर भड़के डोनाल्ड ट्रंप
ब्राजीलियाई कोर्ट के इस फैसले को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। हालांकि, अमेरिका की ओर से बेहद तीखी प्रतिक्रिया आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह इस सजा से ‘बेहद नाखुश’ हैं। उन्होंने बोलसोनारो को ‘शानदार’ शख्स बताया। वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने एक्स पर एक पोस्ट में इस फैसले की निंदा करते हुए इसे ‘विच हंट’ करार दिया और चेतावनी दी कि ट्रंप प्रशासन ‘इसी तरह जवाब देगा।’
गौरतलब है कि ट्रंप लगातार बोलसोनारो के पक्ष में आवाज उठाते रहे हैं। अमेरिका ने इस साल के शुरू में ही बोलसोनारो के खिलाफ मामले का हवाला देते हुए ब्राजील से आयात होने वाले सामानों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया था।
फैसले के बाद ब्राजील की राजनीति में घमासान
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ब्राजील में राजनीतिक तनाव भी बढ़ गया है। धुर-दक्षिणपंथी नेता माने जाने वाले बोलसोनारो के समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं और दावा कर रहे हैं कि यह मामला राजनीतिक उत्पीड़न का है। उनके सबसे बड़े बेटे और सीनेटर फ्लेवियो बोलसोनारो ने इस फैसले को ‘सर्वोच्च उत्पीड़न’ बताया और कहा कि इतिहास उनके पिता को निर्दोष साबित करेगा।
वहीं, फैसला सुनाने वाली पैनल में शामिल जस्टिस कारमेन लूसिया ने कहा कि अटॉर्नी जनरल के कार्यालय से मिले सबूतों से उन्हें यकीन हो गया है। उन्होंने कहा, ‘वह उकसाने वाले हैं, एक ऐसे संगठन के नेता हैं जिसने सत्ता बनाए रखने या उस पर कब्जा जमाए रखने के लिए हर संभव कदम उठाया।’ वहीं, इस मामले में जस्टिस एलेक्जेंडर डी मोरेस ने बोलसोनारो को आपराधिक तख्तापलट की साजिश का ‘मुखिया’ करार दिया।
ब्राजील के मौजूदा राष्ट्रपति लूला ने गुरुवार को कहा कि सैकड़ों सबूत दिखाते हैं कि बोलसोनारो ने ब्राजील के लोकतंत्र के खिलाफ तख्तापलट की कोशिश की थी।
बोलसोनारो और ब्राजील के लिए अब आगे क्या?
बोल्सोनारो पर एक अलग मामले में पहले ही 2030 तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। हालांकि, बतौर नेता वे ब्राजील की राजनीति में एक प्रभावशाली व्यक्ति बने हुए हैं। पर्यवेक्षकों को ऐसी भी संभावना है कि वे अगले चुनाव में लूला को चुनौती देने के लिए किसी राजनीतिक उत्तराधिकारी का समर्थन करेंगे। वैसे, गुरुवार के फैसले के बावजूद बोलसोनारो को तुरंत जेल नहीं जाना पड़ेगा। हालांकि, बोलसोनारो की अपील अगर आगे भी सफल नहीं होती है तो देश में राजनीतिक तनाव के साथ-साथ ब्राजील के अमेरिका के साथ रिश्ते और उथल-पुथल के दौर से गुजर सकते हैं।