Monday, October 13, 2025
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कोल्ड्रिफ कफ सिरप कांड में ED की एंट्री, चेन्नई में ड्रग कंट्रोल विभाग के अधिकारियों और ‘श्रीसन फार्मा’ के ठिकानों पर की छापेमारी

ईडी के अनुसार, यह छापेमारी उस मामले से जुड़ी है जिसमें मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में श्रीसन फार्मा की बनी कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से कम से कम 22 बच्चों की मौत हुई थी। लैब रिपोर्ट में इस सिरप में 48.6 प्रतिशत खतरनाक रसायन डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) पाया गया। यह रसायन शरीर में जाने पर किडनी को स्थायी नुकसान पहुंचाता है।

चेन्नई/भोपालः मध्य प्रदेश में जहरीले कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से 22 बच्चों की मौत के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को चेन्नई और कांचीपुरम में एक साथ सात ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत की गई।

एजेंसी ने सिरप बनाने वाली कंपनी ‘श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स’ के मालिक जी. रंगनाथन के चेन्नई स्थित कोडंबक्कम आवास, कंपनी के कांचीपुरम स्थित निर्माण संयंत्र और तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट के वरिष्ठ अधिकारियों के घरों और कार्यालयों पर छापा मारा।

जांच के दायरे में तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल विभाग की निदेशक दीपा और संयुक्त निदेशक कार्तिकेयन के आवास भी शामिल हैं। इन दोनों अधिकारियों को कथित लापरवाही और श्रीसन फार्मा को विनिर्माण लाइसेंस देने में संभावित भ्रष्टाचार के आरोप में पहले ही निलंबित किया जा चुका है।

ईडी के अनुसार, यह छापेमारी उस मामले से जुड़ी है जिसमें मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में श्रीसन फार्मा की बनी कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से कम से कम 22 बच्चों की मौत हुई थी। लैब रिपोर्ट में इस सिरप में 48.6 प्रतिशत खतरनाक रसायन डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) पाया गया। यह रसायन शरीर में जाने पर किडनी को स्थायी नुकसान पहुंचाता है।

यह भी पढ़ेंः मध्य प्रदेश एसआईटी ने तमिलनाडु कफ सिरप कंपनी की जांच की, 20 बच्चों की हुई थी मौत

जांच में खुलासा हुआ है कि श्नीसन फार्मा के प्लांट में 300 से अधिक सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों का उल्लंघन किया गया था। कंपनी ने गैर-फार्मास्यूटिकल ग्रेड के रसायनों का इस्तेमाल किया ताकि उत्पादन लागत कम रखी जा सके।

यह छापेमारी श्रीसन कंपनी के मालिक रंगनाथन की गिरफ्तारी के कुछ दिनों बाद हुई है। मामले की जांच कर रही मध्य प्रदेश पुलिस की एसआईटी ने रंगनाथन को 9 अक्टूबर को चेन्नई पुलिस की मदद से गिरफ्तार किया था। मौतों की सूचना के बाद से फरार चल रहे रंगनाथन को इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के जरिए ट्रैक किया गया था।

तमिलनाडु सरकार ने इस घटना के बाद ड्रग कंट्रोल विभाग के दो अधिकारियों, संयुक्त निदेशक कार्तिकेयन और निदेशक (डीपा) को लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोपों में निलंबित कर दिया था। जांच में पाया गया कि बीते दो सालों से इन अधिकारियों ने कंपनी के प्लांट का कोई औचक निरीक्षण नहीं किया था।

इसके अलावा, विभाग के कार्यवाहक निदेशक को भी एंटी-करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ा है। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

इन दोनों एफआईआरों में एक मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत से जुड़ी और दूसरी तमिलनाडु में रिश्वतखोरी से जुड़ी पीएमएलए के तहत अनुसूचित अपराध शामिल हैं, जिसके आधार पर ईडी ने प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की है।

यह भी पढ़ेंः कोल्ड्रिफ कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल की पुष्टि, राजस्थान में ड्रग कंट्रोलर निलंबित, फार्मा कंपनी का वितरण रोका गया

ईडी की जांच के दायरे में क्या है?

ईडी यह जांच कर रही है कि क्या कंपनी और निलंबित अधिकारियों के बीच वित्तीय लेन-देन हुआ था और क्या रिश्वत या कमीशन के जरिए दवा निर्माण लाइसेंस जारी किए गए। एजेंसी इस बात की भी जांच कर रही है कि अवैध मुनाफे को शेल कंपनियों या बेनामी खातों के जरिए छिपाया गया या नहीं।

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2011 से संचालन में रहने वाली श्रीसन फार्मा को कई बार चेतावनी दी गई थी, लेकिन खराब बुनियादी ढांचे और गुणवत्ता जांच की कमी के बावजूद उसने उत्पादन जारी रखा। बैच नंबर SR-13 (निर्माण तिथि: मई 2025, एक्सपायरी: अप्रैल 2027) में जहरीले स्तर का डीईजी पाया गया।

मामले के सामने आने के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्रीसान फार्मा और उसकी सभी दवाओं पर राज्यव्यापी प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया। इसके बाद कंपनी का निर्माण लाइसेंस भी रद्द कर दिया गया।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.in
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
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