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ईडी की कट्टरपंथी संगठन पीएफआई पर बड़ी कार्रवाई, 56 करोड़ की संपत्ति जब्त की

नई दिल्लीः प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की 56.56 करोड़ रुपये की 35 अचल संपत्तियां जब्त कर दी हैं। ये संपत्तियां पीएफआई से जुड़े ट्रस्ट, कंपनियों और व्यक्तियों के नाम पर थीं। एजेंसी की जांच से यह खुलासा हुआ है कि पीएफआई के पदाधिकारी और सदस्य भारत और विदेश से अवैध रूप से धन जुटाकर आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे थे।

ईडी के अनुसार, 19 अचल संपत्तियों की कीमत ₹35.43 करोड़ और 16 अन्य अचल संपत्तियों की कीमत ₹21.13 करोड़ बताई गई है। कुल मिलाकर ₹56.56 करोड़ की 35 संपत्तियों को जब्त किया गया है।

आतंकी गतिविधियों के लिए जुटाए गए थे अवैध फंड

ईडी ने अपनी जांच में दावा किया है कि पीएफआई के पदाधिकारी, सदस्य और कार्यकर्ता भारत और विदेशों से बैंकिंग चैनलों, हवाला, दान आदि के माध्यम से फंड जुटा रहे थे। इस धन का इस्तेमाल भारत में आतंकी हमलों को अंजाम देने और उन्हें वित्तीय सहायता पहुंचाने के लिए किया जा रहा था।

पीएफआई के 29 बैंक खातों में अवैध फंड जमा: ईडी

ईडी के मुताबिक, पीएफआई द्वारा अवैध तरीकों से जुटाए गए फंड 29 बैंक खातों में जमा किए गए थे, जो केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, जम्मू-कश्मीर और मणिपुर जैसे राज्यों में स्थित थे। एजेंसी का दावा है कि पीएफआई ने नकद और बैंक खातों के माध्यम से अवैध फंड जुटाए, जिन्हें “अपराध से अर्जित आय” के रूप में देखा गया है। यह राशि लगभग ₹94 करोड़ तक पहुंच चुकी है।

अब तक, ईडी ने पीएफआई के 26 सदस्यों और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है और फरवरी 2021 से मई 2024 के बीच 9 अभियोजन शिकायतें दाखिल की हैं।

विदेशों में पीएफआई के 13,000 से अधिक सक्रिय सदस्य

ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि पीएफआई के सिंगापुर और खाड़ी देशों जैसे कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और यूएई में 13,000 से अधिक सक्रिय सदस्य हैं। ईडी ने बताया कि पीएफआई ने इन देशों में रहने वाले अप्रवासी मुसलमानों के लिए जिला कार्यकारी समितियां (DECs) बनाई थीं, जिनका मुख्य काम फंड इकट्ठा करना था।

विदेशी फंड का हवाला के जरिए भारत में स्थानांतरण

प्रत्येक जिला कार्यकारी समिति को करोड़ों रुपये का फंड इकट्ठा करने का लक्ष्य दिया गया था। विदेशों से जुटाए गए फंड को जटिल बैंकिंग चैनलों और हवाला के जरिए भारत में स्थानांतरित किया गया ताकि इसकी उत्पत्ति का पता न लगाया जा सके। इसके बाद यह फंड पीएफआई और उसके पदाधिकारियों को सौंपे जाते थे, जिनका इस्तेमाल आतंकी और अवैध गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए किया जाता था।

ईडी ने आरोप लगाया है कि पीएफआई का असली उद्देश्य भारत में “जिहाद के जरिए एक इस्लामिक आंदोलन” चलाना है, हालांकि पीएफआई खुद को एक सामाजिक आंदोलन के रूप में प्रस्तुत करता है। इस कार्रवाई के बाद, ईडी ने पीएफआई के नेटवर्क पर एक बड़ा प्रहार किया है, जिससे उनकी आतंकी गतिविधियों को रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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