Friday, October 10, 2025
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चुनाव आयोग देशभर में शुरू करेगा विशेष गहन पुनरीक्षण, कहा– स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए SIR आवश्यक

नई दिल्लीः बिहार में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर जारी विवाद के बीच चुनाव आयोग ने इसे पूरे देश में शुरू करने की घोषणा की है। आयोग ने गुरुवार को एक अहम आदेश जारी करते हुए कहा कि यह कदम मतदाता सूचियों की सटीकता और अखंडता बनाए रखने के अपने संवैधानिक दायित्व के तहत उठाया गया है। देश के अन्य हिस्सों में इस अभियान का शेड्यूल बाद में घोषित किया जाएगा।

यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर पहले से ही जबरदस्त राजनीतिक विरोध चल रहा है। संसद का मानसून सत्र भी इस मुद्दे पर लगातार चार दिन तक स्थगित हो चुका है। 

चुनाव आयोग ने बीते 24 जून को जारी अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि “आयोग ने अब देशभर में विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू करने का निर्णय लिया है, ताकि वह मतदाता सूचियों की अखंडता की रक्षा करने संबंधी अपने संवैधानिक दायित्व को निभा सके… देश के अन्य हिस्सों में SIR का कार्यक्रम समय आने पर घोषित किया जाएगा।”

आयोग ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि स्वच्छ और अद्यतन मतदाता सूची स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की रीढ़ है। इसके लिए वह संविधान और कानूनों के अनुरूप काम कर रहा है। मतदाता पंजीकरण से जुड़े सभी प्रावधान जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाताओं का पंजीकरण नियम, 1960 के तहत तय किए गए हैं, जिनका पालन अनिवार्य है।

निर्वाचन आयोग ने यह भी दोहराया कि कोई भी योग्य भारतीय नागरिक मतदाता सूची से छूटना नहीं चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, हर भारतीय नागरिक जिसे कोई वैधानिक अयोग्यता नहीं है और जो योग्यता तिथि तक 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का है, उसे मतदाता सूची में शामिल किया जाना चाहिए।

आयोग ने यह भी स्वीकार किया कि पिछले दो दशकों में मतदाता सूचियों में नाम जोड़ने और हटाने की प्रक्रिया में काफी बदलाव आया है। लोगों का तेजी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना — चाहे वह रोजगार, शिक्षा या अन्य कारणों से हो — इस वजह से कई मतदाता अपने नए पते पर नाम जुड़वा लेते हैं लेकिन पुराने पते से नाम नहीं हटवाते, जिससे सूचियों में दोहराव बढ़ता गया है। ऐसे में प्रत्येक प्रविष्टि की सघन जांच अब अनिवार्य हो गई है।

इसके अलावा, आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में केवल भारतीय नागरिकों को ही शामिल किया जाना चाहिए। अनुच्छेद 326 के अनुसार, कोई भी विदेशी नागरिक अथवा अयोग्य व्यक्ति मतदाता सूची का हिस्सा नहीं बन सकता। यह निर्वाचन आयोग का संवैधानिक दायित्व है कि वह यह सुनिश्चित करे कि मतदाता सूची में सिर्फ वास्तविक, पात्र और भारतीय नागरिक ही दर्ज हों।

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