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DGCA की जांच में खुली विमानन सुरक्षा की पोल, बड़े एयरपोर्टों पर गंभीर लापरवाहियां और बार-बार दोहराए गए तकनीकी दोष उजागर

नई दिल्लीः एविएशन सुरक्षा की निगरानी करने वाली संस्था डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने दिल्ली, मुंबई सहित देश के प्रमुख हवाई अड्डों पर व्यापक निरीक्षण अभियान चलाया, जिसमें कई गंभीर चूकें और लापरवाहियाँ सामने आई हैं। इनमें एयरक्राफ्ट में पहले से रिपोर्ट की गई तकनीकी खामियों का फिर से उभरना, रखरखाव के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन न करना, और जरूरी जानकारी का लॉगबुक में दर्ज न होना जैसी गंभीर कमियां शामिल हैं।

डीजीसीए की ओर से मंगलवार को जारी बयान में बताया गया कि जून में किए गए इस निरीक्षण में दो टीमों ने रात और तड़के के समय बड़े हवाईअड्डों पर बारीकी से निगरानी की। इनमें विमान संचालन, एटीसी, एयरवर्दिनेस, ग्राउंड हैंडलिंग, संचार प्रणाली, और मेडिकल परीक्षण जैसी अहम गतिविधियां शामिल थीं।

क्या-क्या खामियां पाईं गईं?

डीजीसीए की विशेष निगरानी में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। एक घरेलू उड़ान को इसलिए रोकना पड़ा क्योंकि उसके टायर अत्यधिक घिसे हुए थे, जिसे मरम्मत के बाद ही उड़ान की अनुमति दी गई। इसके अलावा, कई विमानों में पहले से रिपोर्ट की गई तकनीकी खराबियां दोबारा देखी गईं, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि निगरानी और सुधार की प्रक्रिया प्रभावी नहीं रही। लाइन मेंटेनेंस के दौरान वर्क ऑर्डर और सुरक्षा निर्देशों का पालन नहीं किया गया, और थ्रस्ट रिवर्सर सिस्टम तथा फ्लैप-स्लैट लीवर जैसे महत्वपूर्ण हिस्सों को लॉक नहीं किया गया था।

रिपोर्ट में आगे बताया गया कि विमान प्रणाली द्वारा उत्पन्न कई डिफेक्ट रिपोर्ट्स को तकनीकी लॉगबुक में दर्ज नहीं किया गया और कई विमानों में लाइफ जैकेट्स ठीक से अपनी निर्धारित सीटों के नीचे सुरक्षित नहीं थीं। साथ ही, एक विमान के राइट विंगलेट की निचली ब्लेड पर लगा एंटी-कोरोजन टेप खराब स्थिति में पाया गया।

हवाई अड्डों की अधोसंरचना से जुड़ी लापरवाहियों की बात करें तो, एक एयरपोर्ट पर रनवे की सेंटरलाइन मार्किंग फीकी पाई गई, जिससे विमान संचालन में रात के समय जोखिम बढ़ सकता है। टैक्सीवे की लाइटिंग एक दिशा में कार्य नहीं कर रही थी, और रैपिड एग्जिट टैक्सीवे व एप्रन एरिया में कई वाहन बिना स्पीड गवर्नर के देखे गए। इतना ही नहीं, बाधा सीमांकन डेटा पिछले तीन वर्षों से अपडेट नहीं किया गया, जबकि हवाईअड्डे के आसपास कई नए निर्माण हो चुके हैं। एक उड़ान सिम्युलेटर की सॉफ्टवेयर सेटिंग्स भी वास्तविक विमान से मेल नहीं खा रही थीं और उसमें अद्यतन संस्करण भी स्थापित नहीं था।

सुधार के लिए 7 दिनों की डेडलाइन तय की गई

डीजीसीए ने स्पष्ट किया है कि सभी खामियों की जानकारी संबंधित ऑपरेटरों को दे दी गई है और उन्हें 7 दिनों के भीतर सुधारात्मक कार्रवाई करने को कहा गया है। डीजीसीए ने यह भी कहा कि इस प्रकार की निगरानी भविष्य में भी नियमित रूप से जारी रहेगी ताकि एविएशन प्रणाली में मौजूद खतरे समय रहते पकड़े जा सकें।

यह विशेष निगरानी डीजीसीए द्वारा 19 जून को घोषित एक नए निगरानी ढांचे के तहत की गई थी। यह पहल उस दर्दनाक हादसे के ठीक बाद आई है, जिसमें 22 अप्रैल को अहमदाबाद में एयर इंडिया के एक बोइंग 787-8 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से 241 यात्रियों की मौत हुई थी। इस हादसे की जांच एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) कर रहा है।

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