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दिल्ली अग्निशमन सेवा के प्रमुख अतुल गर्ग बोले- जस्टिस वर्मा के घर नकदी न मिलने की बात कभी नहीं कही

नई दिल्ली: दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) के प्रमुख अतुल गर्ग ने शुक्रवार को उन खबरों का खंडन किया, जिनमें उनके हवाले से कहा गया था कि दिल्ली उच्च न्यायालय के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर आग बुझाने के दौरान नकदी न मिलने की बात कही गई थी। 

गर्ग ने यह स्पष्टीकरण कुछ मीडिया आउटलेट्स की खबरों के बाद दिया है, जिसमें एक समाचार एजेंसी ने उनके हवाले से कहा था कि न्यायाधीश के आधिकारिक आवास पर आग बुझाने के दौरान दमकलकर्मियों को नकदी नहीं मिली थी।

समाचार एजेंसी आईएएनएस की पूछताछ के जवाब में गर्ग ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा, “मैंने कभी किसी मीडिया आउटलेट को यह नहीं बताया कि दमकलकर्मियों ने घटनास्थल पर नकदी न मिलने की बात कही है।” जब उनसे पूछा गया कि खबरों में उनका नाम क्यों लिया जा रहा है, तो गर्ग ने कहा, “मुझे नहीं पता क्यों,” और उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने पहले ही इस बयान को प्रकाशित करने वाले मीडिया आउटलेट्स को स्पष्टीकरण भेज दिया है।

अग्निशमन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, आग केवल स्टोर रूम में रखे घरेलू और स्टेशनरी सामान तक सीमित थी और इसमें कोई हताहत नहीं हुआ। इससे पहले, कुछ मीडिया आउटलेट्स ने बताया था कि गर्ग ने कहा, “दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास पर आग बुझाने के अभियान के दौरान अग्निशमन कर्मियों को कोई नकदी नहीं मिली।” 14 मार्च आग बुझाने के बाद अग्निशमन दल ने पुलिस को सूचना दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया स्पष्टीकरण

यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब 14 मार्च आग लगने की घटना के दौरान न्यायमूर्ति वर्मा के आवास पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के आरोपों के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पूरी घटना की जांच शुरू की है। कहा जा रहा है कि कॉलेजियम ने उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की भी सिफारिश की है।

अटकलबाजी के जवाब में, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा, “न्यायमूर्ति वर्मा का इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरण उनके आधिकारिक आवास पर कथित रूप से नकदी मिलने से संबंधित नहीं है।”

अदालत ने जोर देकर कहा कि स्थानांतरण का निर्णय मामले की चल रही जांच से स्वतंत्र रूप से लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेस नोट में कहा, “न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आवास पर हुई घटना के बारे में गलत सूचना और अफवाहें फैलाई जा रही हैं।” साथ ही न्यायालय ने स्थानांतरण और कथित नकदी बरामदगी के बीच किसी भी तरह के संबंध को खारिज कर दिया।

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