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चेक गणराज्य ने निखिल गुप्ता को अमेरिका को सौंपा, गुरपतवंत सिंह पन्नून की हत्या की साजिश रचने का है आरोप

न्यूयॉर्क: चेक गणराज्य ने आतंकी और अमेरिकी नागरिक गुरपतवंत सिंह पन्नून की हत्या की साजिश रचने के आरोपी निखिल गुप्ता को अमेरिका को सौंप दिया गया है। कैदियों की रिकॉर्ड के अनुसार गुप्ता अभी संघीय हिरासत में है। फेडरल ब्यूरो ऑफ प्रीजन्स के रविवार के रिकॉर्ड के अनुसार गुप्ता इस समय ब्रुकलिन में मेट्रोपोलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद है। यहां संघीय अदालतों में पेशी का इंतजार कर रहे कैदियों को रखा जाता है।

एबीसी टीवी नेटवर्क ने न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले की संघीय अदालत के प्रवक्ता के हवाले से बताया कि गुप्ता को सोमवार को अदालत में पेश किया जाएगा। उसे पिछले साल 30 जून को चेक गणराज्य में गिरफ्तार किया गया था। अमेरिका ने उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया था।

गुप्ता ने इस साल के आरंभ में अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ चेक कांस्टीट्यूशनल कोर्ट में अपील की थी। पिछले महीने उसकी अपील खारिज होने के बाद प्रत्यर्पण संभव हो सका है।

निखिल गुप्ता पर क्या आरोप हैं?

अदालत के दस्तावेज के मुताबिक, “निक” नाम का भी इस्तेमाल करने वाले गुप्ता पर एक अनाम भारतीय “वरिष्ठ फील्ड अधिकारी” के साथ मिलकर “पंजाब को (भारत से) अलग कर खालिस्तान नाम से एक स्वायत्त राष्ट्र बनाने की वकालत करने वाले एक अमेरिकी संगठन” के नेता की हत्या की साजिश रचने का आरोप है।

अदालती दस्तावेज में खालिस्तान समर्थक नेता के नाम का उल्लेख नहीं है, लेकिन मामला गुरपतवंत सिंह पन्नून से जुड़ा है जो पेशे से वकील है और अमेरिका तथा कनाडा की नागरिकता रखता है। वह न्यूयॉर्क में रहता है और खालिस्तान के समर्थन में अभियान चलाता है। उसे भारत सरकार ने आतंकवादी घोषित कर रखा है।

गुप्ता के वकील जेफरी चैब्रो ने जनवरी में न्यूयॉर्क की एक अदालत को बताया था कि उसके परिवार के मीडिया में दिये गये बयानों से पता चलता है कि प्राग में हिरासत के दौरान उसे बुनियादी मानवीय अधिकारों से वंचित किया जा रहा है और लंबी अवधि के लिए एकांतवास में रखा जा रहा है।

आरोपपत्र में क्या कहा गया है?

निखिल गुप्ता के खिलाफ आरोपपत्र में कहा गया है कि गुप्ता को “वरिष्ठ फील्ड अधिकारी” ने हत्या को अंजाम देने का जिम्मा सौंपा था। गुप्ता ने इस काम के लिए एक और व्यक्ति से संपर्क किया जिसे वह अपराधी समझ रहा था, लेकिन वह वास्तव में अमेरिकी कानून प्रवर्तक के लिए काम करने वाला गुप्त सूत्र था।

दस्तावेजों में आरोप लगाया गया है कि उस व्यक्ति ने गुप्ता को एक शूटर से मिलवाया जो दरअसल अमेरिकी कानून प्रवर्तन एजेंसी का एक अंडरकवर अधिकारी था। उसे हत्या को अंजाम देने के लिए एक लाख डॉलर का ऑफर दिया गया। गुप्ता ने कथित शूटर को 15 हजार डॉलर एडवांस और पन्नून के बारे में पूरी जानकारी दी।

अभियोजन पक्ष ने कहा कि गुप्ता ने खुद को नशीली दवाओं और हथियारों की तस्करी में शामिल बताया था और कहा था कि उसने “वरिष्ठ फील्ड अधिकारी” की मदद से भारत में उसके खिलाफ मामले रफादफा कराये थे।

गुप्ता के वकील ने अदालत से अनुरोध किया था कि वह अभियोजन पक्ष को मामले में और जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दे। अदालत ने यह कहते हुए अनुरोध ठुकरा दिया कि आरोपी को अदालत में पेश करने बाद अभियोजन पक्ष के पास मामले के विवरण उपलब्ध कराने के लिए 14 दिन का समय होता है।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने अप्रैल में कहा था कि “हमने भारत की सरकार को स्पष्ट कर दिया है कि हम उनसे पूरी जांच की उम्मीद करते हैं और हम उस जांच के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं।”

(समाचार एजेंसी IANS)

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