भोपालः मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में 11 बच्चों की मौत के बाद अधिकारियों ने शनिवार रात डॉक्टर प्रदीप सोनी को गिरफ्तार कर लिया। मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर डॉ. सोनी को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है। निलंबन के बाद उन्हें जबलपुर स्थित क्षेत्रीय स्वास्थ्य सेवा कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया है। प्रवीण सोनी वही डॉक्टर हैं जिन्होंने बच्चों को संदिग्ध खांसी की दवा कोल्ड्रिफ (Coldrif) सिरप लिखी थी।
पुलिस ने शनिवार को ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर अंकित साहलम की शिकायत पर डॉ. सोनी और कोल्ड्रिफ सिरप बनाने वाली श्रीसन फार्मास्युटिकल्स कंपनी के संचालकों के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज की थी। श्रीसन फार्मास्युटिकल्स वहीं कंपनी है जो तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में कोल्ड्रिफ सिरप बनाती है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और पुडुचेरी में भी इसकी सप्लाई की जाती है। एफआईआर पारासिया पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई और यह मामला ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 27(A) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 105 और 276 के तहत चलाया जा रहा है।
छिंदवाड़ा के एसपी अजय पांडेय ने बताया कि डॉक्टर सोनी के राजपाल चौक से हिरासत में लिया गया। उन्होंने कहा, छिंदवाड़ा जिले के पारासिया क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से बच्चों की मौत की घटनाएँ सामने आ रही थीं। प्रारंभिक रूप से यह देखा गया कि बच्चों की मौत गंभीर खांसी और जुकाम के कारण हुई थी। इसके बाद ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर ने जांच की और अपनी रिपोर्ट सौंप दी। जांच में सामने आया कि कोल्ड्रिफ सिरप में ऐसा रासायनिक यौगिक पाया गया, जिसने इन मौतों का कारण बना। इसी आधार पर कल एफआईआर दर्ज की गई और अब दवा के प्रिस्क्रिप्शन और अन्य संबंधित विवरणों के संबंध में कानूनी कार्रवाई जारी है।”
क्या है कोल्ड्रिफ सिरप और उसके सेवन से बच्चों की मौत का मामला?
सितंबर की शुरुआत में कुछ बच्चों को हल्के बुखार और सर्दी की शिकायत हुई थी। पीड़ित परिवारों के अनुसार इन बच्चोँ को सामान्य दवाइयां और खांसी की यही सिरप दी गई। कुछ दिनों के लिए बच्चे ठीक होने लगे लेकिन दुबारा से वहीं लक्षण फिर से उभरने लगे। इस दौरान बच्चों में पेशाब की मात्रा कम होने लगी और उनके किडनी में संक्रमण बढ़ गया। बाद में किडनी बायोप्सी से डाइएथिलीन ग्लाइकॉल की मौजूदगी सामने आई।
प्रभावित बच्चों को पहले छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन हालत गंभीर होने पर कई बच्चों को बेहतर इलाज के लिए महाराष्ट्र के नागपुर भेजा गया। नागपुर में तीन और छिंदवाड़ा में छह बच्चों की मौत हो गई।
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अधिकारियों के अनुसार, मृत बच्चों में अधिकांश को निजी क्लिनिक में डॉक्टर प्रवीण सोनी द्वारा इलाज दिया गया था। दिलचस्प बात है कि डॉक्टर सोनी एक सरकारी डॉक्टर हैं लेकिन वह अपना एक निजी क्लिनिक भी चलाते हैं। बच्चों को अपने निजी क्लिनिक पर ही इन्होंने कई बच्चों को खांसी और मौसमी बुखार के इलाज के लिए कोल्ड्रिफ सिरप लिखी थी। जांच में मृत बच्चों के घर से डॉक्टर का पर्चा भी मिला था।
बच्चों की मौत की खबरों के बाद स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सिरप के कुल छह नमूने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा लिए गए, जिनकी जांच में सभी नमूने हानिकारक रसायन डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) या एथिलीन ग्लाइकॉल (ईडी) मुक्त पाए गए।
उधर, एमपीएफडीए ने अपनी टीम द्वारा लिए गए 13 नमूनों में से 3 की जांच करवाई। लेकिन ये सब भी डीईजी/ईजी मुक्त पाए गए। हालांकि, मध्य प्रदेश सरकार तमिलनाडु एफडीए से बात की और उन्हें श्रीसन के निर्माण परिसर से कोल्ड्रिफ सिरप के नमूने लेकर जांच करने का अनुरोध किया। तमिलनाडु एफडीए की जांच रिपोर्ट 3 अक्टूबर 2025 की देर शाम आई जिसमें इन नमूनों में जहरीले रसायन डीईजी अनुमत सीमा से अधिक पाया गया।
सामान्य तौर पर कफ सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकोल की मात्रा 0.10 प्रतिशत तक होनी चाहिए, मगर जांच में यह मात्रा 48 प्रतिशत पाई गई है, जो कि मानक से लगभग 480 गुना ज्यादा है।
डाइएथिलीन ग्लाइकॉल क्या है और क्यों हानिकारक है?
डाइएथिलीन ग्लाइकॉल एक विषाक्त औद्योगिक रसायन है, जो आमतौर पर एंटिफ्रीज और अन्य औद्योगिक उपयोगों में आता है और मानव सेवन के लिए सुरक्षित नहीं है। शरीर में प्रवेश करने पर यह हानिकारक यौगिकों में बदल जाता है, जिससे तीव्र किडनी फ्ल्योर के साथ मेटाबॉलिक एसिडोसिस और मल्टी-ऑर्गन फेल्योर हो सकता है। विशेष रूप से बच्चों में यह बहुत ही कम मात्रा में भी घातक साबित हो सकता है।
एमपी, राजस्थान, केरल और तमिलनाडु में सिरप की बिक्री पर रोक
तमिलनाडु एफडीए की जांच रिपोर्ट जैसे ही सामने आई मध्य प्रदेश सरकार और राजस्थान सरकार ने इसकी बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी। सभी उपलब्ध स्टॉक्स को सील कर दिया गया और कंपनी के अन्य उत्पादों पर भी प्रतिबंध लगाया गया। सुरक्षा के मद्देनजर स्थानीय प्रशासन ने दूसरी खांसी की दवा Nextro-DS की बिक्री पर भी रोक लगा दी है, जबकि उसके परीक्षण परिणाम का इंतजार किया जा रहा है।
राजस्थान सरकार ने कार्रवाई करते हुए राज्य के ड्रग कंट्रोलर को निलंबित कर दिया और जयपुर स्थित कैसंस फार्मा की सभी दवाओं के वितरण पर भी रोक लगा दी। राजस्थान स्वास्थ्य विभाग ने दवा नियंत्रक पर दवा मानकों को प्रभावित करने का आरोप लगाया है। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के अलावा पिछले दो हफ्तों में राजस्थान के सीकर और भरतपुर में भी दो बच्चों की मौत हो गई है और दस से अधिक बच्चों के बीमार हो गए थे। ये दवाएं राज्य की मुफ्त दवा योजना के तहत दी गई थीं।
तमिलनाडु में 1 अक्टूबर को ही पूरे राज्य में Coldrif सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी थी और बाजार से सभी स्टॉक हटाने का आदेश दे दिया था। इस बीच केरल ने भी इस सिरफ की बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी है। केरल स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने बताया कि हालांकि प्रारंभिक जांच में पता चला कि संदिग्ध बैच राज्य में नहीं बेचा गया था।
वर्तमान में 13 बच्चे, जिनमें छिंदवाड़ा और नागपुर के आठ बच्चे शामिल हैं का इलाज जारी है। अधिकारियों ने अब इस बात की पूरी जांच शुरू कर दी है कि विषाक्त सिरप बाजार तक कैसे पहुंचा और इसे बच्चों को क्यों दिया गया। मध्य प्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु की मौतों की जांच के लिए NIV, ICMR-NEERI, CDSCO और एम्स नागपुर के विशेषज्ञों सहित एक बहु-विषयक टीम सक्रिय है।
केंद्र सरकार के स्वास्थ्य सचिव जल्द ही सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य), स्वास्थ्य सचिव और ड्रग कंट्रोलरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस करेंगे, ताकि खांसी की दवाओं के सुरक्षित उपयोग और दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके।