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पिता के सपने को पूरा करने के लिए बीआर गवई ने चुनी वकालत, CJI ने बताया क्या थी उनकी बनने की इच्छा?

नई दिल्लीः भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई के सम्मान में शनिवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा एक विशेष अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य न्यायाधीश ने अपने 40 वर्षों के कानूनी करियर के अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने वकालत अपने मन से नहीं, बल्कि पिता के सपनों को पूरा करने के लिए चुनी थी।

जस्टिस गवई ने बताया कि उनका सपना आर्किटेक्ट बनने का था। मैं वकील नहीं बनना चाहता था। आर्किटेक्ट बनने की इच्छा थी, और आज भी उस पैशन को जिंदा रखा है। उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, बॉम्बे हाईकोर्ट की इंफ्रास्ट्रक्चर कमेटी का अध्यक्ष रहकर मैंने उस रुझान को आगे बढ़ाया।

उन्होंने समारोह में बार काउंसिल को धन्यवाद देते हुए कहा, “यह आयोजन भारत की विविधता का एक सजीव उदाहरण है। हमारा संविधान इस विविधता को समाहित करता है—चाहे वह क्षेत्रीय हो, भौगोलिक हो या आर्थिक।”

गर्व है कि मैंने पिता की इच्छा पूरी कीः CJI

अपने पिता की प्रेरणा का जिक्र करते हुए CJI गवई भावुक हो उठे। उन्होंने बताया कि उनके पिता डॉ. भीमराव अंबेडकर के आंदोलन से जुड़े थे और सामाजिक क्रांति के लिए जेल भी गए। उन्होंने कहा, “पिता वकील बनना चाहते थे, लेकिन जेल में होने की वजह से एलएलबी की परीक्षा नहीं दे सके। इसलिए उन्होंने मुझसे यह सपना पूरा करने की उम्मीद की थी। आज मुझे गर्व है कि मैंने उनकी इच्छा पूरी की।” 

कार्यक्रम में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने कहा, “सीजेआई गवई ने हाल ही में कहा था कि यह पद केवल सुप्रीम कोर्ट तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे देश की न्यायिक प्रणाली की दिशा तय करता है। उनके नेतृत्व में हम कानूनी प्रणाली को और मज़बूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

गौरतलब है कि जस्टिस गवई ने 14 मई को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई थी। उनका कार्यकाल लगभग सात महीनों का होगा। वे पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना की जगह नियुक्त हुए हैं, जिनका कार्यकाल 13 मई को समाप्त हुआ।

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