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सीएम की कुर्सी के लिए हेमंत की हड़बड़ी के पीछे चंपई की ‘नाखुशी’, पेंच फंसने का था अंदेशा

रांची: छह दिन पहले जेल से बाहर आए हेमंत सोरेन ने वापस सीएम की कुर्सी संभालने में जैसी हड़बड़ी दिखाई, उसने झारखंड में हर किसी को हैरान कर दिया है। शपथ ग्रहण के लिए पहले सात जुलाई की तारीख तय हुई थी, लेकिन गुरुवार की दोपहर राज्यपाल ने जब हेमंत सोरेन को सीएम के रूप में नियुक्त करने का पत्र सौंपा, तो वहां से लौटते ही उन्होंने राजभवन को संदेश भिजवाया कि वे आज ही शपथ लेना चाहते हैं।

इसके बाद शाम चार बजकर 50 मिनट पर उन्होंने 13वें सीएम के रूप में शपथ भी ले ली।

बहुत जल्दी हुआ सबकुछ की कुछ भी नहीं समझ सकें चंपई सोरेन

दरअसल, राज्य में सत्ता के गलियारे में पिछले चार दिनों के भीतर राजनीतिक हालात नाटकीय रूप से बदले और हेमंत सोरेन ने पांच महीने से पूरी लॉयल्टी के साथ सीएम का दायित्व संभाल रहे झामुमो के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन से एक झटके में तख्त वापस ले लिया।

सब कुछ इतनी तेजी से घटित हुआ कि खुद चंपई सोरेन को समझने का वक्त नहीं मिला कि उन्हें इस तरह कुर्सी से बेदखल कर दिया जाएगा।

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खुद को ‘हेमंत पार्ट टू’ बताने वाले चंपई सोरेन ने भरोसार रखा कायम

31 जनवरी को जब ईडी ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था, तब उन्होंने इस्तीफा देने के साथ ही चंपई सोरेन को बड़े भरोसे के साथ अपना उत्तराधिकारी चुना था। चंपई ने पांच महीने के कार्यकाल के दौरान उनका यह भरोसा कायम भी रखा। वह कई मौकों पर खुद को ‘हेमंत पार्ट टू’ बताते रहे।

28 जून को जब हेमंत सोरेन जमानत मिलने पर जेल से निकले तो यह माना जा रहा था कि वह अगले तीन-चार महीनों में होने वाले विधानसभा चुनाव तक चंपई सोरेन को उनके पद पर बने रहने देंगे और खुद चुनावी अभियान का मोर्चा संभालेंगे। चंपई सोरेन भी यही मानकर चल रहे थे, लेकिन एक जुलाई से अचानक सब कुछ बदलता हुआ दिखने लगा।

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क्या चाहती थी कांग्रेस

कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने इसी दिन हेमंत सोरेन से फोन पर बात की और इसके बाद झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने दो दिन बाद यानी तीन जुलाई को सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों की बैठक आहूत कर ली।

बैठक के एक दिन पहले दो जुलाई को वह चंपई सोरेन से उनके आवास पर जाकर मिले और उन्हें बता दिया कि गठबंधन की साझीदार कांग्रेस चाहती है कि वह (हेमंत) वापस सीएम की कुर्सी संभालें। चंपई सोरेन अचानक यह फरमान सुनकर अवाक रह गए। उन्होंने उस दिन अपने सारे सरकारी कार्यक्रम स्थगित कर दिए।

‘नाराज’ थे चंपई सोरेन

चंपई सोरेन नाराज थे, लेकिन सियासी परिस्थितियां ऐसी रहीं कि वे इसका इजहार नहीं कर पाए। हेमंत सोरेन ने उन्हें अगले दिन बैठक में आने के लिए राजी किया। चंपई की मायूसी इसी बात से समझी जा सकती थी कि वे बैठक में भाग लेने के लिए हेमंत के आवास में पिछले दरवाजे से दाखिल हुए।

बैठक में हेमंत सोरेन को नया नेता चुने जाने का फैसला हुआ तो वे थोड़ी देर में ही वहां से निकल गए, जबकि गठबंधन के तमाम विधायकों और नेताओं की औपचारिक-अनौपचारिक बैठक काफी देर तक जारी रही।

जिस तरह से अचानक में सब कुछ हुआ, उससे चंपई मायूस तो थे, लेकिन उन्होंने इसका इजहार नहीं किया। सूत्रों की मानें तो हेमंत सोरेन तक चंपई सोरेन की ‘मायूसी’ की खबर पहुंच चुकी थी। इससे पहले कि उनकी कोई नाराजगी सतह पर आती, हेमंत सोरेन ने तत्काल सीएम की कुर्सी संभालने का फैसला कर लिया। (आईएएनएस)

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