Thursday, October 9, 2025
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खेती बाड़ी-कलम स्याही: प्रशांत किशोर की सभा और जेसीबी!

प्रशांत किशोर की हर जनसभा में सभा स्थल से पहले आपको पंक्तिबद्ध जेसीबी देखने को मिल जाएगी। आप सोच रहे होंगे कि आखिर जेसीबी क्यों? प्रशांत की पॉलिटिकल छवि को जेसीबी से एक अलग मुकाम तक पहुंचाने की कोशिश शायद उनकी इवेंट टीम कर रही हो।

बिहार की राजनीति इन दिनों हर रोज चुनावी गुणा-भाग के गणित को सुलझाने में लगी है। हर दल के नेताओं का आना-जान लगा हुआ है। सत्ताधारी दल लोकलुभावन फैसले लेकर जनता का मन मोहने में लगी है, वहीं विपक्ष सरकार के खिलाफ लगातार मुखर बनी हुई है।

इन दिनों पूरा बिहार बैनर-पोस्टर से भरा पड़ा हुआ है। भावी प्रत्याशियों के छोटे-बड़े बैनर आपको हर जगह दिख जाएंगे। इन सब हो-हल्ले के बीच जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर आपको हर दिन बिहार के किसी न किसी इलाके में सभा करते दिख जाएंगे।

उनकी सभा को नजदीक से देखने पर आपको कई ऐसी चीजों को समझने का मौका मिलता है, जिससे आप कह सकते हैं कि आने वाला वक्त कॉरपोरेट पॉलिटिक्स का होने जा रहा है, जहां इवेंट ही सबकुछ होगा।

हाल ही में प्रशांत किशोर की एक सभा में वक्त गुजारने का मौका मिला। फिल्ड रिपोर्टिंग के सिलसिले में पूर्णिया-मधेपुरा सीमा के आसापास के इलाकों को समझने में लगा था। पता चला कि पूर्णिया के रूपौली विधानसभा क्षेत्र में प्रशांत किशोर की सभा है। तो हम भी पहुंच गए उनकी सभा में और जानने की कोशिश में जुट गए कि क्या क्या हो रहा है सभा स्थल पर और उसके आसपास।

हाईवे से ग्रामीण इलाकों तक पीले रंग के तोरण द्वार दिखने को मिले। रुपौली में हाल ही में एक स्थानीय नेता और व्यवसायी ने पार्टी का दामन थामा था। सुनने में आया कि वही पार्टी के रूपौली विधानसभा सीट से उम्मीदवार होगा।

प्रशांत किशोर की सभा में मनोरंजन का भी खास ख्याल रखा जाता है। जबतक वे मंच तक रोड शो करते नहीं पहुंचते हैं, तबतक कोई न गायक लोगों को गीत सुनाता रहता है। यहां भी एक गायक आया हुआ था, काफी कम उम्र का लड़का था जो भोजपुरी में गाना सुना रहा था।

सभा स्थल में लोगों की भीड़ अच्छी खासी थी, इवेंट को सफल करने के लिए प्रशांत किशोर की टीम लगी हुई थी।

इनकी सभा को देखते हुए हम 2014 के मोदी की रैलियों के इंतजामात को याद करने लगे। कुछ-कुछ ऐसा ही तब प्रशांत किशोर भाजपा नेता नरेंद्र मोदी के लिए किया करते थे।

खैर, प्रशांत किशोर की हर जनसभा में सभा स्थल से पहले आपको पंक्तिबद्ध जेसीबी देखने को मिल जाएगी। आप सोच रहे होंगे कि आखिर जेसीबी क्यों? दरअसल जेसीबी से फूल बरसाए जाते हैं प्रशांत किशोर पर। प्रशांत की पॉलिटिकल छवि को जेसीबी से एक अलग मुकाम तक पहुंचाने की कोशिश शायद उनकी इवेंट टीम कर रही हो।

यह सबकुछ प्रशांत किशोर के इवेंट टीम से जुड़े लोग की देखरेख में होता है। उनके काफिले में मीडिया वैन की तरह एक गाड़ी चलती है , जो उनकी यात्रा को कवर करती है। हर कुछ को काफी नजदीक से फिल्माया जाता है। फूलों की बरसात और इसी बीच प्रशांत किशोर का गाड़ी के ऊपर आना, हाथ उठाकर अभिभावदन करना, यह सब स्क्रिप्टनुमा आपको नजर आएगा।

प्रशांत किशोर जो कुछ कर रहे हैं अपनी सभाओं में, वह नया नहीं है। दरअसल यह सब अलग अंदाज में वे पहले ही नेताओं के लिए कर चुके हैं। इस बार कुछ अलग तरीके से वे अपने लिए करवा रहे हैं।

यदि आप प्रशांत किशोर की पॉलिटिक्स और उनके इवेंट मैनेजमेंट को फॉलो कर रहे होंगे तो आपको कुछ ऐसे चेहरे भी दिखेंगे, जिन्हें प्रशांत किशोर के साथ हर जगह देखते होंगे। वह चाहे पटना का शेखपुरा हाउस हो या फिर पूर्णिया का रूपौली। दरअसल उनकी टीम लगातार कैंपेंन में लगी है और टीम लीडर हर मोर्चे पर आपको दिख जाएंगे, प्रशांत किशोर के संग।

प्रशांत किशोर के भाषणों पर आप ध्यान देंगे तो कंटेंट में किसी तरह का बदलाव आपको नजर नहीं आएगा। बेहद ही गुस्से से संग वे हर जगह खुद मोर्चा संभाल लेते हैं और मंच पर अन्य लोगों को ज्यादा स्पेस न देकर खुद बिहार की बदहाली पर बोलने लग जाते हैं। यह उनका कैंपेंन स्टाइल है, जहां एक चेहरा सब पर हावी होता है और लोग उस चेहरे को उम्मीद से देखने लग जाते हैं।

आप गौर करेंगे तो पाएंगे कि डिजिटल स्पेस पर प्रशांत किशोर सबसे अधिक मुखर दिखते हैं। रील से लेकर उनके लंबे -लंबे भाषणों से डिजिटल स्पेस ‘पीला’ हुआ पड़ा है। दरअसल पीले रंग को प्रशांत किशोर ने चुना है और इसी रंग को उन्होंने अपना राजनीतिक हथियार भी बनाया है।

प्रशांत किशोर की सभाओं में यूट्यूबर सबसे अधिक दिखते हैं। रूपौली में भी ऐसा ही दिखा। इससे पहले किशनगंज में भी यही लोग दिखे थे।

दरअसल प्रशांत किशोर की मीडिया मैनेजमेंट टीम मैन स्ट्रीम मीडिया से अधिक यूट्यबर और डिजिटल इंफ्लयूंसर को स्पेस देती है। हाल ही में पटना के शेखपुरा हाउस, जहां प्रशांत किशोर रहते हैं, वहां सोशल मीडिया इंफ्लयूंसर का जमावाड़ा लगवाया गया था और वर्कशॉप के जरिए उन्हें खूब ज्ञान दिया गया। कई लोगों को मीडिया किट् भी दिया गया था।

इन सब चीजों को ध्यान से देखते हुए जब आप प्रशांत किशोर की सभाओं में दाखिल होते हैं तो महसूस करते हैं कि बहुत कुछ शानदार तरीके से मैनेज किया जा चुका है। भीड़ आसानी से पहुंच रही है, भोजपुरी गीतों के जरिए भीड़ का मनोरंजन हो रहा है। भीड़ के एक हिस्से में मोबाइल और माइक लिए लोग रील बनाने में लगे हैं, मंच पर भी कुछ लोग लगातार वीडियो बना रहे हैं, लाइव वीडियो फेसबुक पर स्ट्रीम किया जा रहा है…. सबलोगों को प्रशांत किशोर सेल्फी दे रहे हैं, वह तस्वीर सोशल मीडिया को गुलजार कर रही है।

यह सब आपको प्रशांत किशोर की हर सभा में देखन को मिलेगी। भीड़ के बीच बने पंडाल में प्रशांत लोगों से सीधा संवाद स्थापित करते हैं, वे पहले दिन से ही आक्रमक छवि बनाए हुए हैं, गुस्से में ही संबोधन करते हैं। यह सब कुछ भीड़ को काफी पसंद आ रहा है, क्योंकि गुस्सा तो ग्राउंड में है ही।

वैसे इन सब बातों में जो चीज प्रशांत किशोर की सभा को आकर्षक बनाती है वह है पीले रंग का जेसीबी। जेसीबी से फूल फेंकते लोगों की कहानी दरअसल भीड़ को फिल्मी लगती है। प्रशांत किशोर जानते हैं कि भीड़ को कैसे मैनेज किया जाता है, सड़क से लेकर सभा स्थल तक।

गिरीन्द्र नाथ झा
गिरीन्द्र नाथ झा
गिरीन्द्र नाथ झा ने पत्रकारिता की पढ़ाई वाईएमसीए, दिल्ली से की. उसके पहले वे दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक कर चुके थे. आप CSDS के फेलोशिप प्रोग्राम के हिस्सा रह चुके हैं. पत्रकारिता के बाद करीब एक दशक तक विभिन्न टेलीविजन चैनलों और अखबारों में काम किया. पूर्णकालिक लेखन और जड़ों की ओर लौटने की जिद उनको वापस उनके गांव चनका ले आयी. वहां रह कर खेतीबाड़ी के साथ लेखन भी करते हैं. राजकमल प्रकाशन से उनकी लघु प्रेम कथाओं की किताब भी आ चुकी है.
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