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बांग्लादेश: बीएनपी का आरोप- संसदीय चुनाव में जानबूझकर देरी करवा रही अंतरिम सरकार

ढाका: बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने कहा कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने संसदीय चुनाव की तारीख के बारे में कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया। पार्टी का यह भी आरोप कि सरकार जानबूझकर चुनाव में देरी कर रही है। 

बीएनपी ने आरोप लगाया कि अंतरिम सरकार आगामी राष्ट्रीय चुनावों के लिए कोई रोडमैप देने में नाकाम रही जिसने जनता में संदेह को जन्म दिया है। अंतरिम सरकार ने कहा है कि चुनाव दिसंबर 2025 और जून 2026 के बीच हो सकते हैं, जबकि बीएनपी चाहती है कि चुनाव दिसंबर 2025 तक हो जाएं।

16 अप्रैल को मिलेगा प्रतिनिधिमंडल

इस बीच, चुनाव की योजना की जल्दी घोषणा करने की मांग करते हुए बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर 16 अप्रैल को मुख्य सलाहकार यूनुस से मिलने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।

बीएनपी स्थायी समिति के सदस्य सलाहुद्दीन अहमद ने बुधवार को मीडिया से कहा, “हम निश्चित रूप से दिसंबर से पहले मुख्य सलाहकार से चुनाव के लिए एक स्पष्ट रोडमैप चाहते हैं।”

अहमद ने कहा, “विभिन्न मुद्दों पर अलग-अलग बयानों के कारण कुछ भ्रम की स्थिति बनी हुई है, इसलिए हम मुख्य सलाहकार (यूनुस) से मामले को साफ करने की अपील करेंगे। इससे लोगों में अनिश्चितता दूर होगी, राजनीतिक स्थिरता बनी रहेगी और आर्थिक गतिविधियां तेज हो सकेंगी।”

यूनुस ने बुधवार को कहा कि अंतरिम सरकार की तरफ से किए जाने वाले सुधारों के हिसाब से अगला संसदीय चुनाव दिसंबर 2025 या जून 2026 में हो सकता है।

उन्होंने बांग्लादेश में ब्रिटेन की व्यापार दूत बैरोनेस रोजी विंटरटन के साथ स्टेट गेस्ट हाउस जमुना में हुई बैठक के दौरान कहा, “अगर राजनीतिक दल छोटे सुधारों पर सहमत होते हैं, तो चुनाव दिसंबर में हो सकते हैं। लेकिन, अगर बड़े सुधारों का रास्ता अपनाया जाता है, तो चुनाव जून तक हो सकते हैं।”

देर हुई तो अस्थिरता बढ़ सकती है: बीएनपी

इससे पहले, 25 मार्च को राष्ट्र के नाम अपने टेलीविजन संबोधन में यूनुस ने कहा था कि चुनाव दिसंबर 2025 और जून 2026 के बीच होंगे। उन्होंने यह भी बताया कि आम सहमति आयोग सभी राजनीतिक दलों से सुधारों पर राय ले रहा है।

बीएनपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अंतरिम सरकार जानबूझकर अपने कार्यकाल को बढ़ा रही है और चुनाव में देरी कर रही है। पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर दिसंबर तक चुनाव नहीं हुए, तो इससे अस्थिरता बढ़ सकती है और लोगों में “गहरा आक्रोश” हो सकता है।

बांग्लादेश में राजनीतिक संगठनों की बहुप्रचारित एकता, जो अगस्त 2024 में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को हटाने के दौरान पूरी तरह जाहिर हुई थी अब धीरे-धीरे फीकी पड़ रही है।

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