Thursday, October 9, 2025
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H-1b वीजा पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद भारत में अपने सेंटर स्थापित कर सकती हैं कंपनियां, एक्सपर्ट ने क्या कहा?

H-1b वीजा पर लगाए गए प्रतिबंधों के चलते अमेरिकी कंपनियां भारत में सेंटर खोलने पर विचार कर सकती हैं। विशेषज्ञों ने इस पर अपनी राय व्यक्त की।

वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच-1बी वीजा पर बढ़ाए गए शुल्क के कारण अमेरिकी कंपनियां भारत में अपने सेंटर खोलने पर विचार कर सकती हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई ने उद्योग विशेषज्ञों के हवाले से लिखा कि वीजा प्रक्रिया में सुधार से एआई, उत्पाद विकास, साइबर सुरक्षा और एनालिटिक्स से जुड़ी अमेरिकी कंपनियों में उच्च स्तरीय कार्य को भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों में स्थानांतरित करने में तेजी आ सकती है।

अर्थशास्त्रियों और उद्योग जगत के जानकारों के मुताबिक, इससे भारतीय जीसीसी के विकास को बढ़ावा मिलेगा। यह वित्त से लेकर अनुसंधान एवं विकास तक के कार्यों को संभालते हैं। ऐसे में ये जीसीसी वैश्विक कौशल और घरेलू नेतृत्व को मिलाकर केंद्र के रूप में उभर सकते हैं।

वीजा प्रतिबंधों के कारण कंपनियां कर रही हैं विचार

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में वीजा प्रतिबंधों के कारण अमेरिकी कंपनियां श्रम रणनीतियों को पुनः तैयार कर सकती हैं। मौजूदा समय में भारत में लगभग 1,700 जीसीसी हैं जो वैश्विक संख्या के आधे से भी अधिक है। नवीनतम विकास के साथ भारत अपने तकनीकी सहायता मूल को पीछे छोड़कर हाई वैल्यू नवाचार के केंद्र में तब्दील हो सकता है।

पीटीआई ने डेलॉइट इंडिया के पार्टनर और जीसीसी उद्योग के नेता रोहन लोबो के हवाले से लिखा कि जीसीसी इस समय के लिए विशिष्ट स्थिति में है। वे एक तैयार इन-हाउस इंजन के रूप में काम करते हैं।

लोबो ने कहा कि अमेरिका में स्थित कई कंपनियां मौजूदा समय में अपने कार्यबल को लेकर पुनर्विचार कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए योजनाएं काफी पहले से चल रही हैं। इस दौरान उन्होंने वित्तीय सेवाओं और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में विशेष रूप से अमेरिकी संघीय अनुबंधों से जुड़ी कंपनियों में बढ़ी हुई गतिविधियों पर जोर दिया।

भारत पर क्या होगा असर?

जीसीसी के एक रिटेल प्रमुख ने पीटीआई से बातचीत में बताया कि इससे या तो भारत में ज्यादा नौकरियों के अवसर पैदा होंगे या फिर कंपनियां उन्हें मैक्सिको, कोलंबिया या कनाडा में स्थानांतरित करेंगी।

ऐसे में अमेजन, एप्पल, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां जो एच-1बी वीजा मुहैया कराती हैं, वे अपने सेंटर्स कहीं और खोलने पर विचार कर सकती हैं।

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इसकी एकमात्र सीमा प्रस्तावित HIRE अधिनियम होगी जिसके तहत अमेरिकी कंपनियों को विदेशों में आउटसोर्सिंग कार्य पर 25 फीसदी टैक्स का सामना करना पड़ सकता है।

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अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने मंगलवार को कहा कि आवेदनों पर नए शुल्क के लागू होने से पहले एच-1बी वीजा प्रक्रिया में काफी बदलाव होंगे।

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा को लेकर नए नियमों का हाल ही में ऐलान किया है। इससे अब नए आवेदकों को इसके लिए 1,00,000 डॉलर देने होंगे। हालांकि, मौजूदा वीजाधारकों और रिन्यू कराने पर अतिरिक्त शुल्क लागू नहीं होगा।

भारत ने हालांकि एच-1बी वीजा पर बढ़ाए गए शुल्क को लेकर कहा कि इससे हजारों परिवारों पर असर पड़ सकता है।

अमरेन्द्र यादव
अमरेन्द्र यादव
लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक करने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई। जागरण न्यू मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर काम करने के बाद 'बोले भारत' में कॉपी राइटर के रूप में कार्यरत...सीखना निरंतर जारी है...
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