इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को सेमीकॉन इंडिया- 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारत का पहला पूरी तरह से स्वदेशी निर्मित ‘विक्रम-32-बिट प्रोसेसर चिप’ (Vikram-32 bit chip) भेंट किया। इसे भारत की सेमीकंडक्टर बनाने के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की यात्रा में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।
इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की सेमीकंडक्टर लेबोरेट्री (एससीएल) द्वारा विकसित किया गया है। ‘विक्रम चिप’ देश का पहला पूरी तरह से स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर है। इसे विशेष रूप से अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान की कठिन परिस्थितियों के लिए डिजाइन और योग्य बनाया गया है। दूसरे शब्दों में समझें तो इसे अंतरिक्ष में रॉकेट भेजने के लिए काम में लाया जाएगा।
अब तक भारत चिप्स के मामले में दूसरे देशों पर निर्भर रहा है। विक्रम 3201 डिवाइस के प्रारंभिक बैच का पीएसएलवी-सी60 मिशन के दौरान अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रयोग भी किया गया था, जिससे भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए इसकी विश्वसनीयता और पुख्ता हो गई है।
चिप्स के मामले में उपभोक्ता से निर्माता बनने का सफर
इसरो द्वारा विकसित विक्रम चिप को पहली बार मार्च में पेश किया गया था और यह 2021 में ‘भारत सेमीकंडक्टर मिशन’ की शुरुआत के बाद देश की चिप निर्माण क्षमताओं में तेज़ी से हुई प्रगति को दर्शाता है। इससे साबित होता है कि केवल साढ़े तीन सालों के भीतर भारत एक प्रमुख उपभोक्ता से अब उन्नत चिप्स के निर्माता के रूप में उभरकर सामने आने के साफर पर है। यह सब सरकार समर्थित अनुसंधान एवं विकास, स्थिर नीतियों और मजबूत आर्थिक विकास के बल पर संभव हुआ है। विक्रम का निर्माण और पैकेजिंग पंजाब के मोहाली स्थित SCL की 180nm CMOS फैसिलिटी में हुआ।
Vikram-32 bit chip का खासियत क्या है?
विक्रम-32 एक कंप्यूटर चिप है जो एक साथ कई अलग-अलग काम कर सकता है। यह दशमलव संख्याओं (जैसे 3.14) के साथ काम करती है और इसे 32-बिट डिजाइन का उपयोग करके बनाया गया है। यानी यह एक बार में 32 बिट्स के टुकड़ों में डेटा प्रोसेस करती है, और इसे अंतरिक्ष उड़ान के दौरान अत्यधिक तापमान और वातावरण को झेलने के लिए डिजाइन किया गया है।
इसरो के अनुसार, यह भरपूर मेमोरी को संभाल सकता है। इस लिहाज से सैटेलाइट और रॉकेट आदि को प्रक्षेपित करने के लिए आवश्यक जटिल निर्देशों को आराम से पूरा कर सकता है। यह सबकुछ रक्षा क्षेत्र से लेकर, एयरोस्पेस, ऑटोमोटिव और ऊर्जा क्षेत्रों के लिए भी इसकी दमदार क्षमता का संकेत है।
अश्विनी वैष्णव ने क्या बताया
मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विक्रम-32 को पीएम मोदी को देते हुए बताया कि पाँच नई सेमीकंडक्टर इकाइयों का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है। उन्होंने कहा कि छह राज्यों में 1.60 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश वाली 10 प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
इसमें हाई-वॉल्यूम फैब्रिकेशन यूनिट्स (फैब्स), 3डी हेटेरोजेनस पैकेजिंग, कंपाउंड सेमीकंडक्टर और आउटसोर्स सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्टिंग (ओएसएटी) जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के प्रोजेक्ट शामिल हैं। इसके अलावा, डिजाइन-केंद्रित पहलों ने 280 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों और 72 स्टार्ट-अप्स को एडवांस्ड टूल्स से सहायता प्रदान की है, जबकि डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (डीएलआई) योजना के तहत 23 स्टार्ट-अप्स को मंजूरी दी गई है।
अश्विणी वैष्णव ने कहा, ‘कुछ साल पहले ही हम अपने प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर एक नई शुरुआत करने के लिए पहली बार मिले थे। हमने भारत सेमीकंडक्टर मिशन की शुरुआत की थी। 3.5 साल की छोटी सी अवधि में, दुनिया भारत की ओर विश्वास से देख रही है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘आज पाँच सेमीकंडक्टर इकाइयों का निर्माण तेज़ी से चल रहा है। हमने अभी-अभी प्रधानमंत्री मोदी को पहली ‘मेड-इन-इंडिया’ चिप भेंट की है।’
क्या है सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम?
सेमीकॉन इंडिया एक सलाना कार्यक्रम है। इसमें सेमीकंडक्टर चिप्स बनाने वाली कंपनियां, निवेशक और इस क्षेत्र से जुड़े लोग जमा होते हैं। इसमें चिप टेक्नोलॉजी पर चर्चा होती है। इस बार कार्यक्रम में 20,750 से अधिक प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। इनमें 48 देशों के 2500 से अधिक प्रतिनिधि भी हैं। साथ ही 150 से अधिक वक्ता और 350 से अधिक प्रदर्शक शामिल हैं।
तीन दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में भाषण, पैनल चर्चाएं, फायरसाइड चैट, शोध-पत्र प्रस्तुतियां और छह अंतरराष्ट्रीय गोलमेज सम्मेलन होंगे। कार्यक्रम में एप्लाइड मैटेरियल्स, एएसएमएल, आईबीएम, इनफिनियॉन, लैम रिसर्च, माइक्रोन, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स, एसके हाइनिक्स और टोक्यो इलेक्ट्रॉन जैसी शीर्ष कंपनियों की भागीदारी होगी।