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अडानी ग्रुप को हिंडनबर्ग मामले में SEBI ने दी क्लीन चिट; क्या था पूरा मामला?

सेबी ने कहा है कि अडानी ग्रुप को लेकर नियमों में कोई उल्लंघन नहीं पाया गया। इसलिए कोई जुर्माना भी नहीं लगाया गया है। अडानी समूह इससे पहले हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों का लगातार खंडन करती रही है।

मुंबई: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी और समूह की अन्य कंपनियों (अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट्स और अडानी पावर) के खिलाफ लगाए गए स्टॉक हेरफेर के आरोपों को खारिज कर दिया है।

सेबी ने कहा है कि अडानी ग्रुप को लेकर कोई उल्लंघन नहीं पाया गया। इसलिए कोई जुर्माना भी नहीं लगाया गया है। अडानी समूह इससे पहले हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों का लगातार खंडन करती रही है। हिंडनबर्ग ने अडानी पर शेयरों में हेरफेर, रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन छिपाने और गलत ट्रेडिंग जैसे आरोप लगाए थे। SEBI ने बताया है कि जांच में ये आरोप सही नहीं पाए गए।

SEBI का अडानी ग्रुप को क्लीन चिट

सेबी के अनुसार उसे कंपनी के खिलाफ अनियमितता को लेकर कोई सबूत नहीं मिले। सेबी ने अडानी ग्रुप को क्लीन चिट देते हुए कहा कि हिंडनबर्ग मामले में लगाए गए आरोप सिद्ध नहीं हो सके। सेबी ने बताया कि नियमों का उल्लंघन नहीं हुआ और न ही मार्केट मैन्युपुलेशन या इनसाइडर ट्रेडिंग के सबूत मिले हैं।

सेबी ने कहा, ‘सूचीबद्धता समझौते और सेबी (LODR) विनियमों को पढ़ने से पता चलता है कि किसी सूचीबद्ध कंपनी और असंबंधित पक्ष के बीच लेन-देन ‘संबंधित पक्ष लेनदेन’ की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आते हैं, जैसा कि उस समय था जब विवादित लेनदेन हुए थे, हालाँकि 2021 के संशोधन के बाद इसे विशेष रूप से शामिल किया गया है।’

दरअसल, अडानी के खिलाफ आरोपों में रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन का मुद्दा सबसे बड़ा था। सेबी ने इस पर कहा कि माइलस्टोन ट्रेडलिंक्स (MTPL), रेहवर इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी कंपनियों के जरिए हुए फंड ट्रांसफर को तब रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन नहीं माना गया, क्योंकि ये उस समय के नियमों में शामिल नहीं थे। सेबी के अनुसार अडानी पोर्ट्स से अडानी कॉर्प को दिए गए फंड्स को अडानी पावर को लोन दिया गया था, जो ब्याज सहित पूरा चुका भी दिया गया। इसलिए कोई फंड गलत इस्तेमाल, धोखाधड़ी या गलत फायदे का सबूत नहीं है।

क्या था हिंडनबर्ग मामला, पूरी टाइमलाइन

यह मामला जनवरी, 2023 में सामने आया था। शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानू समूह पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। इसमें कहा गया था कि ग्रुप ने कंपनियों के शेयरों में हेराफेरी, ऑडिट फ्रॉड और फंड भेजने के लिए शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया।

हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि अडानी की कंपनियों ने माइलस्टोन ट्रेडलिंक्स (एमटीपीएल) और रेहवर इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल धन के प्रवाह के लिए माध्यम के तौर पर किया। ऐसा रिलेटेड पार्टी लोन को छुपाने के लिए किया गया। माइलस्टोन और रेहवर दो निजी संस्थाएँ हैं जिनका नाम हिंडनबर्ग रिसर्च की जनवरी 2023 की रिपोर्ट में दर्ज है।

दावा यह था कि अडानी समूह की कंपनियों ने एमटीपीएल और रेहवर के माध्यम से अडानी पोर्ट्स एंड SEZ, अडानी पावर और अडानी एंटरप्राइजेज को धन भेजा और भेजा, जिससे संबंधित पक्ष लेनदेन नियमों के तहत इसके बारे में जानकारी देने के नियम की संभावित रूप से अनदेखी की गई।

इस रिपोर्ट के आने के बाद भारत में खलबली मच गई थी। अडानी समूह की लगभग सभी कंपनियों के शेयर में भारी गिरावट हुई और निवेशकों का भरोसा डगमगा गया था।

बाद में फरवरी-2023 में सुप्रीम कोर्ट में मामले को लेकर पीआईएल भी दाखिल हुई। कोर्ट ने एक पैनल भी बनाया था जिसे मामले की जांच करनी थी। सुप्रीम कोर्ट की पैनल ने जांच में अडानी ग्रुप के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिलने की बात कही थी। कोर्ट पहले ही मामले में अडानी ग्रुप को बरी कर चुकी है। बताते चलें इसी साल जनवरी में हिंडनबर्ग के संस्थापक नैट एंडरसन ने फर्म के बंद करने की घोषणा भी की थी।

विनीत कुमार
पूर्व में IANS, आज तक, न्यूज नेशन और लोकमत मीडिया जैसी मीडिया संस्थानों लिए काम कर चुके हैं। सेंट जेवियर्स कॉलेज, रांची से मास कम्यूनिकेशन एंड वीडियो प्रोडक्शन की डिग्री। मीडिया प्रबंधन का डिप्लोमा कोर्स। जिंदगी का साथ निभाते चले जाने और हर फिक्र को धुएं में उड़ाने वाली फिलॉसफी में गहरा भरोसा...

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